कटघरे में चैटजीपीटी आधारित एआई टेक्नोलॉजी, दूसरी टेक कंपनियों की तरह मिलेगी कानूनी सुरक्षा?
ओपनएआई जैसी जेनेरेटिव एआई चैटबॉट विकसित करने वाली कंपनियां माइक्रोसॉफ्ट अल्फाबेट के गूगल से बार्ड को मानहानि या गोपनीयता के उल्लंघन जैसे कानूनी दावों से बचाया जाना चाहिए या नहीं यह आने वाले समय में एक नहीं बहस का मुद्दा बन सकता है। (फोटो- जागरण)
By Shivani KotnalaEdited By: Shivani KotnalaUpdated: Tue, 25 Apr 2023 09:15 AM (IST)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। बीते साल अमेरिका की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी ओपनएआई ने अपने चैटबॉट मॉडल को पेश किया। कंपनी का चैटबॉट मॉडल चैटजीपीटी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है। यह ह्यूमन-लाइक टेक्स्ट जेनेरेट करने की खूबियों के साथ आता है।
दुनिया भर के देशों के लिए यह नई तकनीक ध्यान आकर्षित करने वाली रही। हालांकि, जहां एक ओर यूजर्स इसकी खूबियों को पसंद कर रहे हैं वहीं, नई टेक्नोलॉजी को लेकर बहुत सी परेशानियां भी सामने आई हैं।
टेक्नोलॉजी कंपनियों को कानूनी सुरक्षा
जानकारों की मानें तो समाज में गलत जानकारियों के फैलने का डर और साइबर क्रिमिनल द्वारा मॉडल का गलत प्रयोग जैसी बातें चैटजीपीटी से जुड़ी हैं। ऐसे में एआई तकनीक के लिए नियम-कानूनों की जरूरत समझी जा रही है।इसी कड़ी में अब माना जा रहा है कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट आने वाले समय में टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए कानून में ऐसे बदलाव कर सकती है, जिसका असर चैटजीपीटी जैसी एआई टेक्नोलॉजी पर पड़ सकता है।
दरअसल अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म द्वारा ऑनलाइन कंटेंट पोस्ट करने के दौरान कानूनी जिम्मेदारियों से बचाने के लिए कानून में बदलाव करने जा रही है। ऐसे में यह कानून कंपनियों द्वारा एल्गोरिथ्म का प्रयोग कर यूजर्स को टारगेट करने की स्थिति में भी लागू हो सकता है।