क्या होती है E-Cigarette, नॉर्मल सिगरेट से कैसे अलग है इसका काम करने का तरीका; करिए सारे कन्फ्यूजन दूर
E-Cigarette में आम सिगरेट की तरह तंबाकू की बजाय एक कार्टेज में लिक्विड निकोटिन फिल किया जाता है। ई-सिगरेट को पीने के लिए जलाने की जरूरत नहीं होती। इससे कश लेने पर दूसरी साइड में लगा एलईडी बल्ब जलने लगता है। नॉर्मल सिगरेट में आप धूएं को अंदर खींचते हैं। लेकिन इसमें निकोटिन को पहले भाप में बदला जाता है और फिर उसी भाप को व्यक्ति अंदर खींचता है।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके दिन की शुरुआत सिगरेट से होती है और दिन खत्म होने तक वह कई पैकेट सिगरेट खत्म कर देते हैं। भले ही धुम्रपान न करने को लेकर जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं। लेकिन, उनका सिगरेट पीने वालों पर कोई असर नहीं पड़ता है। यहां तक नॉर्मल सिगरेट की बात हो रही थी। अब इन दिनों मार्केट में नॉर्मल सिगरेट के विकल्प के रूप में ई-सिगरेट (E-Cigarette) भी खूब चर्चा में है।
अब सवाल है कि ई-सिगरेट होती क्या है और क्या वाकई यह नॉर्मल सिगरेट की तुलना में सेफ होती है। तीसरा सवाल है कि इसके काम करने का तरीका क्या है, क्यों लोग इसे नॉर्मल सिगरेट की तुलना में अच्छा मानकर जमकर इस्तेमाल करने पर जोर दे रहे हैं। यहां इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करने वाले हैं।
ई-सिगरेट क्या है?
सबसे पहले यही जान लेते हैं कि आखिर ई-सिगरेट (E-Cigarette) होती क्या है। ई-सिगरेट को आप एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की तरह समझ सकते हैं। इसे तकनीकी रूप से ENDS (इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम) डिवाइस कहा जाता है। इन डिवाइस को चलाने के लिए एक बैटरी की जरूरत होती है। इन डिवाइस का काम बॉडी के अंदर निकोटिन पहुंचाने का होता है।इसमें आम सिगरेट की तरह तंबाकू की बजाय एक कार्टेज में लिक्विड निकोटिन फिल किया जाता है। ENDS डिवाइसों में प्रमुख तौर पर ई-सिगरेट को जाना जाता है। कहने को तो ENDS डिवाइस में कई और चीजें भी आती हैं। ई-सिगरेट को पीने के लिए जलाने की जरूरत नहीं होती। इससे कश लेने पर दूसरी साइड में लगा एलईडी बल्ब जलने लगता है। नॉर्मल सिगरेट में आप धूएं को अंदर खींचते हैं। लेकिन इसमें जो कार्टेज में लिक्विड भरी गई थी, वह कश लगाने पर भाप में बदलता है और हम असल में धूएं की जगह भाप को ही अंदर खींच रहे होते हैं।
जैसा कि पहले बताया इसे चलाने के लिए इसमें रिचार्जेबल लिथियम बैटरी लगी होती है। इसके अलावा निकोटिन कार्टेज और इसके बाद होता है एवोपोरेट चैंबर, जिसमें छोटा हीटर भाप बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इन्हीं तकनीकों के कारण निकोटिन भाप में बदलता रहता है और उसे ही हम अंदर खींच रहे होते हैं।
देखने में ई-सिगरेट कई बार सिगार, पाइप, पेन या यूएसबी ड्राइव जैसी दिख सकती है। इसमें निकोटिन की मात्रा अधिक मानी जाती है। इसकी खास बात होती है कि कार्टेज खाली होने पर उसे दोबारा से भरा जा सकता है।