उत्तर प्रदेश का पहला रैबीज मुक्त शहर बना ये जिला, हर रोज 250 से 300 कुत्तों का हो रहा है टीकाकरण
आगरा उत्तर प्रदेश का पहला रेबीज मुक्त शहर बनने की राह पर है। 2027 तक शहर को रेबीज मुक्त बनाने के लक्ष्य के साथ नगर निगम ने 26 जनवरी से अभियान शुरू किया है। अब तक 49000 आवारा कुत्तों को एंटी-रेबीज टीका लगाया जा चुका है। इस पहल के परिणामस्वरूप पिछले तीन महीनों में रेबीज के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं।
अम्बुज उपाध्याय, जागरण, आगरा। नगर निगम ने ताजनगरी को रैबीजमुक्त शहर बनाने दावा किया है। 2027 तक शहर को रैबीज मुक्त बनाने के लक्ष्य पर गत 26 जनवरी से काम शुरू हो गया है। लक्ष्य हासिल करने पर आगरा प्रदेश का पहला रैबीजमुक्त शहर होगा। शहर के 90 हजार आवारा कुत्तों में से 49 हजार का एंटी रैबीज टीकाकरण हो चुका है। जिला अस्पताल में प्रतिदिन आवारा कुत्तों के काटने के 350 से अधिक केस पहुंचते हैं।
सप्ताह में एक से दो गोवंश भी कुत्तों के काटने का शिकार हो जाते हैं। आवारा कुत्तों के आतंक पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने सभी प्रदेशों को आदेश दिए हैं। नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल की पहल पर आगरा में जनवरी से शुरुआत हुई है। टेंडर हासिल करने वाली एजेंसी को प्रति कुत्ते के टीकाकरण पर 325 रुपये भुगतान किया जाता है।वैक्सीन पशु कल्याण विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है। पालतू कुत्तों के पंजीकरण और टीकाकरण के लिए नियम पहले से तय हैं। पालतू कुत्तों के टीकाकरण पर भी काम किया जा रहा है।नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अजय सिंह का कहना है कि रैबीज फ्री आगरा के लिए शहर में कम से कम 70 प्रतिशत स्वानों का वर्ष में एक बार एंटी रैबीज वैक्सीनेशन तीन वर्षों तक कराया जाएगा। यह काम 26 जनवरी से शुरू हो चुका है। इसके परिणाम भी सामने आए हैं।
पहले प्रति सप्ताह दो से तीन गाय में रैबीज के लक्षण दिखते थे। पिछले तीन महीने में एक भी केस नहीं आया है। जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डा. आरके अरोरा का कहना है कि प्रतिदिन कुत्ते और बंदरों के काटने पर 350 से 400 पीड़ित एआरवी लगवाने के लिए आते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।पंजीकरण शुल्क
- पंजीकरण शुल्क देसी नस्ल-100 रुपये
- पंजीकरण शुल्क विदेशी नस्ल- 500 रुपये
कुत्ता काटने पर ये करें
- घाव को साफ पानी और साबुन से पांच मिनट तक धोएं।
- एआरवी की पहली डोज जल्द से जल्द लगवा लें।
- तीसरे दिन एआरवी की दूसरी डोज, सातवें दिन एआरवी की तीसरी डोज, 28वें दिन एआरवी चौथी डोज लगाई जाती है।
- घाव ज्यादा होने पर तुरंत इम्युनोग्लोबिन लगवा लें।
- कुत्ते पर नजर रखें। यदि मर जाता है तो इलाज में लापरवाही बिल्कुल न करें।