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साइबर अटैक के दौर में क्यों जरूरी है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, जानें यहां

Blockchain technology and Cyber Attack साइबर सिक्योरिटी और ब्लॉकचेन दोनों ही साइबर अपराध को रोकने का काम करते हैं। लेकिन आखिर दोनों किस तरह से एक दूसरे से अलग हैं। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से..

By Saurabh VermaEdited By: Updated: Tue, 09 Aug 2022 08:18 AM (IST)
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Photo Credit - Blockchain Technology file Photo
नई दिल्ली, टेक डेस्क। इंटरनेट और कनेक्टेटेड डिवाइस की वजह से आज के दौर में साइबर अपराध को अंजाम देना आसान हो गया है। ऐसे में साइबर अपराध के बढ़ते दौर में ब्लॉकचेन और साइबर सिक्योरिटी रेस्क्यू बनकर उभर रहे हैं। बता दें कि साइबर सिक्योरिटी और ब्लॉकचेन दोनों ही साइबर अपराध को रोकने का काम करते हैं। लेकिन आखिर दोनों किस तरह से एक दूसरे से अलग हैं। आइए जानते हैं इस बारे में New Edge Soft Sol Private Limited (IaaS) के फाउंडर और ब्लॉकचेन एक्सपर्ट प्रदीप नरवाल से.. 

साइबर सिक्योरिटी और ब्लॉकचेन में अंतर क्या है?

दोनों ही साइबर अपराध को रोकने में करती हैं। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी हर एक लेनदेन को पारदर्शी बनाने का काम करता है। जबकि साइबर सिक्योरिटी अपराध को होने से कैसे कम किया जा सकता है इस बारे में जानकारी देता है।

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी साइबर अपराध रोकने में कैसे मददगार है?

ब्लॉकचेन पर स्टोर डेटा बेहद एन्सक्रिप्टेड होता है, जिसे क्रिप्टोग्रॉफी के नाम से जाना जाता है। यह यूजर्स को हायर लेवल का एन्क्रिप्शन मुहैया कराता है। यह किसी भी तरह के फ्रॉड को रोकने में मददगार है। साथ ही ओनरशिप डेटा को बेहद अच्छी तरह से वेरिफाई करता है। ब्लॉकचेन बेस्ड टेक्नोलॉजी में कोई भी लेन-देन कई नेटवर्क पर संग्रहीत और रिकॉर्ड किए जाते हैं, जिससे हैकर्स के लिए किसी भी डेटा को चोरी करना या छेड़छाड़ से छेड़छाड़ संभव नहीं है।

ब्लॉकचेन पर हैकिंग कैसे संभव नहीं है?

ब्लॉकचेन एक यूनिक टेक्नोलॉजी हैं, जिस पर कोई भी अपडेट होता है, तो वो दुनियाभर में दिखता है। मतलब हैकर्स एक देश सिस्टम को हैक करके ब्लॉकचेन के रिकॉर्ड में बदलाव कर सकते हैं। लेकिन पूरी दुनिया के सिस्टम को एक हैक करना संभव नहीं है। इस तरह से ब्लॉकचेन बेस्ड टेक्नोलॉजी में हैकिंग नहीं की जा सकती है। साथ ही इस टेक्नोलॉजी में किसी भी सेंट्रल बॉडी की जरूरत नहीं होती है। सारे बदलाव और लेनदेन हर एक व्यक्ति के सामने होते हैं, जिससे गड़बड़ी संभव नहीं है।

ब्लॉकचेन की एंट्री से टेक्नोलॉजी की दुनिया में क्या बदलाव दिखेंगे?

ब्लॉकचेन की एंट्री से टेक्नोलॉजी की दुनिया में कई तरह के बदलाव दिखेंगे। जैसे मौजूदा दौर में इंटरनेट ऑफ थिंग (IoT) प्रोडक्ट स्मार्ट सिक्योरिटी कैमरा, रेफ्रिजरेटर और टीवी सभी वेब 2.0 पर काम करते हैं। इन IOT प्रोडक्ट के सभी डेटा को क्लाउड-आधारित सर्वर पर स्टोर किया जाता है। क्लाउट आधारित थर्ड पार्टी सर्विस होती है। ऐसे में आपके डेटा चोरी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। लेकिन ब्लॉकचेन में डेटा सेंट्रलाइज नहीं होता है। ऐसे में डेटा चोरी संभव नहीं है।

फेक इंजीनियरिंग के कितने गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं?

साइबर हमलों की घटना आम हो गई है। साइबर हमलों की वजह से बड़ी-बड़ी कंपनियों का काम-काज बंद हो जाता है पिछले माह रैंसमवेयर हमलों की वजह से स्पाइसजेट एयरलाइंस के सर्वर जाम हो गए थे। इससे यात्री घंटों तक एयरपोर्ट पर फंसे रहे। ब्लॉकचैन का डिसेंट्रलाइज्ड सिसिटम साइबर हमले से सर्वर जाम नहीं होने देता है। हैकर्स खतरनाक या फिर फेक इंजीनियर्ड लिंक शेयर करते हैं जिसे ओपन करते ही सिस्टम हैक हो जाता है। साथ ही लिंक को कुछ ऐसे डिजाइन किया जाता है कि हैकर्स का कंट्रोल अथेंटिकेशन पेज के लॉगिन पर हो जाता है। इसके बाद बैक-एंड में कॉल और अन्य डेटा को चोरी कर लिया जाता है।

डॉक्यूमेंट वेरिफेकेशन में ब्लॉकचेन कैसे मददगार है?

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में डेटा वेरिफिकेशन आसान हो जाएगा। ब्लॉकचेन में कोई भी डेटा को कहीं से भी जांच सकेगा, क्योंकि ब्लॉकचेन में डेटा से छे़ड़छाड़ संभव नहीं है। मौजूदा वक्त में इंटरनेट कनेक्टिविटी होने के बावजूद फिजिकल तरीके से डॉक्यूमेंट वेरिफाई किए जाते हैं। लेकिन ब्लॉकचेन बेस्ड टेक्नोलॉजी में केवाईसी वेरिफिकेशन आसान हो जाएगा। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने एक ब्लॉकचेन स्टार्टअप को जाति प्रमाण पत्र को वेरिफाई की जिम्मेदारी दी है। उदाहरण के लिए मौजूदा वक्त में सरकार पासपोर्ट डेटा जैसे इन्फॉर्मेंशन, नाम, कॉन्टैक्ट डिटेल, बॉयोमेट्रिक डेटा, जैसे फिंगरप्रिंट, फेशियल रिकग्निशनल को सेंट्रलाइज्ड सर्वर पर स्टोर करती है। लेकिन अगर साइबर अटैल होता है, तो सभी की पर्सनल डिटेल लीक हो जाएगी। लेकिन ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में ऐसा संभव नहीं होगा।

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के एडॉप्शन को कैसे देख रहे है?

ऐसे में सभी कंपनियों को अपने नेटवर्क को सुरक्षित करने, संवेदनशील कॉन्फ़िगरेशन फ़ाइलों को एन्क्रिप्ट करने पर ध्यान देना चाहिए। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में इजाफा दर्ज किया जाएगा।