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आगरा पुलिस कमिश्नर के एक्शन से महकमे में खलबली; लखनऊ तक पहुंची कार्रवाई की गूंज, सफाई देने पहुंचे निलंबित पुलिसकर्मी

आगरा में पुलिस कमिश्नर ने 55 पुलिसवालों को सस्पेंड किया है। अब वे खुद को निर्दोष बता रहे हैं। सर्वाधिक परेशान प्रशिक्षु दारोगा हैं उन्हें अपनी नौकरी पर खतरा दिखाई दे रहा है। कमिश्नरेट में बुधवार और गुरुवार को 24 घंटे में 55 पुलिसकर्मियों को निलंबित करने से विभाग में खलबली मची हुई है।बड़े पैमाने पर हुई कार्रवाई की गूंज लखनऊ तक पहुंच गई है।

By Ali Abbas Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sat, 15 Jun 2024 02:25 PM (IST)
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आगरा पुलिस कमिश्नर के साथ मौजूद डीसीपी। जागरण।
जागरण संवाददाता, आगरा। साहब, गलती किसी और की और कार्रवाई हम पर हो गई। हमारा पक्ष भी सुन लीजिए। निलंबित पुलिसकर्मी अधिकारियों के सामने पेश होकर अपनी सफाई दे रहे हैं। शुक्रवार को छह और पुलिसकर्मी डीसीपी सिटी सूरज राय के सामने पेश हुए। एक दारोगा ने उनके सामने अपना पक्ष रखा।

दारोगा का कहना था कि उसकी चौकी पर प्रतिदिन तीन से चार पासपोर्ट रिपोर्ट के मामले आते थे। वह रुपये लेता तो सभी आवेदक शिकायत करते। पासपोर्ट रिपोर्ट बीट पुलिस अधिकारी द्वारा लगाई जाती है। उसका नाम पता नहीं किसने बता दिया।

दारोगा का कहना था कि जिस आवेदक की शिकायत पर उसका निलंबन हुआ है, उसने रुपये किसे दिए थे। वहीं, एक आरक्षी का कहना था कि उसकी तैनाती सीसीटीएनएस में है, थाने से उसका नाम गलत नोट कराया गया है। वहीं दो अन्य पुलिसकर्मियों काे कहना था कि वह नए हैं, उन्हें नहीं पता था कि वह किसकी गाड़ी में बैठ रहे हैं। वह 200 मीटर तक भी कार में नहीं गए थे।

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डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने पुलिसकर्मियों को आश्वासन दिया कि वह जांच कराएंगे, उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं होगा तो बहाली हो जाएगी। निलंबन फीड बैक सेल से मिले नामों का हुआ है।

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चर्चा पुरानों ने नए लोगों को निपटा दिया

विभाग में चर्चा है कि कई जगह पुराने जमे हुए लोगाें ने नए लोगों को निपटा दिया। दरअसल जिन पुलिसकर्मियों पर निलंबन की कार्रवाई हुई है। इनमें से अधिकांश नए हैं, जिन्हें अधिक समय नहीं हुआ है। मुख्य आरक्षी और आरक्षी स्तर के पहले से जमे लोगों को

थानों में भी होगा फेरबदल

लोकसभा चुनाव के बाद कमिश्नरेट के थानों में भी फेरबदल होगा। सूत्रों के अनुसार शहर से देहात तक कई थाना और चौकी प्रभारी अधिकारियों के निशाने पर हैं। चुनाव के समय इन थाना और चौकी प्रभारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उस समय हटाने पर नई तैनाती के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी पड़ती। अब पुरानी शिकायतों के आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की जा रही है।

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