Dark Web: क्या होता है डार्क वेब, जहां लगाई जाती है आपकी निजी जानकारियों की ऊंची कीमत
डार्क वेब (Dark Web) इंटरनेट का वो हिस्सा है जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेट का 96 फीसद हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है। (जागरण फोटो)
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Fri, 10 Mar 2023 05:02 PM (IST)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। इंटरनेट की दुनिया हमारी सोच से कहीं ज्यादा बड़ी है। आमतौर पर हम इंटरनेट पर जितना कुछ देखते हैं, वह सब इंटरनेट की दुनिया का एक छोटा-सा हिस्सा भर है। इस बड़ी-सी दुनिया में कई ऐसे राज छुपे हुए हैं, जिनका ज्यादातर लोगों को अंदाजा भी नहीं है।
शायद ही कोई ऐसा होगा, जिसने डार्क वेब के बारे में नहीं सुना होगा। कोई यहां से ड्रग्स मंगवाता है, तो कोई नाबालिग बच्चों की पॉर्न बेचता है, तो कोई यहां बैंकिंग डेटा और पासवर्ड को बेचता है। आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए इंटरनेट की दुनिया के सबसे काले हिस्से यानी डार्क वेब के बारे में बताने वाले हैं।
जानिए क्या होता है डार्क वेब
डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है। इंटरनेट का 96 फीसद हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है। हम इंटरनेट कंटेंट के केवल 4% हिस्से का इस्तेमाल करते है, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है। डीप वेब पर मौजूद कंटेंट को एक्सेस करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है जिसमें ई-मेल, नेट बैंकिंग, आते हैं। डार्क वेब को खोलने के लिए टॉर ब्राउजर (Tor Browser) का इस्तेमाल किया जाता है। डार्क वेब पर ड्रग्स, हथियार, पासवर्ड, चाईल्ड पॉर्न जैसी बैन चीजें मिलती हैं।कैसे काम करता है डार्क वेब
आपको बता दें कि डार्क वेब ओनियन राउटिंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है। ये यूजर्स को ट्रैकिंग और सर्विलांस से बचाता है और उनकी गोपनीयता बरकरार रखने के लिए सैकड़ों जगह रूट और री-रूट करता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो डार्क वेब ढेर सारी आईपी एड्रेस से कनेक्ट और डिस्कनेक्ट होता है, जिससे इसको ट्रैक कर पाना असंभव हो जाता है।यहां यूजर की इन्फॉर्मेशन इंक्रिप्टेड होती है, जिसे डिकोड करना नाममुकिन है। डार्क वेब पर डील करने के लिए वर्चुअल करेंसी जैसे बिटकॉइन का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा इसलिए होता है, ताकि ट्रांजैक्शन को ट्रेस न किया जा सके।