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यूपी के कई जिलों से लेकर दिल्ली तक नकली-नशीली दवाइयां खपा रहा था सिंडिकेट, डमी फर्मों के नाम पर हो रहा था बड़ा खेल

आगरा में दवा माफिया के बड़े सिंडिकेट का भंडाफोड़ हुआ है। यह सिंडिकेट आसपास के जिलों और राज्यों में नकली-नशीली दवाओं की तस्करी के लिए डमी फर्मों का इस्तेमाल कर रहा था। पुलिस और एएनटीएफ ने इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें दवा माफिया विजय गोयल भी शामिल है। माफिया ने बताया नकली-नशीली दवाओं का प्रयोग सूखे नशे के रूप मे पार्टियों में किया जाता है।

By Ali Abbas Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Wed, 23 Oct 2024 09:40 PM (IST)
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डमी फर्मों से नकली-नशीली दवाइयां खपा रहा था सिंडिकेट। जागरण
जागरण संवाददाता, आगरा। दवा माफिया के सिंडिकेट ने आसपास जिलों और राज्यों में नकली-नशीली दवाओं को खपाने के लिए डमी फर्मों की चेन बना रखी है। इस चेन के माध्यम से फर्जी बिलिंग से वह दवाओं को खपा रहा था। एल्प्राजोरम टेबलेट और प्राक्सिविन स्पाश कैप्सूल को दवा माफिया दिल्ली, अजमेर के अलावा बिजनौर, मुरादाबाद, सहारनपुर भेजते थे।

दवा माफिया विजय गोयल ने पूछताछ में पुलिस और एएनटीएफ को बताया कि नकली-नशीली दवाइयां आगरा के आगरा के कुछ दवा व्यापारी खरीदने के बाद उन्हें डमी फर्म की बिलिंग पर बाहर भेजते थे। ऐसा इसलिए किया जाता कि एक साथ एक ही फर्म द्वारा इतनी बड़ी संख्या में नशीली दवाओं की खेप भेजने पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अलावा पुलिस की नजर में मामला आने का डर रहता है। फर्म की छानबीन शुरू होने लगती है।

वहीं, आगरा और बाहर के जिलों के नाम पर बनी डमी फर्म से माल भेजने पर शक नहीं होता है। पुलिस या खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन यदि डमी फर्म का माल पकडने के बाद उसमें दर्ज पते पर पहुंच भी जाए तो वह नहीं मिलती है। सिंडिकेट से जुड़े लोग छानबीन के बारे में बता देते हैं। जिससे इस खेल में शामिल पुलिस के पहुंचने से पहले गायब हो जाते हैं।

दवा माफिया ने बताया कि नकली-नशीली दवाओं का प्रयोग सूखे नशे के रूप मे पार्टियों में किया जाता है। खपत के मामले में पंजाब पहले, दिल्ली दूसरे, हरियाणा तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में भी खपत होती है। नकली-नशीली दवाइयां दुकान या अस्पतालों में बेचने में दिक्कत आती, वहां असली बिल मांगते हैं। पुलिस और एएनटीएफ की पूछताछ में दिल्ली, अजमेर और प्रदेश के कई जिलों में सिंडिकेट से जुड़े लोगों के नाम सामने आए हैं।

दवा माफिया ने बताया कि एल्प्राजोरम टेबलेट और प्राक्सिविन स्पाश कैप्सूल की खेप दिल्ली में मनोज रस्तोगी, अजमेर में हेमंत कुमार, बिजनौर में धर्मेंद्र, सहारनपुर में विभोर विपिन बंसल और अमित, मुरादाबाद में जतिन कुमार, मुरादाबाद में जतिन कुमार को देते थे। डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि सिंडिकेट से जुड़े जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनके बारे में जानकारी की जा रही है।

दवा माफिया समेत दस को जेल भेजा, चार की तलाश

सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र में नकली-नशीली दवाओं की फैक्ट्री पर चलाने में गिरफ्तार दवा माफिया विजय गोयल समेत 10 लोगों को बुधवार जेल भेज दिया गया। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) ने दवा माफिया विजय गोयल, फैक्ट्री मैनेजर नरेंद्र शर्मा, दवाओं को बाजार में सप्लाई करने वाले अमित पाठक और काम करने वाले श्रमिक ठेकदार अशोक कुमार समेत 10 आरोपितों को विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया था। एएनटीएफ के दारोगा गौरव कुमार की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे में 15 लोगों को नामजद किया है।

आरोपित विशाल अग्रवाल पहले से जेल में है। वांछित चार आरोपितों भूदेव, सूरज गौर, रोहित कुशवाह, मुकेश कुमार की तलाश कर रही है। एएनटीएफ ने मंगलवार को फैक्ट्री पर छापा मारकर 4.50 करोड़ रुपये की नकली दवाइयां और 3.50 करोड़ रुपये की मशीनें बरामद की थीं। विजय गोयल से पूछताछ में बताया था कि जेल में गांजा तस्कर विशाल अग्रवाल ने उसे जेल से बाहर आने पर 30 लाख रुपये फतेहपुर सीकरी के भूदेव से दिलाए थे। उसने पश्चिमपुरी के उदयवीर से 30 हजार रुपये महीने में बेसमेंट किराए पर लिया था। किरायानामा रामस्वरूप कालोनी, शाहगंज के सूरज गौर के नाम से बनवाया था।

एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के सीओ इरफान नासिर ने बताया कि मुकदमे में वांछितों की तलाश की जा रही है। दवा फैक्ट्रियों के तकनीशियन और एमआर शामिल होने की आशंका आगरा: दवा माफिया के सिंडिकेट में बड़ी दवा फैक्ट्रियों के तकनीशियन और एमआर शामिल होने की आशंका है।

विजय गोयल द्वारा पैकेजिंग, लेबलिंग आदि मशीनों को लगाया गया था। मशीनों से कैप्सूल में कितनी मात्रा में पाउडर भरा जाए, टेबलेट की कितनी मात्रा व पैकिंग रहती है।मशीनें कंप्यूटराज हैं, जिसमें दवा की मात्रा आदि फीड करना होता है। यह सब दवा फैक्ट्रियों में काम करने वाले तकनीशियन द्वारा ही किया जा सकता है। फैक्ट्री में वही उन्हीं दवाओं काे तैयार किया जाता है।

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