रक्तरंजित जम्मू-कश्मीर के इतिहास से लेकर कश्मीरी-पंडितों की अनकहीं कहानी मिलेंगी आपको इन किताबों के माध्यम से
जम्मू-कश्मीर समस्या को लेकर पिछले छः दशकों में अनेक भाषाओं में ढेरों साहित्य लिखा गया। इन ग्रंथों में Kashmir समस्या का विश्लेषण अलग-अलग दृष्टिकोणों से किया गया। विदेशी विद्वानों के लिए यह समस्या विशुद्ध रूप से वैधानिक व तकनीकी है जब कि भारत के लिए Jammu Kashmir समस्या नहीं है बल्कि विदेशी साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा छोड़ा गया वह घाव है जो अभी तक भरने का नाम नहीं ले रहा।
बेस्ट बुक टू रीड ऑन जम्मू एंड कश्मीर: जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir) 5 अगस्त 2019 तक भारत का एक राज्य था, जिसे अगस्त 2019 में विभाजित करके जम्मू और कश्मीर और लद्दाख नाम से दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। यह राज्य पहले ब्रिटिश भारत में एक रियासत थी जिसे जम्मू और कश्मीर रियासत कहा जाता था। भारत के विभाजन के बाद से राज्य का क्षेत्र भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच विवादित रहा है, जिनमें से तीनों अभी भी पूर्व रियासत के विभिन्न हिस्सों को नियंत्रित करते हैं।
जम्मू-कश्मीर की Books में बताया गया है कि Jammu Kashmir हिमालय पर्वत श्रृंखला के सबसे ऊंचे हिस्सों में स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता और संसाधनों के लिए जाना जाता है। साथ ही जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का क्षेत्र अपनी संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। यहां स्थित वैष्णो देवी और अमरनाथ की गुफाएं हिंदुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा का केंद्र रही हैं।
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बेस्ट बुक टू रीड ऑन जम्मू एंड कश्मीर (Best Books To Read On Jammu And Kashmir): पढ़ें जम्मू-कश्मीर का भारतीय इतिहास
जम्मू-कश्मीर समस्या को लेकर पिछले छः दशकों में अनेक भाषाओं में ढेरों साहित्य लिखा गया है। इन ग्रंथों में कश्मीर समस्या का विश्लेषण अलग-अलग दृष्टिकोणों से किया गया। विदेशी विद्वानों के लिए यह समस्या विशुद्ध रूप से वैधानिक व तकनीकी है, जब कि भारत के लिए कश्मीर समस्या नहीं है, बल्कि विदेशी साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा छोड़ा गया वह घाव है, जो अभी तक भरने का नाम नहीं ले रहा। जिन लोगों के हाथ में मरहम-पट्टी का काम था, उनकी लगाई गई मरहम ने घाव को खराब करने का काम किया, न कि ठीक करने का। ऐसे ही तमाम मुद्दों पर जो किताबें छपी है उनकी एक लिस्ट यहां पर आपको विस्तार से दी गई है।
1. Kashmir Aur Kashmiri Pandit - कश्मीर और कश्मीरी पंडित
यह किताब कश्मीर के उथल-पुथल भरे इतिहास में कश्मीरी पंडितों के लोकेशन की तलाश करते हुए उन सामाजिक-राजनैतिक प्रक्रियाओं की विवेचना करती है जो कश्मीर में इस्लाम के उदय, धर्मान्तरण और कश्मीरी पंडितों की मानसिक-सामाजिक निर्मिति तथा वहाँ के मुसलमानों और पंडितों के बीच के जटिल रिश्तों में परिणत हुईं। साथ ही, यह किताब आज़ादी की लड़ाई के दौरान विकसित हुए उन अन्तर्विरोधों की भी पहचान करती है जिनसे आज़ाद भारत में कश्मीर, जम्मू और शेष भारत के बीच बने तनावपूर्ण सम्बन्धों और इस रूप से कश्मीर घाटी के भीतर पंडित-मुस्लिम सम्बन्धों ने आकार लिया।
नब्बे के दशक में पंडितों के विस्थापन के लिए ज़िम्मेदार परिस्थितियों की विस्तार से विवेचना करते हुए यह किताब विस्थापित पंडितों के साथ ही उन कश्मीरी पंडितों से संवाद स्थापित करती है जिन्होंने कभी कश्मीर नहीं छोड़ा, और उनके वर्तमान और भविष्य के आईने में कश्मीर को समझने की कोशिश करती है। Ashok Kumar Pandey Book Price: Rs 304.
