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UIDAI के इस कदम से डिजिटल वॉलेट कंपनियों को लगा झटका, ई-केवाईसी करना होगा मुश्किल

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने आधार डाटा को डिजिटल पेमेंट कंपनियों से शेयर करने पर रोक लगा दी।

By Sakshi PandyaEdited By: Updated: Thu, 07 Jun 2018 11:43 AM (IST)
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नई दिल्ली (टेक डेस्क)। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण UIDAI ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए डिजिटल पेमेंट वॉलेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों से आधार डाटा शेयर करने पर रोक लगा दी है। प्राधिकरण ने भारत की एंजेसियों और ग्लोबल ऑथेंटिकेशन एजेंसियों के अलावा लोकल ऑथेंटिकेशन एंजेसियों को अलग-अलग रखा है।

केवल बैंक ही कर सकेंगे डाटाबेस एक्सेस

प्राधिकरण ने 16 मई को एक पत्र जारी करके कहा कि आधार कार्ड धारकों की कुछ जानकारियां ही इन एजेंसियों को प्रदान की जाएगी। इस पत्र के अनुसार केवल बैंकों (पेमेंट बैंक को मिलाकर) को ही आधार कार्ड धारकों का डाटाबेस एक्सेस करने दिया जाएगा। प्राधिकरण ने यह कदम ऑथेंटिकेशन कंपनियों के पास डाटा सुरक्षित रखने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रकचर नहीं होने की वजह से उठाया है।

लेना होगा वर्चुअल आधार नंबर

इसका मतलब साफ है कि मोबीक्विक, फोन-पे जैसी पेमेंट वॉलेट प्रदाता कंपनियों को ग्राहकों की इलेक्ट्रॉनिक केवाईसी पूरा करने के लिए वर्चुअल आधार नंबर लेना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक के गाइडलाइन्स के मुताबिक डिजिटल वॉलेट कंपनियों को ग्राहकों का केवाईसी करना अनिवार्य है, इसके बाद ही वो इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे।

1 जूलाई से होगा लागू

प्राधिकरण का यह सर्कुलर 1 जुलाई 2018 से लागू हो जाएगा। इसके बाद मोबीक्विक, ऑक्सीजन जैसी डिजिटल वॉलेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनियाों को ग्राहकों का ई-केवाईसी करने में परेशान हो सकती है। फोन-पे कंपनी के एक अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कंपनी इसके लिए रिजर्व बैंक और यूआईडीएआई से बात करेगी।

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