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Family Dispute: हाईप्रोफाइल पत्नी ने शादी के बाद पति से बोल दिया 'हाथ न लगाए किसी और की हूं',आगरा में टूट रहीं शादियां, सामने आई रिपोर्ट

Agra Latest News In Hindi परिवार न्यायालयों में हर दिन दायर हो रहे पति-पत्नी के 30 वाद। एक जनवरी 2023 से से 30 जून के दौरान 5519 वैवाहिक वाद हुए दाखिल। परिवार न्यायालयों में 30 जून 2023 तक 10748व वाद निलंबित। दंपती के बीच बढ़ते झगड़ों में अधिवक्ताओं की राय है कि माता और पिता का अधिक महत्व होता है। कि वे दोनों को समझाएं।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sun, 24 Dec 2023 07:17 AM (IST)
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Agra News: परिवार न्यायालयों में हर दिन दायर हो रहे पति-पत्नी के 30 वाद।
जागरण संवाददाता, आगरा। परिवार न्यायालयों में हर महीने 900 वैवाहिक वाद दायर हो रहे हैं। आगरा में पांच परिवार न्यायालय हैं। इनमें एक जनवरी 2023 से 30 जून 2023 के दौरान 5519 वैवाहिक वाद दाखिल हुए। 30 जून को 10,748 वैवाहिक विवाद न्यायालयों में लंबित थे। वहीं छह महीने में 5700 मामले निर्णीत हुए।

आगरा में दायर होने वाले नए मुकदमों में प्रतिमाह 920 मामले अर्थात प्रतिदिन 30 से अधिक मामले थे।सूचना के अधिकार के तहत इलाहाबाद उच्च न्यायालय से सूचना के अधिकार के तहत वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन को 25 सितंबर 2023 को उपलब्ध कराई गई।

केस एक: परिवार वालों की मर्जी के खिलाफ युवती ने प्रेम विवाह किया। प्रेमी के अतीत के बारे में कोई छानबीन नहीं की। शादी के कुछ महीने बाद पत्नी को जानकारी हुई कि पति के खिलाफ धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं। वह जेल भी जा चुका है। प्रेमी ने शादी से पहले यह बात छिपाई थी। पत्नी ने इसे लेकर विरोध किया तो पति ने उत्पीड़न शुरू कर दिया। पत्नी ने परिवार न्यायालय में वाद दायर कर तलाक ले लिया।

केस दो: शहर की रहने वाली उच्च शिक्षित युवती ने शादी के दूसरे दिन ही पति से कह दिया कि वह उसे पसंद नहीं करती है किसी और से प्यार करती है। माता-पिता ने जबरन उसकी शादी कर दी है। पति से कह दिया कि वह उसे हाथ नहीं लगाएगा। एक वर्ष तक पति ने समझाने का प्रयास किया। पत्नी प्रेमी को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी। दंपती ने सहमति से विवाह विच्छेद के लिए न्यायालय में वाद दायर किया है।

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परिवार न्यायालयों को मार्गदर्शन जारी करने की जरूरत: केसी जैन

सूचना के अधिकार के तहत परिवार न्यायालयों में वैवाहिक वादों की जानकारी हासिल करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन के अनुसार उच्च न्यायालय द्वारा परिवार न्यायालयों को मार्गदर्शन करने की जरूरत है। इससे कि लंबित मामलों का समयबद्ध रूप से निर्णय हो सके।

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केसी जैन ने शनिवार को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को मेल के माध्यम से भेजे गए पत्र में वैवाहिक मामलों निपटाने के लिए विशेष अभियान चलाने और उन्हें त्वरित गति से निस्तारित करने की मांग की है। पत्र में उल्लेख किया कि विशेष रूप से तलाक से संबंधित मामलों के संपर्क में विलंब का अत्यधिक चिंता का कारण है। वैवाहिक वाद, अपने स्वभाव में ही शादीशुदा जोड़ों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • परिवार न्यायालयों में वर्ष 2022 में 10,511 मामले दाखिल हुए।
  • वर्ष 2019 में 7880 और वर्ष 2018 में मात्र 4665 वाद दायर हुए थे।
  • एक जनवरी 2023 से 30 जून 2023 के दौरान प्रदेश के 75 जिलों के 190 परिवार न्यायालयों में 1.40 लाख से अधिक नए मामले दाखिल हुए।
  • 30 जून 2023 को प्रदेश के परिवार न्यायालयों में 3,87,349 मामले लंबित थे।
  • वर्ष 2018 में प्रदेश में लंबित वाद की संख्या 2,85,345, वर्ष 2019 में यह संख्या बढ़कर 3,11,701 और वर्ष 2022 में यह संख्या 3,93,712 हो गई।

अधिवक्ताओं की राय

वैवाहित मतभेद बहुत ज्यादा हैं। पति-पत्नी में कोई भी झुकना नहीं चाहता है। दंपती के संबंधों में उनके माता-पिता का दखल अधिक रहता है। पत्नियों की शिकायत अधिक रहती है। दुर्गेश सिंह अधिवक्ता परिवार न्यायालय

विवाह पूर्व संबंधों को शादी के बाद भी बरकरार रखने की मानसिकता भी न्यायालयों में बढ़ते वैवाहिक विवाद का एक कारण है। उच्च शिक्षित होने के साथ ही सहनशीलता में कमी आई है। जयवीर सिंह अधिवक्ता परिवार न्यायालय

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