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'अच्छे पापा' होते हैं घड़ियाल, दूसरों के बच्चों की परवरिश भी करते हैं लाड़ से, जानें क्या है ये खासियत

चंबल सेंचुरी में इस समय हैचिंग चल रही है। यहां नर घड़ियाल करते हैं एलो पेरेंटिंग। अनुवांशिक रूप से पिता न होने पर भी संभालते हैं दूसरे नर घड़ियालों के बच्चों को। इस साल घड़ियालों की संख्या में अच्छी बढ़ोत्तरी होने जा रही है।

By Prateek GuptaEdited By: Updated: Fri, 17 Jun 2022 12:09 PM (IST)
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चंबल नदी के किनारे पर विचरण करता घड़ियाल।

आगरा, प्रभजोत कौर। घड़ियाल का नाम आते ही दिलों में दहशत सी फैल जाती है। नदी में राज करने वाले घड़ियालों के बारे में अगर कहा जाए कि नर घड़ियाल अपने बच्चों के अलावा अन्य नरों के बच्चों को भी अपनी पीठ पर बैठाकर तैरते हैं, उनकी देखभाल करते हैं तो हैरान मत होइएगा। घड़ियाल भी एलो पेरेंटिंग करते हैं।

क्या है एलो पेरेंटिंग

इस तरह की परवरिश कई जानवर करते हैं, जिनमें एक घड़ियाल भी हैं। कोयल अपने अंडे कौव्वे के घोंसले में रख देती है, कौव्वा ही उन अंडों की देखभाल करता है। यह भी एलो पेरेंटिंग ही है। जैविक रूप से माता-पिता न होने पर भी बच्चों की परवरिश करना एलो पेरेंटिंग कहलाता है।

कुछ बातें घड़ियालों के बारे में

हर घड़ियाल की पांच किलोमीटर की टेरेटरी (क्षेत्र) होती है। उस टेरेटरी में रहने वाली हर मादा से उसकी मेटिंग होती है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर मादा उस क्षेत्र में अंडे दे। मादा अंडे वहां देती है, जहां बालू होती है। हैचिंग पीरियड के बाद मादा के साथ नर भी बच्चों को संभालते हैं। कई नर एेसे होते हैं जो एलो पेरेटिंग करते हैं। यानी आनुवांशिक रूप से वो जिन बच्चों के पिता नहीं होते, उनकी देखभाल भी करते हैं। इन दिनों चंबल में एेसे कई नर घड़ियाल हैं, जो अपनी पीठ पर बच्चों को घुमाते देखे जा सकते हैं।

कसउवा का घड़ियाल है प्रसिद्ध

इटावा के कसउवा में चंबल में लगभग 14 फीट लंबा घड़ियाल है। हर साल यह घड़ियाल अपनी पीठ पर घड़ियाल के सैंकड़ों बच्चों को लेकर घूमता है, उनकी परवरिश करता है। वो जहां तैरते हैं, नदी किनारे लेटा रहता है। हालांकि इस साल यह घड़ियाल नहीं दिखा है। इसके पीछे एक वजह यह मानी जा रही है कि इस साल कसउवा में मादा घड़ियालों ने कम अंडे दिए हैं। इस साल इस क्षेत्र में ज्यादा बच्चे नहीं हैं। बाढ़ की वजह से यहां बालू कट गई है।

दो-तीन दिन में पूरी हो जाएगी हैचिंग

चंबल में चल रही घड़ियालों की हैचिंग दो-तीन दिन में पूरी हो जाएगी। अबतक लगभग 5000 बच्चे चंबल में पहुंच चुके हैं। बता दें कि इस साल मादा घड़ियालों ने 140 जगह घोंसले बनाकर अंडे दिए थे। एक घोंसले में 25 से 60 अंडे तक होते हैं।

घड़ियाल एलो पेरेंटिंग करते हैं। बहुत ईमानदारी और मेहनत से बच्चों की परवरिश करते हैं। अपने बच्चों के अलावा दूसरी मादाओं के बच्चों को भी अपने बच्चे की तरह ही पालते हैं।

- दिवाकर श्रीवास्तव, डीएफओ चंबल सेंक्चुरी 

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