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क्या है इमरजेंसी SOS सैटेलाइट कनेक्टिविटी, कैसे करती है काम, आपके लिए कैसे होगी सहायक

हाल ही में Apple ने अपने आईफोन के सैटेलाइट कनेक्टिविटी फीचर को 6 अन्य देशों में शुरू कर दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इमरजेंसी SOS सैटेलाइट कनेक्टिविटी क्या है और कैसे काम करता है? आइये इसके बारे में जानते हैं। (जागरण फोटो )

By Ankita PandeyEdited By: Ankita PandeyUpdated: Thu, 09 Mar 2023 10:46 AM (IST)
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Know what is emergency SOS satellite connectivity, know the details
नई दिल्ली, टेक डेस्क। पिछले दिनों में Apple ने इमरजेंसी SOS सैटेलाइट कनेक्टिविटी को 6 अन्य देशों में पेश किया है। बता दें कि Apple ने iPhone 14 सीरीज के स्मार्टफोन्स पर सैटेलाइट के जरिए इमरजेंसी SOS सर्विस को लॉन्च किया। यह सुविधा यूजर्स को सैटेलाइट कनेक्शन के माध्यम से आपातकालीन सेवाओं को संदेश भेजने में सक्षम बनाती है, खासकर तब जब वे बिना सेल्युलर और वाई-फाई कवरेज वाले लोकेशन पर होते हैं।

पिछले साल Google ने पुष्टि की कि Android 14 सैटेलाइट कनेक्टिविटी का सपोर्ट करेगा और भागीदारों को प्रौद्योगिकी को सक्षम करने में मदद करेगा।आइये जानते हैं कि सैटेलाइट कनेक्टिविटी तकनीककैसे काम करती है। इसके अलावा कौन सी कंपनियां इस पर काम करने वाली है

कैसे काम करती है सैटेलाइट तकनीक?

आईफोन 14 लॉन्च के समय ऐपल ने बताया कि लेटेस्ट सीरीज पर यह फीचर कैसे काम करता है। ऐपल का कहना है कि सैटेलाइट से कनेक्ट करने के लिए यूजर्स को अपने हाथ उठाने या अपने फोन को होल्ड की जरूरत नहीं है।

फोन उन्हें एक मजबूत कनेक्शन के लिए बाएं या दाएं ट्रांसफर करने के लिए मार्गदर्शन करेगा। आपके फोन की स्क्रीन लॉक होने पर भी सैटेलाइट कनेक्शन को बनाए रखा जा सकता है। Apple ने कहा कि एक SOS संदेश भेजने में 15 सेकंड से एक मिनट का समय लग सकता है।

यूजर्स की कैसे मदद करेगी सैटेलाइट तकनीक?

मान लीजिए कि आप किसी ऐसी जगह पर गए है, जो बहुत उंचाई पर हो, जैसे पहाड़ या हिमालय। ऐसे में अगर आप फंस गए हैं और आपको अपने मोबाइल फोन पर कोई सेलुलर कनेक्टिविटी नहीं मिल रही है। ऐसी स्थितियों में, आपको खुद को बचाने के लिए आपातकालीन संदेश भेज सकते हैं। ऐसे समय में सैटेलाइट कनेक्टिविटी सुविधा आपको मैसेज को ट्रांसमिट करने और रिसीव करने के लिए सैटेलाइट से कनेक्ट करने की अनुमति देगी।

सैटेलाइट कनेक्टिविटी सुविधा होने का सबसे जरूरी हिस्सा यह है कि यह कनेक्टिविटी या हाई-स्पीड इंटरनेट की सुविधा नहीं देगा बल्कि ऐसे क्षेत्र में काम करेगा, जहां कोई सेलुलर कनेक्टिविटी नहीं है या आप आपातकालीन स्थिति में है।

सैटेलाइट कनेक्टिविटी फीचर पर काम कर रही ये कंपनियां

Apple ने पहले ही iPhone 14 सीरीज के स्मार्टफोन में फीचर लॉन्च कर दिया है। इसके अलावा Google, Samsung, Qualcomm और MediaTek ने भी घोषणा की है कि वे इस फीचर पर काम कर रहे हैं।

Google की बात करें तो पिछले साल 1 सितंबर को Google के प्लेटफॉर्म और इकोसिस्टम के उपाध्यक्ष, हिरोशी लॉकहाइमर ने घोषणा की कि वह Android 14 में सैटेलाइट कनेक्टिविटी के लिए सपोर्ट पेश करेंगे और तकनीकी को सक्षम करने में पार्टनर्स की मदद करेंगे। इस साल की मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस (एमडब्ल्यूसी) में, गूगल में इंजीनियरिंग के एंड्रॉयड पार्टनर के निदेशक टीटी रामगोपाल ने इस बारे में भी बात की कि गूगल एंड्रॉयड ओएस के अगले वर्जन में फीचर लाने के लिए कैसे काम कर रहा है।

Samsung

इस साल फरवरी के अंत में, सैमसंग ने विशेष रूप से रिमोट क्षेत्रों में स्मार्टफोन और उपग्रहों के बीच सीधे संचार के लिए मानकीकृत 5G गैर-स्थलीय नेटवर्क (NTN) मॉडेम तकनीक पेश की। सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स में संचार प्रोसेसर विकास के कार्यकारी उपाध्यक्ष मिन गू किम ने कहा कि सैमसंग का लक्ष्य 6G के आगमन की तैयारी में दुनिया भर में हाइब्रिड स्थलीय-NTN संचार पारिस्थितिकी तंत्र को आगे बढ़ाने का नेतृत्व करना है।

Qualcomm

यूएस-आधारित चिपमेकर क्वालकॉम ने जनवरी में कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक शो (सीईएस) 2023 में प्रीमियम स्मार्टफोन के लिए अपने सैटेलाइट-आधारित टू-वे सक्षम मैसेजिंग समाधान स्नैपड्रैगन सैटेलाइट की घोषणा की। हाल ही में आयोजित MWC में कंपनी ने घोषणा की कि यह तकनीक ऑनर, मोटोरोला, नथिंग, ओप्पो, वीवो और शाओमी के आने वाले स्मार्टफोन्स में डेब्यू करेगी।

MediaTek

मीडियाटेक ने अपनी 3GPP NTN तकनीक का भी प्रदर्शन किया, जो MWC 2023 में स्मार्टफोन के लिए दो-तरफा सैटेलाइट संचार लाता है। कंपनी ने कहा कि इसके स्टैंडअलोन MT6825 चिपसेट को सहज सैटेलाइट कनेक्टिविटी अनुभव के लिए किसी भी फ्लैगशिप स्मार्टफोन में एकीकृत किया जा सकता है।