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Agra University Scam: प्रो. विनय पाठक खुद की बजाय कराते थे दूसराें से हस्ताक्षर, कार्य परिषद की बैठक पर सवाल

Agra University Scam आंबेडकर विवि आगरा में कार्य परिषद के कार्यवृत्त पर प्रति कुलपति ने किए हैं हस्ताक्षर कई निर्णय एसटीएफ की जांच के घेरे में। 12 सितंबर को हुई थी बैठक प्रो. पाठक 30 सितंबर तक थे कार्यवाहक कुलपति।

By Prabhjot KaurEdited By: Prateek GuptaUpdated: Wed, 23 Nov 2022 07:31 PM (IST)
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Agra University Scam: एसटीएफ की जांच में प्रो. विनय पाठक की भूमिका पर सवाल सामने आ रहे हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में नियमानुसार काम नहीं हो रहे हैं। प्रो. विनय कुमार पाठक अपने कार्यकाल की अंतिम कार्य परिषद की बैठक के कार्यवृत्त पर भी हस्ताक्षर नहीं करके गए थे। उनके स्थान पर प्रति कुलपति के हस्ताक्षर हैं। विगत 12 सितंबर को कार्य परिषद की बैठक हुई थी। इसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इन निर्णयों में संविदा शिक्षकों की नियुक्ति, आर्यभट्ट, फरह स्थित राजकीय कालेज में रखे शिक्षक के वेतन और विवेकानंद इनक्यूबेशन फाउंडेशन में इनक्यूबेशन मैनेजर का वेतन आदि शामिल हैं। इनमें से कुछ निर्णयों पर एसटीएफ की भी नजर है, जैसे नियुक्ति में रोस्टर का पालन न करना, संविदा शिक्षकों को मनमाने तरीके से अलग-अलग अवधि के लिए नियुक्त करना, फरह स्थित राजकीय कालेज में 40 हजार प्रतिमाह पर शिक्षक रखा गया है, जबकि वित्त समिति से 35 हजार ही अनुमोदित हैं।

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इनक्यूबेशन मैनेजर के वेतन को लेकर भी आपत्ति

इसके अलावा इनक्यूबेशन मैनेजर के वेतन को लेकर भी आपत्ति है। इनक्यूबेशन मैनेजर को 75 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन पर नियुक्ति दी गई है। मैनेजर को फार्मेसी के निदेशक डा. बृजेश तिवारी के बराबर वेतन दिया जा रहा है, जबकि प्रधान महालेखाकार ने डा. तिवारी के वेतन (65 हजार रुपये प्रतिमाह) पर भी आपत्ति लगाई थी। आपत्ति के बाद भी प्रो. पाठक ने 10 हजार रुपये और बढ़ा दिए थे। आगामी 24 नवंबर को फिर से कार्य परिषद की बैठक होने वाली है, जिसमें विद्या समिति, भवन समिति और वित्त समिति की संस्तुतियों को रखा जाएगा। सदस्य सवाल उठा रहे हैं कि प्रो. पाठक ने 30 सितंबर को अपना कार्यभार छोड़ा था, तो 12 सितंबर को हुई बैठक के कार्यवृत्त पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किए और प्रति कुलपति प्रो. अजय तनेजा से हस्ताक्षर क्यों कराए गए? इस बारे में कुलसचिव डा. विनोद कुमार का कहना है कि कार्यवृत्त देरी से तैयार हुए थे, तब तक यहां व्यवस्था बदल चुकी थी। इसलिए प्रति कुलपति से हस्ताक्षर करवा लिए गए।

विवि में व्याप्त भ्रष्टाचार पर कुलाधिपति जारी करें श्वेत पत्र

डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में व्याप्त भष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं पर सिविल सोसाइटी आफ आगरा ने कुलाधिपति और कुलपति से श्वेत पत्र की मांग की है।सोसाइटी ने कहा है कि यह जनमानस का मुद्दा है और बहुत लोगों को प्रभावित करता है। सोसाइटी के सदस्यों का कहना है कि विवि में व्याप्त भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें सन 2019 से लगातार विभिन्न पटलों पर उठती रही है। जो भी आरोप संस्था ने विश्वविद्यालय प्रशासन और खासकर डा. अरविंद दीक्षित और प्रो. विनय कुमार पाठक और उनके सहयोगियों पर लगाये वो सब सच साबित हो रहे हैं।

रिकवरी की जानी चाहिए दोषियाें से

डा. दीक्षित और प्रो. पाठक के विरुद्ध नियमानुसार कानूनी कार्रवाई की जाए। भ्रष्टाचार स्थापित होने पर दोनों से रिकवरी की कार्रवाई हो। सदस्यों ने कहा कि कुलाधिपति क्यों मजबूर हैं? उन्होंने अभी तक प्रो. पाठक को पद से बर्खास्त क्यों नहीं किया है? प्रो. पाठक व अन्य शिक्षकाें, अधिकारियों के आरोपों पर श्वेत पत्र जारी किया जाए। सदस्यों ने मांग की है कि डा. दीक्षित ने एडीए से बिना नक्शा पास कराए संस्कृति भवन बनवा दिया। निर्माण के सापेक्ष श्रम विभाग को देय एक प्रतिशत सेस भी डिप्टी लेबर कमिश्नर से सांठगांठ करके बोर्ड में जमा नहीं किया है। 

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