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Elon Musk की न्यूराचिप लगे पेशेंट ने सिर्फ सोचकर X पर किया पोस्ट और खेली ऑनलाइन गेम, कैसे काम करती है ये टेक्नोलॉजी

एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने बीते दिनों इंसान के दिमाग में चिप लगाकर खूब सुर्खियां बटोरी हैं। दिमाग में चिप लगवाने वाले पेशेंट नोलैंड ने पहली बार सिर्फ सोचकर एक्स पर पोस्ट किया है। उनके पोस्ट को एलन मस्क ने शेयर किया है। इससे पहले उनका एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें वे सोचकर ऑनलाइन गेम खेल पा रहे थे।

By Subhash Gariya Edited By: Subhash Gariya Updated: Mon, 25 Mar 2024 12:38 PM (IST)
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एलन मस्क ने साल 2016 न्यूरालिंक की स्थापना की थी।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने कुछ महीने पहले पहली बार इंसानी दिमाग में चिप लगाई थी। दिमाग में चिप लगाने वाले पेशेंट नोलैंड आर्बोघ ने पहली बार सिर्फ सोचकर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया है। कुछ दिनों पहले नोलैंड कम्प्यूटर पर गेम खेलने का वीडियो भी शेयर किया था। उन्होंने जनवरी 2024 में अपने दिमाग में न्यूरालिंक की टेलीपैथी चिप लगाई थी।

सिर्फ सोच किया पोस्ट

एक्स पर नोलैंड आर्बॉघ ने फनी पोस्ट करते हुए लिखा कि पहले मुझे बॉट समझकर बैन कर दिया था। बाद में मस्क और एक्स ने मुझे परमिशन दी क्योंकि मैं एक बॉट हूँ। उनके ट्वीट को एलन मस्क रिपोस्ट करते हुए लिखा कि न्यूरालिंक टेलीपैथी डिवाइस की मदद से सिर्फ सोचकर पोस्ट किया है।

सिर्फ सोचकर खेली ऑनलाइन गेम

कुछ दिन पहले नोलैंड का वीडियो शेयर किया गया था, जिसमें वे ऑनलाइन चेस खेलते दिख रहे थे। उन्होंने बताया कि एक्सीडेंट में पैरालाइज हो जाने के बाद उन्होंने इस गेम को खेलना छोड़ दिया था, लेकिन अब वे फिर से इस गेम को खेल पा रहे हैं।

न्यूरालिंक क्या है?

एलन मस्क ने कुछ इंजीनियर्स के साथ मिलकर 2016 में न्यूरालिंक की स्थापना की थी। उनकी कंपनी ब्रेन चिप इंटरफेस (BCI) बना रही है। इसे इंसान की खोपड़ी में इम्प्लांट किया जाएगा। कंपनी का दावा है कि इस चिप की मदद से लकवाग्रस्त या विकलांग मरीज एक बार फिर से चल और कम्युनिकेट कर पाएंगे। न्यूरालिंक की पहली चिप का नाम N1 Implant है।

कैसे काम करती है चिप?

न्यूरालिंक इंसानी दिमाग में जिस चिप को लगा रहा है, उसका साइज किसी छोटी घड़ी के डायल जैसा है। इसमें चिप, बैटरी और थ्रेड्स शामिल हैं। इस डिवाइस के थ्रेड्स में इलेक्ट्रोड्स हैं, जो दिमाग के अंदर चलने वाली न्यूरल एक्टिविटी को ट्रैक और ट्रांसमिट करते हैं।

इस चिप में 64 थ्रेड्स दिए गए हैं, जिसमें 1024 इलेक्ट्रोड्स हैं। ये थ्रेड्स इंसान के बाल से भी पतले हैं और इन्हें एक विशेष निडल से दिमाग में इम्प्लांट किया जाता है।

सोचने से ही कंट्रोल होंगे स्मार्ट डिवाइस

थ्रेड्स की मदद से यह डिवाइस दिमाग में चलने वाली न्यूरल एक्टिविटी को रिकॉर्ड और प्रॉसेस करती है। इसके साथ ही इस डेटा को N1 User App तक ट्रांसमिट करती है।

N1 User App को न्यूरालिंक ने डेवलप किया है, जो N1 Implant के जरिए दिमाग में चलने वाली न्यूरल एक्टिविटी को डिकोड करता है। इसकी मदद से दिमाग में चिप लगवाने वाला व्यक्ति सिर्फ सोचकर ही कम्प्यूटर कंट्रोल कर सकता है।

कंपनी का कहना है कि यह सिस्टम समय के साथ-साथ किसी टास्क को करते हुए इंसान के दिमाग में चलने वाली न्यूरल एक्टिविटी और कल्पना को बेहतरी से समझेगा और उसी तरह से आगे काम करेगा।

न्यूरालिंक फिलहाल ऐसे लोगों पर ट्रायल कर रहा है, जो लकवाग्रस्त हैं और वे उनसे कम्प्यूटर या स्मार्टफोन कंट्रोल करने पर काम कर रहे हैं। इसकी मदद से भविष्य में व्हीलचेयर कंट्रोल किया जा सकता है।

...अब आगे क्या?

Neuralink का ट्रायल लकवाग्रस्त मरीजों पर चल रहा है। BCI को लेकर मस्क का कहना है कि वे इससे मानवता की मदद करना चाहते हैं। हालांकि, चिंता इस बात की है यह टेक्नोलॉजी इंसानी दिमाग को सुपरचार्ज्ड करने में सक्षम है, जो सामाजिक असमानता को बढ़ा सकती है।

एलन मस्क ने न्यूरालिंक की चिप लगवाने वाले पेशेंट का अपडेट देते हुए बताया कि उनकी कंपनी का अगला लक्ष्य कॉम्प्लेक्स इंटरैक्शन को सक्षम करना है। एलन मस्क सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जिक्र कर चुके हैं कि इस चिप के जरिए मात्र सोचने से ही फोन, कम्प्यूटर या किसी भी तरह के स्मार्ट डिवाइस को कंट्रोल किया जा सकता है।  

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