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Agra News: एसएन में पहली बार हार्ट की तरह पैर की बाईपास सर्जरी, तीन घंटे चला ऑपरेशन, इन वजहों से नसों में आती है रुकावट

SN Medical College News 76 वर्ष के मरीज के दाएं पैर की खून की नस ब्लाक होने से असहनीय दर्द बाएं पैर की नस लेकर की गई सर्जरी अगले ही दिन दर्द हुआ ठीक। करीब तीन घंटे सर्जरी चली इसके बाद मरीज का दर्द ठीक हो गया। अगले दिन मरीज चलने भी लगा। तीन दिन बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 02 Jan 2024 11:15 AM (IST)
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एसएन में बाईपास सर्जरी के बाद मरीज को डिस्चार्ज करते कार्डियोथोरेसिक सर्जन डा. सुशील सिंघल सौजन्य एसएन।सौजन्य एसएन
जागरण संवाददाता, आगरा। एसएन मेडिकल कालेज में पहली बार पैर की बाईपास सर्जरी की गई। मरीज के दाएं पैर की खून की नस ब्लाक थी, इससे असहनीय दर्द और सुन्नपन था। बाएं पैर से नस लेकर बाईपास सर्जरी कर दाएं पैर में खून का संचार सुचारू किया गया, सोमवार को मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया।

रामपुरा गांव, फिरोजाबाद के रहने वाले 76 वर्ष के खुशहाल को चार साल से दाएं पैर में दर्द की समस्या था। असहनीय दर्द के कारण वह न खड़े हो पाते थे और न सो पाते थे। एसएन की सुपरस्पेशियलिटी ओपीडी में दिखाया, दाएं पैर की एंजियोग्राफी कराई गई। इसमें दाएं पैर में खून का संचार करने वाली नस (जांघ तक) 100 प्रतिशत ब्लाक की, खून का संचार न होने के कारण पैर में असहनीय दर्द और सुन्नपन था।

पैर की बाइपास सर्जरी

कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जन डा. सुशील सिंघल ने बताया कि मरीज के पैर की बाईपास सर्जरी की प्लानिंग की गई, हार्ट से एक बड़ी खून की नस आती है। यह नाभी के पास नस दो हिस्सों में बंट जाती है, एक दाएं पैर तो दूसरी से बाएं पैर में खून का संचार होता है। मरीज के बाएं पैर में खून का संचार ठीक था। मरीज के बाएं पैर से एक नस ली गई, इस नस से बाएं पैर में हो रही खून की सप्लाई को बाईपास करते हुए दाएं पैर में जांघ के नीचे खून की नस से जोड़ दिया। इससे दाएं पैर में खून का संचार होने लगा।

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प्राचार्य डा. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि पैर की बाईपास सर्जरी पहली बार एसएन मेडिकल कालेज में हुई है। टीम में डा. श्रेया श्रीवास्तव, डा. रेनू सिंह शामिल रही।

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आर्टिफिशियल नस डालने में आता 60 हजार का खर्चा

पैर की बाईपास सर्जरी करने के लिए आर्टिफिशियल नस इस्तेमाल की जाती है लेकिन यह 60 हजार रुपये में आती है। ऐसे में पैर से नस लेकर प्रत्यारोपित की गई। निजी अस्पताल में पैर की बाइपास सर्जरी में डेढ़ से दो लाख रुपये का खर्चा आता है।

धूमपान करने और उम्र बढ़ने से नसों में रुकावट

कार्डियोथेरेसिक सर्जन डा. सुशील सिंघल ने बताया कि धुम्रपान करने वाले लोगों को यह समस्या ज्यादा होती है। उम्र बढ़ने के साथ भी खून की नसों में रुकावट आने लगती है। पैरों में दर्द की समस्या होने पर डाक्टर से परामर्श ले लेना चाहिए। 

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