आपका स्मार्टफोन हो गया है धीमा, फंस सकते हैं हैकिंग के जाल में
क्रिप्टोजैकिंग के जरिए हैकर्स इन दिनों स्मार्टफोन यूजर्स से लेकर पर्सनल कंम्पयूटर इस्तेमाल करने वालों को निशाना बना रहे हैं
By Harshit HarshEdited By: Updated: Thu, 23 Aug 2018 03:44 PM (IST)
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। क्या आपका स्मार्टफोन चलते-चलते हैंग हो रहा है या फिर धीमा हो गया है? या फिर आपके स्मार्टफोन की बैटरी बिना इस्तेमाल किए ही जल्दी डिस्चार्ज होने लगी है? अगर, आप इन समस्याओं से जूझ रहे हैं तो सावधान हो जाएं, आपका स्मार्टफोन क्रिप्टोकरेंसी के माइंनिंग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा होगा। सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस तरह के साइबर हमले का नाम ''क्रिप्टोजैकिंग'' रखा है। आपको बता दें कि माइनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बुनियादी तौर पर आभासी मुद्रा (वर्चुअल करेंसी) में लेन-देन की सत्यापित और उन्हें पूरा करने में मदद मिलती है। इस माइनिंग करने वाले हैकर्स को इसके लिए इनाम के तौर पर क्वाइन्स दिए जाते हैं।
क्या है क्रिप्टोजैकिंग?सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें तो हैकर्स इस प्रक्रिया में किसी इंटरनेट सर्वर, किसी पर्सनल कंप्यूटर या किसी स्मार्टफोन यूजर्स को जाल में फंसाया जाता है, ताकि क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के लिए मैलवेयर डाला जा सके। इस माइनिंग के लिए एक साथ हजारों प्रोसेसर को जोड़ा जाता है ताकि क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग की प्रक्रिया की कंम्प्यूटिंग पावर बढ़ाई जा सके। क्रिप्टोकरेंसी कंपनियां, बिटक्वॉइन, एथोरियम, मोनेरो आदि के लिए इस तरह की माइनिंग काफी मुनाफे का सौदा होती है, लेकिन इसके लिए काफी निवेश की जरूरत होती है।
यूजर्स इस तरह बन रहे हैं शिकारइसी निवेश से बचने के लिए हैकर्स ने स्मार्टफोन्स, पर्सनल कंम्पयूटर और इंटरनेट सर्वर के प्रोसेसर का इस्तेमाल करके क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग करने लगे हैं। क्रिप्टोजैकिंग के शिकार लोगों को वर्चुअल करेंसी का लालच देने के लिए हैकर्स गेमिंग ऐप्स का भी सहारा लेते हैं, ताकि यूजर्स आसानी से इनकी तरफ आकर्षित हो जाएं।