2. Jammu-Kashmir Sach to Yahi Hai - जम्मू-कश्मीर सच तो यही है
ये कहानियाँ इतिहास नहीं हैं, बावजूद इसके इन कहानियों को ऐतिहासिक दस्तावेज कहा जा सकता है, क्योंकि इनका आधार हमारे देश के इतिहास का सत्य है। Best Books To Read में जानकारी मिलेगी कि स्वतंत्रता प्राप्ति के सत्तर साल बाद भी Jammu And Kashmir की सरकारें कानून की आड़ में राज्य के उपेक्षितों पर जिस तरह अत्याचार व अनाचार करती रही हैं, वह दिल दहलानेवाला है। ये कहानियाँ जम्मू-कश्मीर में सत्तर सालों की सरकारी मनमानी का कच्चा चिट्ठा पाठक के सामने प्रस्तुत करती हैं।
पिछली चार पीढि़यों के दर्द की गाथा है ‘सच तो यही है’। कहानियों की दुनिया में पहली बार इस विषय पर, सत्य घटनाओं को आधार बनाकर कहानियाँ बुनने का प्रयास किया गया है। कहानियाँ पठनीय तो हैं ही, उसी के साथ हर मन को उद्वेलित करने वाली भी हैं। Dr. Asha Naithani Dayama Book Price: Rs 160.
3. Raktaranjit Jammu Kashmir - 'रक्तरंजित जम्मू कश्मीर'
भारत ही नहीं, आज संपूर्ण विश्व-पटल पर जम्मू कश्मीर के मुद्दे को ज्वलंत समस्या बना दिया गया है । जम्मू कश्मीर की वर्तमान परिस्थितियों पर अनेक लेखकों, पत्रकारों एवं समाज-सेवकों ने अपनी लेखनी चलाई है। किंतु यह पुस्तक अपने आप में एक अलग ही सच बयां करती है। 'रक्तरंजित जम्मू कश्मीर' वहाँ के सामाजिक परिवेश का सजीव दस्तावेज है। लेखक रवींद्र जुगरान ने वर्षों वहाँ रहकर आतंकवाद से पीड़ित समाज के दुःखों को प्रत्यक्ष अपनी आँखों से देखा है।
इस पुस्तक में लेखक ने जम्मू कश्मीर में नासूर बने आतंकवाद के सभी पहलुओं को अपने प्रत्यक्ष अनुभवों के आधार पर रेखांकित किया है। कश्मीर घाटी में शांति के प्रयासों के तहत विभिन वर्गों, उग्रवादी संगठनों तथा सरकार के बीच बातचीत के मुद्दे क्या हों, बातचीत में किनको शामिल किया जाए, बातचीत किनसे की जाए, जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर जनसामान्य और सरकार का ध्यान इस पुस्तक के माध्यम से अपनी ओर आकर्षित कराया गया है। Ravindra Jugran Book Price: Rs 174.
