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World Post Day 2022: डिजिटल ने कैसे बदली पोस्टल की दुनिया, जानिए सब कुछ विस्तार से

World Post Day 2022 विश्व डाक दिवस के अवसर पर पत्र से एसएमएस ईमेल और व्हाट्सऐप की यात्रा तक को जानिए विस्तार से। साथ ही ये भी जानिए आज के डिजिटल युग में भारतीय पोस्ट सेवा कहाँ है?

By Kritarth SardanaEdited By: Updated: Sun, 09 Oct 2022 05:52 PM (IST)
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Letter Box & smartphones photo credit- Jagran File Photo

नई दिल्ली, कृतार्थ सरदाना। World Post Day 2022: एक जमाना था जब बहुत से लोग अपने दरवाजे पर टकटकी लगाए डाकिये का इंतज़ार करते थे। क्योंकि तब चिट्ठीयाँ ही अपने सगे संबंधियों के दुख-सुख, खुशी-गम बताती थीं। चिट्ठियों को लेकर लोगों की बेताबी को शायरों-गीतकारों ने भी अपने अपने अंदाज़ में बखूबी बयां किया है।

चिट्ठी आई है,चिट्ठी आई है। डाकिया डाक लाया,खुशी का पैगाम कहीं,कहीं दर्दनाक लाया। ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर,तुम नाराज ना होना। संदेशे आते हैं,हमें तड़पाते है, जो चिट्ठी आती है वो पूछे जाती है कि घर कब आओगे। ऐसे कितने ही गीत जब जब फिल्मों में आए वे लोकप्रिय भी बहुत हुए।

लेकिन अब डिजिटल ने पोस्टल की उस पुरानी दुनिया को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। अब संदेशों के लिए कई कई दिन तक खतों-पत्रों-चिट्ठियों का इंतज़ार नहीं करना पड़ता। मोबाइल के माध्यम से एक एसएमएस या व्हाट्सएप से पलक झपकते ही हमारा संदेश दुनिया के किसी भी कोने में पहुँच जाता है। इसलिए अब गीतकार भी फिल्मों में चिट्ठी पर नहीं मोबाइल पर गीत बनाते हैं-वॉट इज यूअर मोबाइल नंबर।

कई रूप बदले हैं डाक व्यवस्था ने 

हालांकि भारत में सदियों तक डाक व्यवस्था के भिन्न भिन्न रूप मौजूद रहे। कभी कबूतर इधर से उधर पत्र ले जाते थे ऐसे भी संकेत मिलते हैं। फिर सन 1296 में खिलजी और 1541 में शेरशाह जैसे बादशाह ने डाक के महत्व को समझते हुए घोड़ों को डाक प्रेषण का माध्यम बनाया। उधर 18 वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने भी घोड़ों और घोडा गाड़ी के जरिये डाक प्रणाली की स्थापना की। विश्व का पहला डाक घर 1712 में स्कॉटलैंड में शुरू हुआ। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में आने पर 31 मार्च 1774 को कोलकाता में देश का पहला डाकघर स्थापित किया। जबकि विश्व डाक दिवस मनाने की शुरुआत 9 अक्तूबर 1969 से हुई। भारत में तो 9 से 15 अक्तूबर तक राष्ट्रीय डाक सप्ताह भी मनाया जाता है।

Digital ने खोला संचार का नया अध्याय 

यूं डाकघर आज भी कुछ मायनों में काफी अहम हैं। लेकिन पहले ई मेल और फिर एसएमएस और व्हाट्सएप से वह पुराना सुनहरा दौर इतिहास में बदलता जा रहा है। सन 1992 में दुनिया में पहला SMS भेजा गया था। और तभी से पोस्टल युग के दौर में बदलाव आना शुरू हो गया।

सन 2000 के बाद भारत में भी बहुत तेज़ी से बदलाव देखने को मिला। एक ओर मोबाइल फोन सस्ते हो रहे थे तो दूसरी ओर टेलीकॉम कंपनियों ने भी SMS को लेकर अपने मासिक पैक निकाल दिये थे। जहां आम आदमी ने एसएमएस भेजना शुरू कर दिया था तो कंपनियाँ और बड़े बड़े ऑफिस ईमेल का प्रयोग करने लगे थे।

भारत समेत पूरी दुनिया भर के लोग डाक तार के लंबे सिस्टम को छोड़ कॉल, एसएमएस और ईमेल पर शिफ्ट हो चुके थे। जिसे देखे लग रहा था लोग अब हमेशा कॉल,एसएमएस और ईमेल के सहारे अपने संदेश भेजते रहेंगे। लेकिन Whatsapp और Skype ने फिर एक नए युग की शुरुआत की। जिसने दुनिया के किसी भी कोने में इंस्टेंट मेसेजिंग, कॉलिंग के साथ वीडियो कॉलिंग की भी सुविधा दे दी।

यह दोनों सेवाएँ पूरी दुनिया में बहुत तेज़ी से लोकप्रिय हुई। क्योंकि यह सुविधा बिलकुल मुफ्त थी इसलिए इसने हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। बाद में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, गूगल मीट, गूगल डुओ, ज़ूम, माइक्रोसॉफ़्ट मीट इन सब ने मिलकर एक संचार की दुनिया को ही पूरी तरह बदल दिया है।

India Postal Service आज कहाँ है?

आज भले ही संचार के माध्यम बदल चुके हैं। लेकिन किसी को कोई वस्तु तो हम फोन या ईमेल के जरिये नहीं भेज सकते। भारतीय डाक की पार्सेल सेवा आज भी सबसे विश्वसनीय मानी जाती है। जहां अन्य पार्सेल में लोगों का समान गुम हो जाता है लेकिन भारतीय डाक की पार्सेल सेवा इन सब में से अलग है। यही कारण है कि फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसी विदेशी कंपनियाँ भी भारतीय डाक सेवा के जरिये ग्राहकों तक अपने समान पहुंचा रही है।

हालांकि इनके पास ऑर्डर काफी बड़ी संख्या में आते हैं जिस कारण ये अपने सारे ऑर्डर भारतीय डाक सेवा से नहीं भेज सकते। इसके साथ ही Speed Post भी किसी भी निजी कूरियर कंपनी के मुकाबले बेहद सुरक्षित मानी जाती है। यही कारण है कि आज भी डाक घरों में स्पीड पोस्ट और पार्सेल के लिए लाइन लगी रहती है।

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