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कहीं आपने भी तो इनसे नहीं ली सिम! आगरा में इंटरनेशनल साइबर गैंग का पर्दाफाश, कैनोपी लगाकर दुबई-थाईलैंड भेजते थे फर्जी एक्टिवेट सिमें

Agra Crime News In Hindi किरावली पुलिस को मुखबिर से रविवार को सूचना मिली की साइबर अपराध करने वाले दो राज्य के व्यक्ति दक्षिणी बाईपास महुअर कट पर फर्जी एक्टिवेट मोबाइल सिम कार्डों के आदान-प्रदान के लिए खड़े हुए हैं। मौके पर टीम ने दबिश देकर सात आरोपितों को गिरफ्तार किया। आरोपितों ने गिराेह में तीन महिलाओं के भी शामिल होने की बात कही।

By sumit kumar dwivedi Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 08 Apr 2024 07:56 PM (IST)
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Agra Crime News: साइबर ठगी के अंतरराष्ट्रीय गिराेह का पर्दाफाश, हवाला से भी जुड़े हैं तार
जागरण संवाददाता, आगरा। पश्चिमी जोन और साइबर सेल ने आनलाइन ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह का राजफाश किया है। गैंग के सदस्य बाजार और हाईवे किनारे कैनोपी लगाकर सिम बेचे थे। किसी भी व्यक्ति को गुमराह कर फर्जी तरीके उसकी आइडी और फिंगर प्रिंट लगा तीन से चार सिम एक्टिव कराते थे।

सिम को आगरा से दुबई और थाईलैंड में बैठे ठगों को तीन हजार में बेचा जाता था। ठग वहां से आनलाइन गेमिंग समेत अन्य तरीके से ठगे गए रुपये फर्जी ट्रेडिंग कंपनी के खाते में भेजा जाता था। जिसे भारत में कैश कर लिया जाता था। मामले में 29 नामजद हुए हैं, 10 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। 19 की तलाश जारी है। पुलिस को हवाला से भी जुड़े होने के साक्ष्य मिले हैं।

फर्जी एक्टिवेट सिम कार्ड की मिली थी जानकारी

पूछताछ में आरोपिताें ने बताया बाजार और हाईवे पर कैनोपी लगाकर फर्जी तरीके से सिम एक्टिवेट किया करते थे। जिसे 50 रुपये में खरीद कर सिम बंटी के माध्यम से 500 रुपये में दिल्ली में युसुफ और हाफीज को सौंपा जाता था। दिल्ली से युसुफ और हाफीज के माध्यम से लगेज बैग में रखकर सिम शानू के पास दुबई और थाईलैंड भी भेजा जाता था। एयरटेल कंपनी की सिम दुबई और वोडोफोन-आइडिया थाईलैंड भेजा जाता था। बताया फरह और सेवला के रहने वाले लोगों को कुछ रुपये देकर फर्जी ट्रेडिंग कंपनी के नाम से खाता चालू कराया जाता था। जिसके लिए प्रतिव्यक्ति 10 हजार रुपये दिया जाता था।

हवाला से जुड़े हैं तार

रुपये को दुनिया की एक जगह से दूसरी जगह पर गैरकानूनी रूप से हस्तांतरण का नाम ही हवाला है। इसमें सबसे अहम भूमिका एजेंट या बिचौलिए या जिसे मध्यस्थ कह सकते हैं, उसकी होती है। क्योंकि ये बिचौलिए शायद ही कभी किसी लेन देन का रिकार्ड छोड़ते हैं। ऐसे में दुबई या थाईलैंड में बैठे लोग भारत या भारत से दुबई या थाईलैंड में बैठे लोग अपनी धनराशी को टैक्स से बचाने के लिए भी रुपये भेजने में हवाला का सहारा ले सकते हैं। जिससे उनका टैक्स भी नहीं कटेगा और व्हाइट मनी भी मिल जाएगा। पुलिस को इससे जुड़े तार भी मिले हैं।

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ऐसे करते फ्राड

सिम को दुबई और थाईलैंड पहुंचाने के बाद सिंडिकेट का मास्टरमाइंड आनलाइन गेमिंग कराते थे। जिसमें वहां के लोगों से कुछ धनराशि निवेश कराया जाता था। जिसे गेमिंग के माध्यम से ही दोगुनी धनराशि निवेश कर अधिक लाभ कमाने का प्रलोभन दिया जाता था। जब दोगुनी धनराशि निवेश होती थी तब गुमराह कर निवेश कराया गया रुपया ठग पार कर देते थे। इसके बाद भारत भेजते थे।

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ये हुआ बरामद

शाहरुख, गौतम, तोहीद, राेहित, दुर्गेश, शहबाज, आदित्य, अंजुम, भूमिका और गुलजाना के पास से 420 सिम, सात क्यूआर कोड और मोबाइल, चार स्वैप मशीन, 45 बैंक पासबुक, चार बाइक, दो पासपोर्ट, 54 एटीएम कार्ड बरामद हुए हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। जिसमें 29 लोग शामिल हैं। 10 को पकड़ जेल भेजा गया है। 19 की तलाश जारी है। - सोनम कुमार, डीसीपी पश्चिम

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