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Lok Sabha Election: कभी रहा कांग्रेस का गढ़ अब अस्तित्व बचाने काे गठबंधन, मजबूरी ऐसी कि हाथ को मजबूत करने के लिए साइकिल का साथ

Lok Sabha Election Agra Seat अब अस्तित्व बचाने काे गठबंधन। सीटों के बंटवारे में कांग्रेस ने फतेहपुर सीकरी सीट अपने पास रखी है जबकि कभी पार्टी का गढ़ रही आगरा लोकसभा क्षेत्र सीट को सपा के लिए छोड़ दिया है। प्रत्याशी तो दोनों ही दल तय नहीं कर पाए हैं लेकिन कांग्रेस अपने पुराने गढ़ में अपना अस्तित्व बचाने और साइकिल को मजबूत बनाने की रणनीति बनाएगी।

By Ambuj Upadhyay Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 19 Mar 2024 07:31 AM (IST)
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Agra News:कभी रहा कांग्रेस का गढ़ अब अस्तित्व बचाने काे गठबंधन
जागरण संवाददाता, आगरा। कांग्रेस अपने हाथ को सपा से गठबंधन के साथ से मजबूत करने का प्रयास कर रही है।वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में ये प्रयोग सफल नहीं हुआ, लेकिन इस बार पार्टी को नए समीकरण बनने की उम्मीद है।

कुछ ये है आगरा की सीट का इतिहास

आजादी के बाद कांग्रेस आगरा लोकसभा क्षेत्र पर कांग्रेस ने कब्जा किया।

  • वर्ष 1952 से लेकर वर्ष 1971 तक सेठ अचल सिंह सांसद रहे थे। इमरजेंसी के बाद कांग्रेस की स्थिति पूरी देश में गड़बड़ाई और आगरा सीट भी उसके हाथ से निकल गई। 25 वर्ष बाद वर्ष 1977 में जनता पार्टी के शंभू नाथ चतुर्वेदी सांसद चुने गए।
  • अपने मजबूत गढ़ में कांग्रेस ने वर्ष 1980 के चुनाव में एक बार फिर वापसी की, जिसमें निहाल सिंह जैन सांसद चुने गए।
  • वर्ष 1984 के चुनाव में निहाल सिंह ने एक बार फिर अपनी जीत को दोहराया। इसके बाद कांग्रेस का हाथ जनता ने ऐसा छोड़ा कि फिर कभी पकड़ तक नहीं सके।
  • वर्ष 1989 में कांग्रेस की जमीन फिर खिसकी और जनता दल से अजय सिंह को सांसद चुना गया और उनको तत्कालीन सरकार ने उप रेलमंत्री भी बनाया। उन्होंने अपने कार्यकाल में तेजी से विकास का खाका खींचा और अछनेरा में रेल कोच फैक्ट्री भी प्रस्तावित करवाई थी।
  • वीपी सिंह सरकार गिर जाने के कारण प्रस्ताव ही रह गया।
  • वर्ष 1991 की लहर में भाजपा का कमल खिला और भगवान शंकर रावत सांसद चुने गए। वे वर्ष 1998 तक लगातार तीन बार जीते।
  • अनुसूचित वर्ग का गढ़ कहे जाने वाले आगरा में वर्ष 1999 में सपा की साइकिल को सिने अभिनेता राजबब्बर ने दौड़ाया। उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि वे वर्ष 2004 में एक बार फिर जीत दर्ज कर सीट सपा के खाते में डाल दी।
  • वर्ष 2009 में परिसीमन बदला और फतेहपुर सीकरी लोकसभा का गठन हुआ और आगरा सीट पर रामशंकर कठेरिया को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया। उन्होंने लगातार दो बार आगरा सीट पर कमल खिलाया।
  • वर्ष 2019 में भाजपा ने आंतरिक कलह के कारण रामशंकर कठेरिया को इटावा से मैदान में उतारा, जबकि आगरा सीट के लिए टूंडला से विधायक एवं तत्कालीन कैबिनेट मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल को चुना। उन्होंने भी आगरा सीट पर कमल खिला दिया।
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इस दौरान कांग्रेस आगरा सीट पर ऐसी पिछड़ी कि जमानत बचाना भी मुश्किल हो गया।अब पार्टी एक बार फिर गठबंधन के बाद साइकिल को रफ्तार दिलाने का कार्य करेगी।

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