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Agra Metro: तेजी पकड़ रहा आगरा मेट्रो का कार्य, पढ़िए कैसे होता है भूमिगत स्टेशन का निर्माण

Agra metro फोर्ट मेट्रो स्टेशन पर 50 प्रतिशत डायफ्राम वाल का निर्माण पूरा। 192 मीटर निर्माण हुआ पूरा कास्टिंग के कार्य में तेजी आने लगी। आगरा सिकंदरा तिराहा से ताज पूर्वी गेट तक पहला कारिडोर 14 किमी लंबा होगा।

By Abhishek SaxenaEdited By: Updated: Wed, 06 Jul 2022 04:01 PM (IST)
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Agra Metro: सभी स्टेशनों का निर्माण शुरू हो गया है।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा में मेट्रो का कार्य तेजी से चल रहा है। फोर्ट मेट्रो स्टेशन पर डायफ्राम वॉल के निर्माण का काम 50 प्रतिशत पूर्ण हो गया है। प्रायरिटी कारिडोर के भूमिगत मेट्रो स्टेशन पर तेज गति के साथ स्टेशन निर्माण के लिए डायफ्राम वाल की कास्टिंग के कार्य में तेजी आ गई है। फोर्ट मेट्रो स्टेशन पर लगभग 192 मीटर निर्माण किया जा चुका है।

छत की कास्टिंग में शटरिंग का प्रयोग नहीं

कार्यवाहक प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने बताया कि मेट्रो के सभी भूमिगत मेट्रो स्टेशनों का निर्माण टाप डाउन प्रणाली के तहत किया जा रहा है। सबसे पहले स्टेशन के ग्राउंड लेवल की छत का निर्माण किया जाता है, इसके बाद कांकोर्स लेवल और उसके बाद प्लेटफार्म लेवल का निर्माण किया जाता है।इस प्रणाली में छत की कास्टिंग के लिए शटरिंग का प्रयोग नहीं किया जाता है, बल्कि भूमि को समतल कर शटरिंग की तरह प्रयोग किया जाता है।

टाप डाउन प्रणाली

टाप डाउन प्रणाली के तहत एक बार जब स्टेशन परिसर की डायफ्राम वाल का निर्माण पूरा हो जाता है, तो फिर ऊपर से नीचे की ओर निर्माण कार्य प्रारंभ होते हैं। टाप डाउन प्रणाली में सबसे पहले ग्राउंड लेवल पर भूमि को समतल कर कांकोर्स की छत का निर्माण किया जाता है।

प्लेटफार्म लेवल की छत का निर्माण

इस दौरान ग्राउंड लेवल की स्लैब में कई जगहों पर खुला छोड़ा जाता है। जब प्रथम तल (कांकोर्स) की छत बनकर तैयार हो जाती है, तो खाली जगहों से मशीनों के जरिए मिट्टी की खुदाई शुरू की जाती है। इसके बाद कांकोर्स तल की खुदाई पूरी हो जाने पर फिर मिट्टी को समतल कर प्लेटफॉर्म लेवल की छत का निर्माण किया जाता है।

इस स्लैब में भी कुछ खाली जगह छोड़ी जाती हैं, जहां से फिर मशीनों के जरिए प्लेटफार्म लेवल की खुदाई कर स्टेशन परिसर का निर्माण किया जाता है।

ऐसे होता है भूमिगत स्टेशन का निर्मा

भूमिगत स्टेशन के निर्माण के लिए सबसे पहले चिन्हित भूमि के अलग-अलग जगहों से बोरिंग कर मिट्टी के नमूने लिए जाते है। जांच के बाद स्टेशन बाक्स (स्टेशन परिसर का कुल क्षेत्रफल) की मार्किंग की जाती है। इसके बाद स्टेशन परिसर की डायफ्राम वाल (बाउंड्री वाल) के निर्माण के लिए गाइड वाल बनाई जाती है। गाइड वाल का प्रयोग डी वाल को सही दिशा देने के लिए किया जाता है, डी वाल के निर्माण के बाद इसे हटा दिया जाता है।

गाइड वाल के निर्माण के बाद विशेष मशीन से डी वाल की खोदाई की जाती है। उसके बाद उस जगह में सरियों का जाल (केज) डाला जाता। कांक्रीट डाल कर डायफ्राम वाल का निर्माण किया जाता है।

ये होंगे मेट्रो के ट्रैक

शहर में तीस किमी लंबा मेट्रो ट्रैक होगा। सिकंदरा से ताज पूर्वी गेट तक पहला कारिडोर 14 और आगरा कैंट रेलवे स्टेशन से कालिंदी विहार तक दूसरा कारिडोर 16 किमी लंबा होगा। यूपीएमआरसी की टीम फतेहाबाद रोड पर तीन स्टेशनों का निर्माण कर रही है। 

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