Agra News: कुरजां पक्षी के लिए फेवरेट स्पॉट बना आगरा, चंबल सहित इन नदियों के किनारे डाला है हजारों ने डेरा
Agra News चंबल के अलावा खारी व ऊटंगन नदी किनारे भी डेरा जमाता है प्रवासी पक्षी कुरजां। नवंबर का महीना लगते ही दूर देशाें से आगरा आने शुरू हो चुके हैं प्रवासी पक्षी। बारिश भरपूर होने से नदियों में है पानी और भाेजन।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Sun, 13 Nov 2022 10:50 AM (IST)
आगरा, तनु गुप्ता। भगवान के डकिये दुनियाभार की सैर करके सर्द मौसम में अपने ठिकाने की तलाश में आगरा पहुंच रहे हैं। आगरा प्रवासी पक्षियों की शरणस्थली है। विभिन्न प्रजातियों के हजारों पक्षी हर साल ताजनगरी में डेरा जमाते हैं। इस साल हुई अप्रत्याशित बारिश से नदी क्षेत्रों में पानी भर जाने के कारण प्रवासी पक्षियों को भरपूर भोजन मिल रहा है। प्रवासी पक्षियों के आगमन के क्रम में इस बार डोमीसोइल क्रेन (कुरजां) Domicoil Crane आगरा में हजारों की संख्या में देखा जा रहा है।
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आगरा में आए दो हजार से अधिक प्रवासी पक्षी कुरजां
जैव विविधता का अध्ययन करने वाली संस्था बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी ( बीआरडीएस) के अध्यक्ष डॉ केपी सिंह के अनुसार आगरा जिले के दक्षिण-पश्चिमी भाग जो मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है वहां इस बार डोमीसोइल क्रेन की संख्या दो हजार से अधिक रिकार्ड की गई है। चंबल के बाह पिनाहट और खारी नदी के बाद बिसैरा अकोला और फतेहपुर सीकरी से जगनेर के बीच उटंगन नदी के क्षेत्र में हर साल डोमीसोइल क्रेन देखे जाते हैं। इन क्षेत्रों में डोमीसोइल क्रेन का भोजन खेतों में भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है।डॉ केपी सिंह, पक्षी विशेषज्ञ
आगरा ठहरकर राजस्थान और मध्यप्रदेश पहुंचता है कुरजां
साइबेरिया, रूस, मंगोलिया और चीन में प्रजनन करने वाला डोमीसोइल क्रेन सर्दियों के प्रवास पर सेन्ट्रल एशियन फ्लाई-वे के दो भारतीय प्रवेश मार्गो के द्वारा उत्तर-मध्य भारतीय क्षेत्र में वितरित होता है। आगरा में डोमीसोइल क्रेन के कई समूह लगभग दो से तीन महिने रूक कर दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान और उत्तर-पश्चिम मध्यप्रदेश तक पहुंचते हैं।समूह में ही माइग्रेशन और भोजन करता है कुरजां
डोमीसोइल क्रेन सामाजिक व्यवहार वाला पक्षी है। यह अपनी माइग्रेशन यात्रा बड़े समूह में ही प्रारंभ करता है। अपने प्रवास स्थल पर पहुंच कर छोटे छोटे समूहों में वितरित हो जाते हैं। भोजन भी सामूहिक रूप से समूह बनाकर करते हैं। भोजन में अनाज के बीज और छोटे कीड़े शामिल होते हैं।इनकी छोटे समूहो में संख्या 40 से लेकर 500 तक सामान्य रूप से रिकार्ड की जाती है और बड़े बड़े समूहों में इनकी संख्या 40 हजार तक रिकार्ड की गई है।
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।राजस्थान का खींचन गांव कुरजां के लिए है विश्व प्रसिद्ध
डाॅ केपी सिंह के अनुसार डोमीसोइल क्रेन को हिन्दी में कुरजां पक्षी कहते है। यह पक्षीवर्ग के परिवार ग्रुइडे के अंतर्गत वर्गीकृत है जिसका वैज्ञानिक नाम ग्रुस वर्गो है। यह विभिन्न प्रकार के हेविटाट में पाया जाता है जैसे झील, वेटलैंड्स युक्त मैदानी क्षेत्र, ग्रासलैंड और रेगिस्तान इसके प्रमुख हेविटाट में शामिल है। राजस्थान के जोधपुर में खींचन गांव और चूरू के ताल छापर अभ्यारण्य में हजारों की संख्या में प्रवास पर पहुंचते हैं।