Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

वायु सेना ने रचा इतिहास, हवा से जमीन पर उतारा पहला स्वदेशी पोर्टेबल अस्पताल 'भीष्म', ड्रोन से हो सकेगा शिफ्ट

पीएम मोदी के नेतृत्व में भीष्म प्रोजेक्ट शुरू किया था। प्रोजेक्ट का उद्देश्य आपदाग्रस्त अथवा युद्धग्रस्त क्षेत्र में गंभीर लोगों को जल्द इलाज उपलब्ध कराना है। मंगलवार को पोर्टेबल अस्पताल भीष्म को पैक किया गया। एक सिरे में पैराशूट का समूह बांधा गया और दूसरे सिरे में लोहे के प्लेटफॉर्म से पोर्टेबल अस्पताल को बांध दिया। मलपुरा ड्रॉपिंग जोन के आसमान से वायु सेना के विमान ने इसे नीचे फेंका।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Tue, 14 May 2024 10:30 PM (IST)
Hero Image
भीष्म प्रोजेक्ट को स्वास्थ्य, रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की टीम ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।

जागरण संवाददाता, आगरा। भारतीय वायु सेना ने मंगलवार को इतिहास रच दिया है। दैवीय आपदा हो या फिर युद्ध का मैदान, अब किसी भी दशा में लोगों को त्वरित उपचार मुहैया करा जिंदगी बचाई जा सकेंगी। आगरा के मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में संयुक्त टीम ने बैटल फील्ड हेल्थ इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर मेडिकल सर्विसेज (भीष्म) पोर्टेबल अस्पताल का सफल परीक्षण किया। भीष्म प्रोजेक्ट को स्वास्थ्य, रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की टीम ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।

विमान से 1500 फीट से अधिक की दूरी से पोर्टेबल अस्पताल को दो पैराशूट के समूह से जमीन पर उतारा गया। क्यूबनुमा अस्पताल महज 12 मिनट में बनकर तैयार हो गया। यह वाटरप्रूफ और बेहद हल्का है। इसमें एक साथ 200 लोगों का इलाज किया जा सकता है। यह पहला स्वदेशी पोर्टेबल अस्पताल है। इसे ड्रोन की मदद से कहीं ले भी जा सकते हैं।

पीएम मोदी के नेतृत्व में भीष्म प्रोजेक्ट शुरू किया था। प्रोजेक्ट का उद्देश्य आपदाग्रस्त अथवा युद्धग्रस्त क्षेत्र में गंभीर लोगों को जल्द इलाज उपलब्ध कराना है। मंगलवार को पोर्टेबल अस्पताल भीष्म को पैक किया गया। एक सिरे में पैराशूट का समूह बांधा गया और दूसरे सिरे में लोहे के प्लेटफॉर्म से पोर्टेबल अस्पताल को बांध दिया। मलपुरा ड्रॉपिंग जोन के आसमान से वायु सेना के विमान ने इसे नीचे फेंका। नीचे गिरने के बाद यह चेक किया जाना था कि अस्पताल कितनी देर में तैयार हो जाता है।

इस अस्पताल को वायु, भूमि या फिर समुद्र में तैयार किया जा सकता है। जमीन पर गिरते ही क्यूब महज 12 मिनट में तैयार हो गया। हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एडीआरडीई) की टीम ने पैराशूट विकसित किए हैं। इसको कहीं पर भी उतारने में दो पैराशूट का प्रयोग किया जाता है।

कई बार कर सकते हैं उपयोग

भीष्म में मास्टर क्यूब केज के दो सेट होते हैं। प्रत्येक केज में 36 मिनी क्यूब होते हैं। यह क्यूब बहुत मजबूत होने के साथ हल्के भी होते हैं। इस अस्पताल को कई बार प्रयोग में लाया जा सकता है। इसकी पैकिंग ऐसी की जाती है कि भूमि पर गिरने के बाद खुलने में कोई दिक्कत न आए।

अयोध्या में भी था भीष्म

अयोध्या में श्रीराम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी भीष्म प्रोजेक्ट की यूनिट को लगाया गया था। इसके साथ डॉक्टरों की टीम को भी तैनात किया गया था। सितंबर 2023 में दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी इसका प्रदर्शन किया गया था।