4. Jammu Kashmir Ki Ankahi Kahani - जम्मू कश्मीर की अनकही कहानी
जम्मू-कश्मीर के प्रमुख राजनीतिक दल प्रजा परिषद् ने पिछली शताब्दी के पाँचवें दशक में राज्य के विभिन्न मुद्दों को लेकर एक ऐतिहासिक आंदोलन चलाया था। इस आंदोलन में हजारों सत्याग्रही कारागार में बंद रहे। पंद्रह सत्याग्रहियों ने पुलिस की गोलियों का शिकार होकर शहादत प्राप्त की। Best Books To Read में आगे पड़े कि भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी इसी आंदोलन का समर्थन करते हुए Jammu And Kashmir सरकार द्वारा गिरफ्तार किए गए। श्रीनगर की जेल में उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। प्रजा परिषद् के इस आंदोलन का मुख्य स्वर यह था कि एक ही देश में दो संविधान, दो ध्वज और दो प्रधान नहीं हो सकते हैं। प्रजा परिषद् राज्य में भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से लागू करने की प्रबल समर्थक थी।
यह प्रजा परिषद् के आंदोलन का ही परिणाम था कि विदेशी शक्तियों के चंगुल में फंस रहे शेख अब्दुल्ला को उन्हीं की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने त्याग दिया, जिसके कारण उन्हें राज्य के प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ करना पड़ा। भारतीय संविधान की अधिकांश धाराएँ जम्मू-कश्मीर में भी लागू की गईं। परंतु प्रजा परिषद् के इस ऐतिहासिक आंदोलन का इतिहास अभी तक लिखा नहीं गया था और न ही उसका वैज्ञानिक विश्लेषण हुआ था। जम्मू-कश्मीर का यह एक ऐसा अध्याय है, जिसे समझे और जाने बिना राज्य के मनोविज्ञान को नहीं समझा जा सकता। प्रस्तुत ग्रंथ राज्य की उसी अनकही कहानी को प्रकाश में लाने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। Kuldeep Chand Agnihotri Book Price: Rs 180.
5. Mission Kashmir - मिशन कश्मीर
असम के बाद वर्ष 2003 में ले. जन. एस. के. सिन्हा जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल नुयक्त हुए। अपने छह वर्ष के कार्यकाल के दौरान कश्मीर समस्या के समाधान हेतु उन्होंने अपनी क्षमता और व्यापक अनुभव के बल पर क्या कुछ किया, प्रस्तुत पुस्तक में इसका विस्तृत वर्णन है। आतंकवाद के चलते जम्मू एवं कश्मीर में भारत की अंता और प्रभुसत्ता की रक्षा करना चुनौतीपूर्ण कार्य था और अभी भी है। अपने कार्यकाल के दौरान किस तरह लेखक ने इन चुनौतियों का सामना किया, वहाँ के लोगों को विश्वास में लिया, यह एक लंबी कहानी है। उन्होनें यहाँ की राजनीति में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी। राज्य के कई मुख्यमंत्रियों से उनका आमना-सामना हुआ। लेखक ने इनके साथ अपने संबंधों, सहयोग और विरोधाभासों का खुलकर उल्लेख किया है।
धार्मिक, ऐतिहासिक, सैन्य, आर्थिक और जातीय, कश्मीर समस्या के इन विभिन्न आयामों के बीच वहाँ एक सौहार्दपूर्ण वातावरण तैयार करना बेहद टेढ़ी खीर था। ऐसी स्थिति में उन्होंने कश्मीर में विद्रोह, आतंकवाद और छद्म युद्ध के दुष्चक्र को समझा और जाना कि धार्मिक कट्टरता ही यहाँ उग्रवाद की मुख्य जड़ है। उन्होंने लोगों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने का सार्थक प्रयास किया। उनके प्रयास से ही यहाँ कश्मीरियत को बल मिला। कश्मीर समस्या की वास्तविक सच्चाई और राज्य के सुरक्षा परिदृश्यों की जानकारी देती विचारप्रधान पुस्तक यह स्थापित करती है कि निस्संदेह कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और हमेशा रहेगा। Lt. Gen. S.K. Sinha Book Price: Rs 600.
