पढ़ने हैं Taslima Nasrin के Raw Brutal ट्रेजडिक स्टोरी? ये 5 Books सांप्रदायिकता के स्याह सच से कराएंगी रूबरू
Best Book Of Taslima Nasrin - आज बताने की जरूत नहीं है कि तसलिमा नसरीन एक बंग्लादेशी लेखिका हैं और उन्हें अपनी कृतियों की वजह से बंग्लादेश से निर्वासित होना पड़ा था। लेखिका तसलिमा नसरीन ने साल 1970 के दशक में अपने लेखन की शुरूआत किया था और महिलाओं के उत्पीड़न और इस्लामी कोड के खिलाफ तीखा व्यंग्य भी किया है।
Best Book Of Taslima Nasrin: अगर आप किताबों में रूचि रखते हैं तो आप तसलिमा नसरीन के नाम से अनजान नहीं होंगे। वे एक बंग्लादेशी लेखिका हैं और उन्हें अपनी कृतियों की वजह से बंग्लादेश से निर्वासित होना पड़ा था। लेखिका नसरीन ने 1970 के दशक से कविता, कहानी और लेख लिखना शुरू किया था और उन्होंने महिलाओं के उत्पीड़न और इस्लामी कोड के खिलाफ तीखे व्यंग्य किए हैं। अपनी Books में उन्होंने कहा है कि समाज ने महिलाओं को वस्तुतः पुरुषों की संपत्ति बना दिया है। बाद के दिनों में उनका विषय कामुक होता गया और पुरुषवादी सोच की उनकी निंदा अनवरत होती गई। मुस्लिम प्रथा के विपरीत वे अपने बालों को छोटे रखती थी और सिगरेट पीती थी, उन्होंने पारंपरिक मुस्लिम पोशाक का त्याग कर दिया था
यही कारण है कि 1962 में बांग्लादेश के मयमनसिंह शहर (तब पूर्वी पाकिस्तान) में जन्मी नसरीन के लेखन और व्यवहार ने मुसलमानों को नाराज कर दिया। साल 1993 में उनके काम पर आपत्ति जताने वालों के समूहों ने ढाका में उन किताबों की दुकानों पर हमला कर दिया और फतवा जारी कर दिया, जहां उनकी किताबों की बिक्री हो रही थी। यही कारण है कि उन्हें अपना देश छोड़ना पड़ा और वे स्वीडन के स भारत में अलग-अलग साल में अलग-अलग जगहों पर रही। वास्तव में नसरीन को उनके लिखे उपन्यास लज्जा के लिए जाना जाता है, जिसकी प्रतिक्रिया में उनके खिलाफ फतवा जारी हुआ था।
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Best Book Of Taslima Nasrin: तसलीमा नसरीन की किताबें
ज्यादादर लोग तसलिमा नसरीन को उनकी Book लज्जा के लिए जानते हैं, लेकिन उन्होंने इस किताब के अलावा कई और भी कई किताबें लिखीं, जो कि बेस्ट सेलर रही हैं। हम यहां पर आपको उनकी लिखी कुछ सबसे लोकप्रिय किताबों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
1. लज्जा (Lajja)
इस उपन्यास की शुरूआत 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद तोडे़ जाने के बाद बांग्लादेश के मुसलमानों की आक्रामक प्रतिक्रिया के बाद से होती है, जब वे हिन्दूओं पर टूट पड़ते हैं और उनके सैकड़ों धर्मस्थलों को नष्ट कर देते हैं। इस किताब में लेखिका ने साम्प्रदायिक माहौल को ठीक ही पहचाना है और उनका कहना है कि यह किताब उनके विरोध का प्रतीक है। यह विरोध है उस हिंसा, नफरत और मार-पीट के खिलाफ जो धर्म के नाम पर पूरी दुनिया में जारी है। इस Book To Read में भारत में बाबरी ढांचे के विनाश का बदला लेने के लिए भड़के दंगों के बाद बांग्लादेश में रहने वाले एक हिंदू परिवार के भयानक विघटन का वर्णन किया गया है, जो कि दिमाग को पूरी तरह से झकझोर देता है। Book Price: Rs 165.
2.बेशरम: लज्जा की उत्तर कथा (Besharam: Lajja Ki Uttar-Katha)
तसलीमा नसरीन का बेशरम उपन्यास उन लोगों के विषय में है, जो अपनी जन्मभूमि को छोड़कर किसी और देश में, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में, पराए माहौल और पराई आबोहवा में अपना जीवन बिता रहे हैं। कहने की ज़रूरत नहीं है कि तसलीमा ने यह जीवन बहुत नज़दीक से जिया है। उनकी वैश्विक स्तर पर चर्चित पुस्तक लज्जा के लिए उन्हें कट्टरपंथियों ने देश निकाला दे दिया था। लम्बा समय उन्होंने अपने मुल्क से बाहर बिताया है। इस उपन्यास में उन्होंने अपनी जड़ों से उखड़े ऐसे ही जीवन की मार्मिक और विचारोत्तेजक कथा कही है। Book Price: Rs 160.
3.औरत के हक में (Aurat Ke Haq Mein)
औरत के हक में नाम की किताब में तसलीमा नसरीन ने जीवन संघर्षों की कथा कही है और अपने लेखन के जरिये संघर्ष, विद्रोह और मुक्ति की पुकार को एकाकार किया है। इस Best Book Of Taslima Nasrin में जीवन में वे जो कुछ भी वर्जित, घृणित और उपेक्षित है, उन सबको एक उदात्त आयाम देकर प्रस्तुत करती हैं। तसलीमा को पढने के बाद आप वीभत्स सच से सामना करंगे और आपका नजरिया बदल जाएगा। इस Book To Read के माध्यम से तसलीमा फेमिनिज्म के बने-बनाए ढाँचों को तोड़कर उसका एक अलग पाठ प्रस्तुत करती हैं। Book Price: Rs 197.
4. दुखियारी लड़की की कहानी (Dukhiyari Ladki Ki Kahani)
तस्लीमा नसरीन की इस पुस्तक दुखियारी लड़की को पढ़ने से पढ़ने की क्षमता और अन्य व्यक्तिगत कौशल में सुधार होता है। यह पुस्तक उच्च गुणवत्ता वाली छपाई के साथ हिंदी भाषा में उपलब्ध है। कहानियों के संग्रह की सीरीज के साथ यह Best Book Of Taslima Nasrin निश्चित रूप से आपको पढ़ने का सबसे अच्छा एक्सपीरिएंस देती हैं। Book Price: Rs 136.
5. वे अंधेरे दिन (Ve Andhere Din)
इस Book To Read में तसलीमा उन दिनों का वर्णन करती हैं, जब उन्हें दो महीने घुप्प अंधेरे में आत्मगोपन करना पड़ा था। वह भी उनके अपने ही देश में ऐसा करना पड़ा था। इस किताब में बांग्लादेश में प्रकाशित आजकेर कागज, भोरेर कागज, इत्तफाक’ संवाद, बांग्ला बाजार, इन्क़लाब, दिनकाल और संग्राम जैसे दैनिक न्यूजपेपरों की उन दिनों की ख़बर ली गई हैं।
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