Google Chrome Channel: आपके लिए क्यों जरूरी है ये फीचर, कैसे करता है काम; क्या हैं इसके खतरे
What is Google Chrome Channel अगर आप गूगल क्रोम का इस्तेमाल करते हैं तो क्या आप जानते हैं कि आप कौन से चैनल का इस्तेमाल कर रहे हैं। कंपनी के नए फीचर्स आप तक पहुंचने से पहले किन यूजर्स तक पहले पहुंचते हैं। (फोटो- जागरण)
By Shivani KotnalaEdited By: Shivani KotnalaUpdated: Mon, 15 May 2023 09:00 PM (IST)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। टेक कंपनी गूगल के सर्च इंजन का इस्तेमाल दुनिया भर में करोड़ों लोग करते हैं। गूगल का ब्राउजर क्रोम का इस्तेमाल भी हर दूसरा यूजर करता है। क्रोम में यूजर के लिए समय-समय पर नए फीचर्स लाए जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप गूगल क्रोम के किस चैनल का इस्तेमाल करते हैं?
क्या आपने कभी सोचा है वे कौन-से यूजर्स होते हैं जिन्हें गूगल क्रोम के नए फीचर्स को इस्तेमाल करने का मौका पहले मिलता है। आपके जेहन में भी ऐसे सवाल आए हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए एक नई जानकारी वाला हो सकता है।
क्या है क्रोम चैनल
सबसे पहले यही समझते हैं कि गूगल क्रोम चैनल क्या हैं? दरअसल क्रोम चैनल गूगल क्रोम ब्राउजर के अलग-अलग वर्जन को कहा जाता है। कंपनी अपने यूजर्स को अलग-अलग वर्जन इस्तेमाल करने की सुविधा देती है। हालांकि, हर क्रोम चैनल की अलग खूबियां होती हैं। गूगल क्रोम ब्राउजर के लिए चार चैनल पेश करता है।
Stable channel
गूगल क्रोम का पहला वर्जन स्टेबल चैनल (Stable channel) है। इस चैनल का इस्तेमाल गूगल के अधिकतर यूजर्स करते हैं। यानी अगर आप सोच रहे हैं कि आपके फोन में गूगल क्रोम का कौन-सा वर्जन है तो इसका जवाब स्टेबल चैनल (Stable channel) होने के ज्यादा चांस हैं। दरअसल क्रोम के इस वर्जन को हर 6 हफ्तों में अपडेट किया जाता है। यह चैनल आम यूजर्स के लिए ही लाया गया है।
Extended stable channel
गूगल क्रोम का दूसरा वर्जन एक्सटेंडेड स्टेबल चैनल (Extended stable channel) है। इस चैनल पर कंपनी फीचर्स को जल्दी रोलआउट नहीं करती, लेकिन सिक्योरिटी से जुड़े बग को फिक्स किए जाने का काम किया जाता है।Beta Channel
गूगल क्रोम अपने यूजर्स को बीटा चैनल (Beta Channel) का ही ऑप्शन देता है। स्टेबल वर्जन से अलग इस चैनल में यूजर्स को कंपनी के नए फीचर्स पहले इस्तेमाल करने की सुविधा मिलती है। यानी जहां एक ओर आम यूजर्स के लिए किसी फीचर्स को लाने में समय लगता है वहीं, बीटा यूजर्स नए फीचर्स को बिना देरी के इस्तेमाल कर सकते हैं। इन यूजर्स के लिए कंपनी फीचर्स के अलावा, बग भी पहले फिक्स कर देती है। इस चैनल को हर चार हफ्तों में अपडेट कर रिलीज किया जाता है। Dev channel
गूगल अपने यूजर्स को स्टेबल और बीटा चैनल के अलावा, देव चैनल (Dev channel) का भी ऑप्शन देती है। यह चैनल एक अनस्टेबल चैनल होता है। यानी इसमें लगातार बदलाव होते रहते हैं। गूगल क्रोम के इस चैनल के लिए नए अपडेट्स हर हफ्ते रिलीज किए जाते हैं।Canary channel
गूगल यूजर्स को कैनरी चैनल (Canary channel) का ऑप्शन भी दिया जाता है। इस चैनल पर कंपनी सबसे ज्यादा एक्सपेरिमेन्ट्स करती है। इसी तरह किसी बग को फिक्स करने का टेस्ट भी इसी वर्जन पर किया जाता है। गूगल का यह चैनल रोजाना नए अपडेट के साथ रिलीज किया जाता है।
गूगल क्रोम का दूसरा वर्जन एक्सटेंडेड स्टेबल चैनल (Extended stable channel) है। इस चैनल पर कंपनी फीचर्स को जल्दी रोलआउट नहीं करती, लेकिन सिक्योरिटी से जुड़े बग को फिक्स किए जाने का काम किया जाता है।Beta Channel
गूगल क्रोम अपने यूजर्स को बीटा चैनल (Beta Channel) का ही ऑप्शन देता है। स्टेबल वर्जन से अलग इस चैनल में यूजर्स को कंपनी के नए फीचर्स पहले इस्तेमाल करने की सुविधा मिलती है। यानी जहां एक ओर आम यूजर्स के लिए किसी फीचर्स को लाने में समय लगता है वहीं, बीटा यूजर्स नए फीचर्स को बिना देरी के इस्तेमाल कर सकते हैं। इन यूजर्स के लिए कंपनी फीचर्स के अलावा, बग भी पहले फिक्स कर देती है। इस चैनल को हर चार हफ्तों में अपडेट कर रिलीज किया जाता है। Dev channel
गूगल अपने यूजर्स को स्टेबल और बीटा चैनल के अलावा, देव चैनल (Dev channel) का भी ऑप्शन देती है। यह चैनल एक अनस्टेबल चैनल होता है। यानी इसमें लगातार बदलाव होते रहते हैं। गूगल क्रोम के इस चैनल के लिए नए अपडेट्स हर हफ्ते रिलीज किए जाते हैं।Canary channel
गूगल यूजर्स को कैनरी चैनल (Canary channel) का ऑप्शन भी दिया जाता है। इस चैनल पर कंपनी सबसे ज्यादा एक्सपेरिमेन्ट्स करती है। इसी तरह किसी बग को फिक्स करने का टेस्ट भी इसी वर्जन पर किया जाता है। गूगल का यह चैनल रोजाना नए अपडेट के साथ रिलीज किया जाता है।