dhanteras 2022: ताजनगरी में धनतेरस के साथ दीपोत्सव की शुरुआत, ये हैं पर्व के शुभ मुहूर्त
dhanteras 2022 इस साल धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है। इस योग में किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होने के साथ तीन गुना फल प्राप्त होने की मान्यता है। इस बार धनतेरस का पर्व दो दिन मनाया जाएगा।
By Ambuj UpadhyayEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Fri, 21 Oct 2022 10:37 PM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। सुख-समृद्धि और खुशहाली का त्योहार दीपोत्सव शनिवार से शुरू हो रहा है। पहले दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा। इस बार दीपोत्सव के दिनों को लेकर संशय की स्थिति है। त्रियोदशी और अमावस्या तिथि दो दिन पड़ रही है। ऐसे में धनतेरस 22 और 23 अक्टूबर और दीपावली 24 अक्टूबर को मनाना विशेष लाभकारी होगा। पंडित चंद्रेश कौशिक ने बताया कि धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाते हैं। इसे धन त्रयोदशी नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवताओं के वैद्य धन्वतरी की जयंती मनाई जाती है।
धनतेरस पर खरीदते हैं सोना-चांदी
धनतेरस पर सोना, चांदी, बर्तन, वाहन व अन्य वस्तुएं खरीदना लाभकारी होता है। इस बार त्रयोदशी तिथि 22 व 23 अक्टूबर, दोनों दिन है। ऐसे में कुछ लोग धनतेरस 22 व कुछ 23 अक्टूबर को मनाने की सलाह दे रहे हैं। हालांकि 22 अक्टूबर को धनतरेस पर्व मनाना उत्तम होगा। 22 अक्टूबर को त्रिपुष्कर योग दोपहर 01.50 बजे से शाम 6.02 बजे तक रहेगा। 22 अक्टूबर को धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07.01 बजे से शुरू होगा, जो रात 08.17 बजे तक है। इस दिन पूजन अवधि लगभग सवा घंटे की है।
धनतेरस के मुहूर्त
- 22 अक्टूबर को राहु काल (09:12 से 10:37 बजे तक) को छोड़कर अन्य समय ग्राह्य हैं
- सुबह 07:05 से 08:46 तक- अमृत काल
- 11:39 से 12:25 तक - अभिजीत मुहूर्त
- 13:50 से 18:02 तक - त्रिपुष्कर योग
- 13:56 से 14:41 तक - विजय मुहूर्त
- 23 अक्टूबर को राहु काल (16:17 से 17:42 तक) को छोड़कर अन्य समय ग्राह्य हैं
- 07:09 से 08:48 तक - अमृत काल
- 11:39 से 12:25 तक - अभिजीत मुहूर्त
- 13:50 से 18:02 तक - त्रिपुष्कर योग
- 13:55 से 14:41 तक - विजय मुहूर्त
- अहोरात्री- सर्वार्थसिद्धियोग - 14:34 से 06:23 (24 अक्टूबर)
अमृत सिद्धि योग अमावस्या भी है दो दिन
ज्योतिषाचार्य यशोवर्धन पाठक ने बताया कि हिन्दू परंपरा के अनुसार कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली उत्सव मनाते हैं। इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर, दोनों दिन है, लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो रही है, जबकि 24 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल में रहेगी। निशित काल में भी 24 अक्टूबर को अमावस्या तिथि मौजूद रहेगी। इस कारण दीपावली उत्सव 24 अक्टूबर को ही मनाना सिद्धकारी होगा।ये भी पढ़ें...Banke Bihari Temple: दिवाली के बाद बदल जाएगा मंदिर में दर्शन का समय, भोग में लगेगा पंचमेवा और गर्म दूध
दीपावली पर्व के मनाने के हैं तीन नियम
- दो दिन तक अमावस्या तिथि प्रदोष काल का स्पर्श न करे तो दूसरे दिन दिवाली मनाने का विधान है। दीपावली त्योहार के लिए प्रदोष महत्वपूर्ण है, जो 24 अक्टूबर को होगा।
- दो दिन तक अमावस्या तिथि, प्रदोष काल में न आए, तो ऐसी स्थिति में पहले दिन दीपावली मनानी चाहिए।
- अमावस्या तिथि का विलोपन हो जाए यानी अमावस्या तिथि ही न पड़े और चतुर्दशी के बाद सीधे प्रतिपदा आरंभ हो, तो पहले दिन चतुर्दशी तिथि को ही दीपावली उत्सव मनाने का विधान है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार ऐसा संजोग है कि नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) भी इसी दिन होगी।
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ज्योतिषाचार्य शोनू मेहरोत्रा ने बताया कि इस बार गोवर्धन पर्व मनाने को लेकर भी असमंजस की स्थिति है क्योंकि दीपावली के अगले दिन सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। ऐसे में इस बार गोवर्धन पर्व 26 अक्टूबर मनाया जाएगा। साथ ही इसी दिन भाई दूज का पर्व भी मनाया।