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'दृश्‍यम' फिल्‍म की तरह रची साजिश, आगरा में दो करोड़ के लिए दोस्‍त का कत्‍ल, STF ने खोला पूरा मामला

आगरा में कोल्‍ड स्‍टोरेज स्वामी के इकलौते बेटे के दोस्तों ने हत्या को पेशेवरों से भी मजबूत की थी प्लानिंग। साधारण तरीके से हत्या के बाद दृश्यम मूवी की तरह सुबूत मिटाने की कोशिश। हर कदम पर पुलिस और स्वजन को गुमराह करते रहे हत्यारोपित।

By Prateek GuptaEdited By: Updated: Tue, 29 Jun 2021 11:32 AM (IST)
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आगरा में 25 वर्ष के युवक सचिन की हत्‍या, उसके दोस्‍तों ने दो करोड़ वसूलने के इरादे से कर दी।
आगरा, जागरण संवाददाता। शीतगृह स्वामी के इकलौते युवा बेटे सचिन की हत्या से पहले चीन से लौटे कारोबारी ने पेशेवर अपराधियों से भी अधिक मजबूत प्लानिंग की थी। घटना का सूत्रधार हर्ष, सचिन का ही पक्का दोस्त निकला तो इस वारदात को अंजाम देने के लिए पूरी प्लानिंग करने वाला दूसरा दोस्‍त सुमित था। हत्या करने से लेकर सुबूत मिटाने तक उन्होंने कोई चूक नहीं की। उन्होंने साधारण तरीके से गला दबाकर हत्या करने के बाद दृश्यम मूवी की तरह पुलिस सुबूत मिटाने और पुलिस को भ्रमित करने की कोशिश की थी। मगर, एसटीएफ टीम वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर उन तक पहुंच गई। इसके बाद परत दर परत मामला खुलता गया।

एसटीएफ के अनुसार सुमित आसवानी वर्ष 2007 में इंटरमीडिएट करने के बाद ही चीन में चला गया था। शादी के बाद वह पत्नी और दो बेटों को भी ले गया। वहां उसका गारमेंट के आयात-निर्यात का कारोबार था। दिसंबर 2019 में वह आगरा परिवार के साथ वापस आ गया था। उसके पिता पूर्व में दुबई में कारोबार करते थे। अभी वे पैरालाइज्ड हैं। चीन से लौटने के बाद से सुमित ने दयालबाग में सौ फीट रोड पर सीबीजेड स्पोर्ट्स क्लब खोल लिया था। सुमित ने ही हत्याकांड की पूरी प्लानिंग की थी।

ये था मामला

दयालबाग के जयराम बाग निवासी सुरेश चौहान का 25 वर्ष का बेटा सचिन चौहान 21 जून को दोपहर साढ़े तीन बजे घर से निकला था। इसके बाद वापस नहीं आया। दूसरे दिन उन्होंने न्यू आगरा थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। 23 जून से इस मामले में एसटीएफ लगा दी गई। एसटीएफ की टीम ने रविवार रात को वाटरवर्क्स चौराहा के पास से दयालबाग में तुलसी विहार निवासी सुमित आसवानी, कमला नगर निवासी हैप्पी खन्ना, मनोज बंसल उर्फ लंगड़ा, रिंकू और दयालबाग के सौरभ निकुंज निवासी हर्ष चौहान को गिरफ्तार कर लिया। इनके कब्जे से सात मोबाइल, 1200 रुपये ओर दो कार बरामद कर लीं। आरोपितों ने पूछताछ में घटना कुबूल ली।

ये की थी प्लानिंग

-सचिन को घर से बुलाने को आरोपित ने वाट्सएप काल की, जिससे काल डिटेल में उसका नंबर नहीं आए।