6. Kashmir Ka Sanskritik Avabodh Aur Samkaleen Vimarsh - कश्मीर का सांस्कृतिक अवबोध और समकालीन विमर्श
स्वतंत्रता के बाद के 75 वर्षो में कुछ प्रत्यय अर्थात् गहन चर्चा के, गंभीर विमर्श के विषय बने रहे हैं। उनमें कश्मीरियत सबसे प्रमुख प्रत्यय है। Best Books To Read में बताया गया है कि कश्मीरियत अर्थात् कश्मीर की पहचान। Jammu And Kashmir के लोगों का वैशिष्ट्य पर इस विमर्श में सर्वदा दो हिस्से दिखाई देते रहे। एक वह जो कश्मीरियत को भारत से असंपृक्त, विभक्त और एकांतिक रूप में देखता रहा है तो दूसरी ओर वह जो कश्मीरियत को भारतीयता के उत्सबिंदु के रूप में देखता है। पर देखने की ये दोनों दृष्टियां सांस्कृतिक कम, राजनीतिक अधिक हैं।
यह पुस्तक कश्मीर को नए तरीके से नहीं बल्कि यत्न तरीके से देखने की ओर ले जाती है। इस विश्वास के साथ इस पुस्तक में सांस्कृतिक अवबोध और समकालीन विमर्श को काल के सातत्य में रखने की कोशिश की गई है। Kripashankar Chaubey Book Price: Rs 225.
7. Bharatiya Sahitya Mein Kashmir - कश्मीर में भारतीय साहित्य
जम्मू-कश्मीर सदा सर्वदा से भारतीय साहित्य में केंद्रीय स्थान रखता रहा है। जम्मू-कश्मीर, कश्मीर मंडल, शारदा क्षेत्र, सप्त सिंधु प्रदेश आदि विविध नामों से इतिहास, पुराण, नाटक, उपन्यास, कविता, कथा, कहानी, सर्वत्र संस्कृत सहित सभी आधुनिक भारतीय भाषाओं में स्थान प्राप्त करता रहा है। स्वतंत्रता के पूर्व, स्वतंत्रता के बाद और 1990 के बाद, ये तीन ऐसे विशिष्ट कालखंड हैं, जिनके बीच समस्त भारतीय साहित्य में कश्मीर संबंधी विमर्श और प्रस्तुतियां अलग-अलग रूपों में दिखाई देती हैं।
प्राकृतिक सुषमा से लेकर मानव निर्मित आपदाओं तक व्यक्ति और समाज के जीवन का कोई ऐसा रंग नहीं है जो कश्मीर में न हो और कश्मीर में जो कुछ होता रहा है, वह समकाल में ही भारतीय साहित्य में प्रतिध्वनित भी होता रहा है। उन सब को एक स्थान पर एकत्रित करना लगभग असंभव है, पर कश्मीर को ले करके विविध भारतीय भाषाओं में, सामासिक रूप से कहा जाए तो भारतीय साहित्य में जो कुछ भी लिखा गया है, रचा गया है, उन सबको प्रवृत्तिररक अनुशीलन के द्वारा प्रस्तुत करने के यत्न करने के रूप में यह पुस्तक उपादेय है। Kripashankar Chaubey Book Price: Rs 175.
8. Bharat Vibhajan (hindi) + Kashmir Aur Hyderabad - भारत विभाजन (हिन्दी) + कश्मीर और हैदराबाद
स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री और 'लौह पुरुष' की उपाधि प्राप्त सरदार पटेल कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे। पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने के उद्देश्य से स्वतंत्रता आदोलन में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। Best Books To Read On Jammu And Kashmir में आगे पड़े। उनके संपूर्ण राजनीतिक जीवन में भारत की महानता और एकता ही उनका मार्गदर्शक सितारा रहा। सरदार पटेल दो समुदायों के बीच आंतरिक मतभेद उत्पन्न करके 'बाँटो और राज करो' की ब्रिटिश नीति के कट्टर आलोचक थे।
भारत की एकता को बनाए रखना उनकी सबसे बड़ी चिंता थी। लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून, 1947 को अपनी योजना घोषित की। इसमें बँटवारे के सिद्धांत को स्वीकृति दी गई। इस योजना को कांग्रेस और मुसलिम लीग ने स्वीकार किया। प्रस्तुत पुस्तक में कश्मीर और हैदराबाद के भारत में विलय की राह में आई कठिनाइयों और उन्हें दूर करने में सरदार पटेल की अदम्य इच्छाशक्ति पर प्रामाणिक ढंग से प्रकाश डाला गया है। Book Price: Rs 558.
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