UPI Payment: कैसे यूपीआइ के माध्यम से डिजिटल पेमेंट में आ रही क्रांति
डिजिटल पेमेंट की दुनिया में यूपीआइ (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) एक बड़ी क्रांति है। आज भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया में कई देशों में इस पेमेंट सिस्टम का उपयोग हो रहा है जो देश के लिए गर्व की बात है।
संतोष आनंद। यूपीआइ पेमेंट सिस्टम के बारे में आपने जरूर सुना होगा। इसकी शुरुआत देश में वर्ष 2016 में हुई थी। इस पेमेंट सिस्टम के लांच होने के बाद लोगों ने इसे तेजी से अपनाया। खासकर कोविड महामारी के बाद इसको अपनाने की में गति में और ज्यादा तेजी आई। पहली बार अक्टूबर 2019 में इसने एक अरब लेन-देन की सीमा को पार किया था। इसके बाद यह आंकड़ा और तेजी से बढ़ने लगा। जेफरीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 में देश में खुदरा डिजिटल भुगतानों में यूपीआइ की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है। खास बात यह है कि यह डेबिट व क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेन-देन की तुलना में करीब 4.5 गुना अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल पेमेंट के मामले में यूपीआइ आज सबसे आगे है।
एनपीसीआइ ने की थी इसकी शुरुआत: यूपीआइ की शुरुआत नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन आफ इंडिया (एनपीसीआइ), रिजर्व बैंक आफ इंडिया व इंडियन बैंक्स एसोसिएशन ने मिलकर की थी। एनपीसीआइ देश में हो रहे सभी बैंक/एटीएम ट्रांजैक्शन को मैनेज करने का काम करती है। बता दें कि देश में कैशलेस इकोनामी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने यूपीआइ पेमेंट की शुरुआत की थी। आजकल लगभग सभी पेमेंट सिस्टम में यूपीआइ पेमेंट का विकल्प जरूर मिल जाता है। यह डिजिटल ट्रांजैक्शन का बेहद सिक्योर तरीका है।
भारत एक महीने में 5.5 अरब यूपीआइ लेन-देन कर रहा : ट्रांजैक्शन करने से आपकी बैंक डिटेल्स अथवा एटीएम या क्रेडिट कार्ड डिटेल्स किसी के साथ शेयर नहीं होती है। इसकी मदद से कहीं भी, कभी भी, किसी भी समय अपने बैंक एकाउंट से कोई भी पेमेंट कर सकता है। खास बात यह है कि डिजिटल प्लेटफार्म होने की वजह से किसी भी समय यहां तक कि छुट्टियों वाले दिन भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यूपीआइ सिस्टम तत्काल भुगतान सेवा (आइएमपीएस ) पर काम करता है। आज भूटान, यूएई और सिंगापुर तक में यूपीआइ का उपयोग हो रहा है। साथ ही, दुनिया के कई देशों में इसके उपयोग को लेकर बातचीत हो रही है। भारत एक महीने में करीब 5.5 अरब यूपीआइ लेन-देन कर रहा है। यूपीआइ की वजह से लोगों की जिंदगी काफी आसान हो गई है।