ADRDE ने तैयार की सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली, 30 हजार फीट से लगाई जा सकती है छलांग
हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (ADRDE) ने सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली विकसित की है। इस प्रणाली से जवान 30000 फीट की ऊंचाई से भी छलांग लगा सकेंगे। यह प्रणाली जल्द ही भारतीय सेना में शामिल होने जा रही है। दुश्मन देशों के खिलाफ युद्ध में यह सिस्टम खासी मददगार साबित होगी। अमेरिका समेत कई देशों के पास यह प्रणाली पहले से है।
जागरण संवाददाता, आगरा। हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (ADRDE) के वैज्ञानिकों ने रक्षा क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है। वैज्ञानिकों ने सैन्यू लड़ाकू पैराशूट प्रणाली को तैयार किया है। युद्ध में यह प्रणाली जवानों के लिए अहम साबित होगी।
तीस हजार फीट की ऊंचाई से भी छलांग लगाई जा सकेगी। किसी भी दुर्गम क्षेत्र में भारतीय जवान इस प्रणाली की मदद से आसानी से उतर सकेंगे। यह प्रणाली अभी अमेरिका सहित अन्य विकसित देशों के पास है।
मलपुरा ड्रापिंग जोन, आगरा में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों की मौजूदगी में गुरुवार को सफल परीक्षण किया गया। जल्द ही यह प्रणाली भारतीय सेना में शामिल होने जा रही है।
एडीआरडीई देश में एक मात्र संस्थान है जहां पैराशूट की डिजाइन और उसके परीक्षण किए जाते हैं। तीन साल पूर्व वैज्ञानिकों की टीम ने सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली (MCPS) और हाई एल्टीट्यूड पैराशूट विद नेविगेशन एंड एडवांस सब असेंबलीज (HANS) पर तीन साल पूर्व कार्य शुरू किया था।
इसमें जंपर के लिए एक विशेष तरीके का सूट तैयार किया गया। इस सूट में ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम, पैरा कंप्यूटर, इंटर पर्सनल रेडियो, मैग्नेटिक कंपास प्रमुख रूप से शामिल है। एक अत्याधुनिक हेलमेट भी है। वहीं दूसरा पैराशूट है। दोनों को मिलाकर सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली को तैयार किया गया।
एक के बाद एक भारतीय विमानों की मदद से मलपुरा ड्रापिंग जोन में सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली के परीक्षण किए गए। इसमें कई तरीके के बदलाव किए गए। यहां तक डिजाइन में भी बदलाव करना पड़ा।
गुरुवार को चीफ टेस्ट जंपर विंग कमांडर विशाल लाकेश ने सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली का परीक्षण किया। एएन-32 विमान से दस हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई। मलपुरा ड्रापिंग जोन में आसानी से उतर गए।यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के महानिदेशक डॉ. एमजेड सिद्दकी, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के निदेशक डॉ. एस उन्नीकृष्णनन नायर, एडीआरडीई के निदेशक डॉ. मनोज कुमार की मौजूदगी में हुआ।
जल्द ही इस प्रणाली को भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा। टीम में वैज्ञानिक मनीष भटनागर, विपिन वर्मा, अनुराग यादव, रिषभ सिंह, कृष्णेंद्र, सुनील सैनी भी शामिल रहे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।यह है खासियत
यह प्रणाली 15 साल तक कार्य करेगी। अधिकतम 200 किग्रा का वजन उठाने में कारगर है। तीस हजार फीट की अधिकतम ऊंचाई से कूदा ला सकता है। 80 लीटर का आक्सीजन सिलेंडर भी होता है। नीचे उतरने की गति 280 किमी प्रति घंटा होती है।एडीआरडीई ने सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली को तैयार किया है। गुरुवार को मलपुरा ड्रापिंग जोन में सफल परीक्षण किया गया। यह बड़ी उपलब्धि है।
प्रो. मनोज कुमार, निदेशक ADRDE