Agra Police Commissionerate: आगरा के लिए नई नहीं है पुलिस कमिश्नर प्रणाली, ब्रिटिश काल में था यहां प्रेसीडेंसी
Agra Police Commissionerate ब्रिटिश हुकूमत काल में 14 नवंबर 1834 को हुई थी आगरा प्रेसीडेंसी की स्थापना चार्ल्स मैटकाफ थे पहले गवर्नर। महज दो साल में भंग हो गई थी आगरा प्रेसीडेंसी। एक साल बाद ही आगरा प्रेसीडेंसी का नाम बदलकर उत्तर-पश्चिमी प्रांत कर दिया गया था।
By amit dixitEdited By: Prateek GuptaUpdated: Sat, 26 Nov 2022 10:20 AM (IST)
आगरा, अमित दीक्षित। कमिश्नर प्रणाली आगरा के लिए नई नहीं है। यह प्रणाली अंग्रेजों की देन है। 14 नवंबर 1834 को आगरा प्रेसीडेंसी का गठन हुआ था। चार्ल्स मैटकाफ पहले गवर्नर थे। आगरा में यह प्रणाली सफल नहीं रही। एक साल में इस प्रेसीडेंसी का नाम बदलकर उत्तर-पश्चिम प्रांत कर दिया गया था। महज दो साल में इस प्रेसीडेंसी को भंग कर दिया गया। अगर कमिश्नर प्रणाली की बात की जाए तो देश के सौ से अधिक शहरों में यह लागू है। इसमें दिल्ली, मुंबई प्रमुख रूप से शामिल हैं।
ये भी पढ़ेंः आगरा के आसमान में हवाई करतब दिखाएंगे वायुसेना के जांबाज, आएंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंहब्रिटिश भारत में आगरा प्रेसीडेंसी छह पश्चिमोत्तर प्रांतों में एक थी। 14 नवंबर 1834 को इस प्रेसीडेंसी की स्थापना की गई थी। इस प्रेसीडेंसी का क्षेत्रफल 9479 वर्ग किमी था। वर्ष 1835 में यहां की जनसंख्या 45 लाख थी। इस प्रेसीडेंसी की स्थापना गवर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट 1833 के प्रावधानों के तहत किया गया था। इससे पूर्व यह विजित एवं सत्तातरित प्रांत के रूप में जाना जाता था। ठीक साल के बाद यानी 1835 में आगरा प्रेसीडेंसी का नाम बदल दिया गया। इसे उत्तर-पश्चिम प्रांत के नाम से पुकारा जाने लगा जबकि एक जून 1836 को इसे भंग कर दिया गया। भाजपा शासनकाल में आगरा में कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है।
मानक से दो गुना अधिक आबादी
पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के लिए किसी शहर की आबादी न्यूनतम दस लाख होनी चाहिए। अगर आंकड़ों की बात की जाए तो शहर की आबादी बीस लाख है जबकि पूरे जिले की आबादी 50 लाख के आसपास है।
ज्यादा अफसर होने से जल्द हो सकेगी सुनवाई
कमिश्नर प्रणाली का एक और भी फायदा है। इसमें अधिक पुलिस अफसरों की तैनाती की जाएगी। पुलिस फोर्स भी बढ़ोतरी। अधिक अफसरों की तैनाती से सुनवाई जल्द हो सकेगी। इससे लोगों को होने वाली परेशानी से बचाया जा सकेगा।डीएम के पास रहेंगे यह अधिकार
नई व्यवस्था के तहत आबकारी लाइसेंस, सराय एक्ट और चलचित्र अधिनियम के तहत लाइसेंस देने का अधिकार फिलहाल डीएम के पास ही रहेंगे।
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