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Agra University Scam: खेल हैं बड़े−बड़े, 40 करोड़ कर दिए खर्च और सिर्फ 'कागजाें' में ही बना पर्यटन संस्थान

Agra University Scam सन 2019 में कुलपति रहे डा. अरविंद दीक्षित ने संस्कृति भवन बनवाने को बनाया था इंटरनेशनल टूरिज्म एजुकेशनल इंस्टीट्यूट का प्रस्ताव। सलाहकार के रूप में रखे गए जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को नहीं दिया वेतन।

By Prabhjot KaurEdited By: Prateek GuptaUpdated: Wed, 23 Nov 2022 08:37 AM (IST)
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Agra University Scam: आंबेडकर विवि का संस्कृति भवन, इसके नाम पर बड़े घाेटाला होने के संकेत हैं।
आगरा, प्रभजोत कौर। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. अरविंद दीक्षित ने संस्कृति भवन को बिना किसी संस्थान के प्रस्ताव के बनाया था। आपत्ति होने पर तीन महीने के लिए एक संस्थान कागजों में बनाया गया। कागजों पर ही निदेेशक और विषय विशेषज्ञ रखे गए। प्रस्ताव तैयार होने के बाद संस्थान कागजों में ही खत्म हो गया।

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आपत्तियाें को दबाने के लिए नया संस्थान

2017 में पूर्व कुलपति प्रो. अरविंद दीक्षित ने बाग फरजाना में ललित कला संस्थान वाली जमीन पर संस्कृति भवन का निर्माण कार्य शुरू करवाया था। शिवाजी मंडपम की तरह ही संस्कृति भवन का प्रस्ताव भी किसी विभाग या संस्थान से नहीं मिला था। 40 करोड़ रुपये खर्च करते हुए इस भवन का निर्माण कराने के दौरान आपत्तियां उठती रहीं। मालिकाना हक के कागज न होने पर एडीए ने नक्शा भी निरस्त कर दिया। नोटिस भी दे दिया। इन तमाम आपत्तियों को दबाने के लिए डा. दीक्षित ने इंस्टीट्यूट आफ होटल मैनेजमेंट एंड टूरिज्म के पूर्व निदेशक प्रो. लवकुश मिश्रा से प्रस्ताव तैयार करने को कहा। उनके मना करने पर 2019 में एक नए संस्थान इंटरनेशनल टूरिज्म एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की स्थापना कागजों में की।

सलाहकार को तीन महीने का वेतन नहीं

प्रो. विनीता सिंह को इसका निदेशक बनाया गया और जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के प्रो. रामअवतार शर्मा को सलाहकार व विषय विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया। डिप्लोमा की फीस 75 हजार रुपये सालाना दिखाई गई। तीन महीने तक प्रो. शर्मा आगरा में रहे और संस्कृति भवन में इस नए संस्थान के लिए प्रयोगशाला व फर्नीचर संबंधित सलाह भी देते रहे। तीन महीने तक संस्थान के लिए सेवा देने के बाद प्रो. शर्मा वापस चले गए क्योंकि संस्थान सिर्फ कागजों में ही था और डा. दीक्षित का कार्यकाल भी खत्म हो गया था।

प्रयोगशाला भी नहीं

तीन महीने का वेतन भी प्रो. शर्मा को आज तक नहीं मिला है। इस बात की पुष्टि प्रो. शर्मा ने जागरण के साथ मोबाइल पर हुई बातचीत में की। उन्होंने बताया कि डा. दीक्षित से वेतन को लेकर उनका मौखिक अनुबंध हुआ था। डा. दीक्षित ने एक लाख रुपये महीना वेतन देने की बात कही थी। जिस प्रयोगशाला के लिए प्रो. शर्मा की सेवाएं ली गई थीं, वो प्रयोगशाला आज तक इंस्टीट्यूट आफ होटल मैनेजमेंट एंड टूरिज्म में नहीं है। उसी दौरान संस्कृति भवन का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इस मामले में डा. अरविंद दीक्षित से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया, ना ही भेजे गए मैसेज का जवाब दिया। 

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