Inflight Internet: हजारों फीट की ऊंचाई पर भी फास्ट इंटरनेट का मजा, इस तरकीब से बनेगी बात
हवाई जहाज में लोगों को इंटरनेट देने का तरीका थोड़ा अलग होता है। इसके लिए सैटेलाइट बेस्ड वाई-फाई सिस्टम की मदद ली जाती है। जिसे इफ्लाइट इंटरनेट कहते हैं। भारत सरकार ने इनफ्लाइट इंटरनेट के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी थी लेकिन महामारी के कारण इस पर तेजी से काम नहीं हो पाया। हालांकि आने वाले महीनों में इसके शुरू होने की उम्मीद है।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। आप हवाई यात्रा पर हैं और जल्द से जल्द काम खत्म करना चाहते हैं, लेकिन इंटरनेट न चल पाने के कारण काम में अड़चन आ रही है। ऐसे में Inflight Internet एक ऐसा तरीका है, जिसकी मदद से आप किंडल पर किताबें लोड कर सकते हैं। ईमेल कर सकते हैं। फोटो-वीडियो सेंड कर सकते हैं और भी कई काम हैं, जो इनफ्लाइट इंटरनेट के जरिये किए जा सकते हैं। आमतौर पर इनफ्लाइट इंटरनेट सिस्टम दो तरह के होते हैं। लेकिन हमारी हवाई यात्रा के दौरान कौन-सा ज्यादा अच्छा होता है और इसे सबसे पहले कहां शुरू किया गया है। यहां बताने वाले हैं।
इनफ्लाइट इंटरनेट क्या है?
हवाई जहाज में इंटरनेट सिस्टम थोड़ा अलग होता है। जिसे इनफ्लाइट इंटरनेट सिस्टम कहते हैं। हवाई जहाज में इंटरनेट सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए सैटेलाइट बेस्ड वाई-फाई सिस्टम की मदद ली जाती है। इसमें प्लेन के ऊपर और नीचे एंटीना लगे होते हैं। ये एंटीना पृथ्वी का चक्कर लगा रहे सैटेलाइट से सिग्नल लेते हैं। इन सिग्नल को पाने के लिए एंटीना को लगातार अपनी पोजिशन बदलनी होती है।
सैटेलाइट बेस्ड वाई-फाई सिस्टम
इनफ्लाइट इंटरनेट सिस्टम दो तरह के हो सकते हैं। पहला एयर टू ग्राउंड (ATG) या सैटेलाइट बेस्ड वाई-फाई सिस्टम, जो आमतौर पर हवाई जहाज में इंटरनेट सुविधा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ATG सिस्टम उन्हीं सेलफोन टावर का इस्तेमाल करते हैं, जो कम्युनिकेशन के लिए जमीन पर इस्तेमाल किए जाते हैं। ATG के साथ वाई-फाई की गति आमतौर पर धीमी होती है, लगभग 3 एमबीपीएस। यानी भले ही हवाई जहाज में इंटरनेट देने का तरीका थोड़ा अलग है, लेकिन स्पीड अमूमन वही रहती है, जो जमीन पर मिलती है।