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Two Factor Authentication के बारे में कितना जानते हैं आप? साइबर ठगी से बचाने में कितना कारगर है ये फीचर

Two Factor Authentication क्या होता है? इंटरनेट यूजर को इस सिक्योरिटी फीचर की जरूरत क्यों होती है इस सिक्योरिटी फीचर के फायदों के साथ नुकसान के बारे में इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं। फोटो- (जागरण ग्राफिक्स)

By Shivani KotnalaEdited By: Shivani KotnalaUpdated: Tue, 20 Jun 2023 07:00 PM (IST)
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What Is Two Factor Authentication Pros And Cons Of This Security Feature
नई दिल्ली, टेक डेस्क। आज हर काम को ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी किया जा सकता है। ऑनलाइन सुविधाओं के जरिए यूजर अपने समय और मेहनत की बचत कर सकते हैं। हालांकि, कई बार यह सहूलियतें यूजर के बड़े नुकसान की वजह भी बन जाती हैं। यूजर की प्राइवेट और बैंकिंग जानकारियों को इंटरनेट पर चुराए जाने का खतरा बना रहता है।

यही वजह है कि ऑनलाइन जानकारियों को सुरक्षित रखे जाने की जरूरत महसूस होती है। ऑनलाइन जानकारियों को सुरक्षित रखने के लिए ही टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन फीचर काम आता है। टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन फीचर क्या है और इसके क्या फायदे हैं, इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं। इसके साथ इस आर्टिकल में इस फीचर के नुकसान को भी जानने की कोशिश करेंगे-

क्या है टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन?

आसान भाषा में समझें तो टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन इंटरनेट यूजर को उसके ऑनलाइन अकाउंट के लिए सिक्योरिटी की एक्स्ट्रा लेयर है।

इंटरनेटर यूजर द्वारा ऑनलाइन सेवाओं के लिए अकाउंट बनाए जाने की जरूरत होती है। इस ऑनलाइन अकाउंट को यूजर नेम और पासवर्ड के साथ लॉग-इन किया जाता है। हालांकि, यूजर के अकाउंट को यूजर ही एक्सेस करे, इसके लिए वेरिफिकेशन की जरूरत होती है।

यूजर को अपने ही अकाउंट का इस्तेमाल करने के लिए दो अलग ऑथेंटिकेशन फैक्टर उपलब्ध करवाने की जरूरत होती है। ऑनलाइन अकाउंट पर लॉग-इन के लिए अक्सर सिक्योरिटी टोकन, बायोमैट्रिक जैसे फिंगरप्रिंट या फेसियल स्कैन का इस्तेमाल होता है। अकाउंट लॉग-इन का यही तरीका टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन कहलाता है।

किसी ऑनलाइन अकाउंट को लॉग-इन करने या पेमेंट के लिए आपके स्मार्टफोन पर ओटीपी का आना टू-फैक्टर फीचर ही है।

टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन के फायदे क्या हैं?

टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन की जरूरत को इसके फायदों के बाद समझा जा सकता है। टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन यूजर के लिए अलग-अलग तरीकों से फायदेमंद है।

सिक्योरिटी- आपके द्वारा बनाए गए अकाउंट को आप ही इस्तेमाल करें, इसके लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन फीचर आपको सुनिश्चित कर सकता है। इतना ही नहीं, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन फीचर सिक्योरिटी ऑनलाइन पेमेंट को भी सुरक्षित बनता है।

हैकिंग- टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन फीचर यूजर को ऑनलाइन ठगी से भी बचाने का काम करता है। हैकिंग जैसे खतरों को टालने के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन पर भरोसा किया जा सकता है। इस फीचर की मदद से अनऑथराइज्ड एक्सेस को रोका जा सकता है।

कीमत- इस फीचर को बहुत ज्यादा खर्चिला नहीं माना जाता है। यह यूजर के ऑनलाइन डेटा की सिक्योरिटी के लिए दूसरे फीचर से कम कीमत पर बेहतर फीचर है। कुछ अकाउंट के लिए इस तरह के फीचर के लिए किसी तरह का कोई चार्ज नहीं लिया जाता है। यह फ्री-ऑफ कोस्ट होता है।

टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन के नुकसान क्या हैं?

समय- टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन पक्की सिक्योरिटी की खूबी के साथ तो आता है, लेकिन इस फीचर में यूजर का बहुत अधिक समय लगता है। कई बार ऑनलाइन अकाउंट को जल्दी एक्सेस करने की जरूरत होती है, ऐसे में फीचर का नुकसान है कि इसमें जानकारियों के वेरिफिकेशन के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है।

हैकिंग- टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करने के बाद यूजर ऑनलाइन ठगी का शिकार नहीं होगा, इसकी गारंटी नहीं ली जा सकती है। यह टूल 100 प्रतिशत सिक्योरिटी की गारंटी नहीं देता है।

परफॉर्मेंस- इस फीचर की परफॉरमेंस को लेकर भी ब्रेकडाउन होने की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में प्रोडक्टिविटी और कीमती समय का नुकसान होता है।