बीते साल अक्टूबर में ही देश में 5G टेक्नोलॉजी रोलआउट की गई है। भारत में रिलायंस जियो और भारती एयरटेल देशभर में इंटरनेट की नई तकनीक को पहुंचा रही हैं।
नया स्मार्टफोन खरीदने की बात आती है तो यूजर के जेहन में पहला सवाल यही आता है कि फोन 5G है या नहीं। 5G टेक्नोलॉजी के साथ ही आपने 5G बैंड्स के बारे में भी सुना होगा।हालांकि, यह टेक्निकल टर्म है और इसे समझना एक आम यूजर के लिए थोड़ा मुश्किल काम जरूर होता है।
क्या हैं 5G बैंड्स
सबसे पहले यही समझने की कोशिश करते हैं कि 5G बैंड्स क्या है? आसान भाषा में समझें तो 5G सेलुलर नेटवर्क द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली फ्रीक्वेंसी की रेंज ही 5G बैंड्स हैं। 5G बैंड्स की मदद से ही नेटवर्क की रेंज और स्पीड के बारे में जानकारी मिलती है।
5G नेटवर्क में नेट फास्ट चलेगा या नहीं, यह बैंड्स पर ही आधारित होता है। 5G नेटवर्क डेटा ट्रांसमिशन के लिए अलग-अलग फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करता है। नेटवर्क को इंटरनेट की बेहतर स्पीड के लिए अलग-अलग 5G बैंड्स की जरूरत होती है।
कितनी तरह के होते हैं 5G बैंड्स
5G बैंड्स लो, मिड और और हाई तीन तरह के होते हैं। यह अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर काम करते हैं। 5G बैंड्स के लिए दो फैक्टर रेंज और स्पीड काम करते हैं। अलग-अलग बैंड के साथ रेंज और स्पीड अलग-अलग मिलती है।
Low-band 5G- लो
बैंड 5G की बात करें तो यह 6 GHz से कम की फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करता है। इस तरह के 5G बैंड्स ज्यादा लंबी रेंज की खूबी के साथ आते हैं, लेकिन एक लंबे एरिया रेंज को कवर करने के साथ ही इस बैंड में स्पीड घट जाती है।
Mid-band 5G- मिड बैंड 5G की बात करें तो यह 6 GHz से ज्यादा और 30 GHz से कम की फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करता है। इस तरह के 5G बैंड्स लो बैंड 5G के मुकाबले कम रेंज को कवर करते हैं। रेंज कम होने के साथ ही मिड बैंड 5G, लो बैंड 5G के मुकाबले ज्यादा स्पीड में नेट का इस्तेमाल करने की खूबी के साथ आते हैं।
High-band 5G- हाई बैंड 5G की बात करें तो यह 30 GHz से ज्यादा की फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करता है। इस तरह के 5G बैंड्स लॉ बैंड 5G और मिड बैंड 5G के मुकाबले कम रेंज को कवर करते हैं। हाई बैंड 5G में रेंज सबसे कम होती है। रेंज कम होने के साथ ही हाई बैंड 5G, लो और मिड बैंड 5G के मुकाबले ज्यादा स्पीड में नेट का इस्तेमाल करने की खूबी के साथ आते हैं।
भारत में कितने 5G बैंड्स की सुविधा
देश में 5G सर्विस के लिए 12 फ्रीक्वेंसी बैंड को नीलामी में रखा गया था। नीलामी में अलग-अलग टेलीकॉम कंपनियों की भागीदारी थी। वर्तमान में रिलायंस जियो और भारती एयरटेल की 5G सर्विस अलग-अलग टेक्नोलॉजी के साथ काम करती है।
कौन-सा स्मार्टफोन खरीदना है सही
5G स्मार्टफोन खरीदते समय यूजर को 5G बैंड्स का ध्यान रखना जरूरी है। स्मार्टफोन में जितने ज्यादा बैंड्स होंगे, 5G सर्विस उतनी ही बेहतर मिलती है, क्योंकि डिवाइस एक से ज्यादा टेलीकॉम कंपनियों की 5G तकनीक के साथ कम्पैटिबल होता है।
फोन में 12 5G बैंड्स होंगे तो यूजर को किसी भी टेलीकॉम कंपनी की 5G सर्विस के साथ स्पीड और रेंज को लेकर परेशानी नहीं आएगी।
कौन-सा 5G बैंड है सबसे बढ़िया
अब अगर एक यूजर यह जानना चाहे कि कौन-सा 5G बैंड ज्यादा बेहतर होता है तो इसके लिए यूजर के रहने की जगह मायने रखेगी। इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाला यूजर गांव, शहर और मेट्रोपॉलिटन सिटी में रहने वाला हो सकता है। ऐसे में 5G बैंड की जरूरत अलग-अलग एरिया के हिसाब से अलग-अलग होती है।गांव में रहने वाले यूजर्स के लिए लो बैंड 5G बेहतर माना जाता है, क्योंकि यह एक बड़े एरिया को कवर करता है। शहरों में रहने वाले यूजर्स के लिए मिड और हाई बैंड 5G बेहतर माना जाता है। शहरों में एक बड़ी आबादी कम एरिया में रहती है। ऐसे में यूजर के लिए तेज स्पीड इंटरनेट की जरूरत ज्यादा होगी।