- पार्टी के बहाने एकांत में ले गए। वहां मनोज निगरानी पर रहा। हैप्पी ने हाथ और रिंकू ने पैर पकड़ लिए। सुमित ने सचिन के सीने पर बैठकर उसका गला दबाया। मुंह पर टेप लगाया और चेहरे पर लेमीनेशन वाली पालीथिन चिपका दी, जिससे गले और चेहरे पर निशान न बनें।सांस थमने के बाद टेप और पालीथिन हटा दी।

- पीपीई किट खरीदकर ले गए। कोरोना पाजिटिव का शव बता दिया, जिससे कोई नजदीक भी नहीं आएगा। चार-पांच युवकों के अंतिम संस्कार करने पर कोई शक भी नहीं करे।

- दूसरे दिन बल्केश्वर श्मशान घाट पर जाकर अस्थियों काे चुन लिया। उनका यमुना में विसर्जन कर दिया, जिससे डीएनए मिलान को भी कोई साक्ष्य न बचे।

- मनोज बंसल उर्फ लंगड़ा को सचिन का मोबाइल लेकर भेज दिया गया। वह इटावा पहुंचा। यहां से स्वजन काे फिरौती मांगने को काल की। मगर, उसकी हिम्मत नहीं पड़ी। इसके बाद वह कानपुर और लखनऊ तक भेजा, जिससे सचिन के मोबाइल की लोकेशन लखनऊ में आए और उन पर शक न हो। उसने कानपुर में सचिन का आइफोन तोड़कर फेंक दिया था।

- 21 जून की रात को ही पिता सुरेश चौहान के मोबाइल पर सचिन के मोबाइल से काल करके उसके शराब पीकर सोने की बात कही। बताया कि वह नोएडा में है।

- हर्ष पूरी घटना का सूत्रधार होते हुए भी ठंडे दिमाग से स्वजन के साथ रह रहा था। वह हर जगह सचिन की तलाश कराने साथ जा रहा था। यहां तक कि एसटीएफ को जांच में सहयोग भी कर रहा था, जिससे उस पर किसी को शक न हो।

- घटना के समय पानी के प्लांट में सचिन की चप्पलें रह गई थीं। आरोपिताें को लगा कि यह सुबूत बन सकती हैं। इसलिए दूसरे दिन वहां जाकर चप्पलें लीं और उन्हें रास्ते में एक साथ फेंक दिया। उन्हें कोई वहां से उठाकर ले गया।

जान बचाने को 25 मिनट तक सचिन ने किया था संघर्ष

पार्टी के बहाने कोल्‍ड स्‍टोरेज संचालक के बेटे सचिन चौहान को पानी के बंद प्लांट पर ले जाने के बाद सुमित ने उससे हाथापाई शुरू कर दी। इसके बाद सचिन उनके मंसूबे समझ गया था। सुमित, हैप्पी और रिंकू से उसने करीब 25 मिनट तक जान बचाने को संघर्ष किया था। सुमित जब सीने पर बैठ गया तब सचिन निढाल होकर पड़ा रहा। तभी सुमित ने गला घाेंट दिया।

अस्थि विसर्जन के दौरान पानी में गिरा

अंतिम संस्कार के दूसरे दिन हैप्पी और रिंकू अस्थियां विसर्जित करने बल्केश्वर घाट पर गए थे। वहां हैप्पी पानी में गिर गया था। तब वह डर गया था।

पर्ची पर लिखवा दिया जीजा का नंबर

क्षेत्र बजाजा के कार्यालय से अंतिम संस्कार का सामान लेने के समय पर आरोपितों ने मृतक का फर्जी नाम पता लिखाया था। इस पर एक आरोपित ने हड़बड़ी में अपने जीजा का नंबर लिखवा दिया। बाद में उसे अहसास हुआ तो उसने उसे कटवा दिया और दूसरा फर्जी मोबाइल नंबर लिखा दिया। एसटीएफ ने क्षेत्र बजाजा के कार्यालय से यह पर्ची हासिल कर ली है। इसके आधार पर आरोपितों पर कूट रचना और धोखाधड़ी की धारा बढ़ेगी। 

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