Move to Jagran APP

Agra News: अवैध तरीके से बन गया पांच मंजिला भवन और अधिकारी रहे अनजान, भ्रष्टाचार के खेल में ये हैं जिम्मेदार

Agra News संस्कृति भवन के भ्रष्टाचार में आंबेडकर विवि जल निगम और एडीए अफसर गुनाहगार। अवैध तरीके से बन गया पांच मंजिला भवन एक दूसरे पर अफसर फोड़ रहे हैं ठीकरा। एसटीएफ की जांच में फंसेंगे सभी अधिकारी। शहर के बीचों बीच बना है संस्कृति भवन।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Tue, 22 Nov 2022 11:57 AM (IST)
Hero Image
आंबेडकर विवि का अवैध तरीके से बनाया गया संस्कृति भवन।
आगरा, जागरण संवाददाता। न नियमों की परवाह और न ही कार्रवाई का डर। संस्कृति भवन के निर्माण में कुछ यही किया गया है। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय और जल निगम, निर्माण और डिजाइन शाखा की टीम ने अधिकांश अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिए हैं। 40 करोड़ रुपये से पांच मंजिला अवैध भवन का निर्माण कर दिया। अब इस भवन की कंपाउंडिंग की तैयारी चल रही है। भ्रष्टाचार में एडीए के अफसरों की मिलीभगत से इन्कार नहीं किया जा सकता है। अफसर एक दूसरे पर इसका ठीकरा फोड़ रहे हैं। स्पेशल टास्क फाेर्स (एसटीएफ) की जांच में अधिकारी फंसेंगे। एसटीएफ ने भवन से संबंधित सभी कागज अपने पास मंगा लिए हैं। किन-किन विभागों के अधिकारी शामिल हैं। इसकी जांच की जा रही है। आखिर जब सरकारी विभाग ही अवैध निर्माण को बढ़ावा देंगे तो इस पर अंकुश कैसे लग सकेगा।

यह भी पढ़ेंः Shraddha Murder Case: 'हां जज साहब, गुस्से में किया श्रद्धा का कत्ल', सुनवाई के दौरान आफताब का कबूलनामा

यह है नियम

जल निगम, निर्माण शाखा हो या फिर अन्य कोई भी सरकारी व निजी संस्था। अगर किसी भी क्षेत्र में निर्माण करने जा रही है तो सबसे पहले इसका नक्शा पास कराया जाता है। इसके लिए एडीए में आवेदन किया जाता है। एडीए द्वारा जमीन के मालिकाना हक की रिपोर्ट प्रशासन से मांगी जाती है। साथ ही संबंधित विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी मांगी जाती है।

डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय यूं दोषी

- भवन का बिना नक्शा पास कराए निर्माण नहीं करने देना चाहिए।

- जमीन के मालिकाना हक के कागज प्रस्तुत करने चाहिए।

- जल निगम को एडीए से स्वीकृत नक्शा उपलब्ध कराना चाहिए।

- बैठकों में तत्कालीन कुलपति प्रो. विनय पाठक व नोडल अधिकारी को इस पर ध्यान देना चाहिए।

यह भी पढ़ेंः Road Safety: आगरा दिल्ली नेशनल हाईवे पर रंबल स्ट्रिप्स बनाने का काम शुरू, लगाए जा रहे रिफ्लेक्टिव टेप

एडीए अफसर यूं दोषी

- भवन का निर्माण वर्ष 2017 से 2019 तक हुआ।

- मालिकाना हक के कागज रिजेक्ट करने के बाद अवैध निर्माण पर निगाह क्यों नहीं रखी गई।

- आखिर दो साल तक संबंधित अवर अभियंता, सहायक अभियंता, अधिशासी अभियंता, प्रवर्तन प्रभारी, एडीए सचिव ने ध्यान क्यों नहीं दिया। - अवैध निर्माण को लेकर जो भी शिकायतें हुईं। उस आधार पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

- वर्ष 2019 में एडीए ने नोटिस जारी किया। इसके बाद भवन को सील क्यों नहीं किया गया। न ही ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया।

जल निगम, निर्माण और डिजाइन शाखा यूं दोषी

- बिना नक्शा के भवन का निर्माण शुरू नहीं करना चाहिए।

- मालिकाना हक के कागज एक बारगी जरूरी चेक करने चाहिए।

- अगर विश्वविद्यालय प्रशासन स्वीकृत नक्शा उपलब्ध नहीं करा रहा तो काम रोक देना चाहिए था।

- मामले की शिकायत शासन में की जानी चाहिए थी।

- संस्कृति भवन की फाइल की जांच की जा रही है। एडीए से भवन का नक्शा पास नहीं है। जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

चर्चित गौड़, उपाध्यक्ष एडीए

- संस्कृति भवन के निर्माण का मामला आंबेडकर विश्वविद्यालय और एडीए के मध्य का है जो आवश्यक कार्रवाई करनी थी। उसमें विश्वविद्यालय के मध्यम से एडीए को कागज भेज दिया गया है।

टीपी शर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर, निर्माण शाखा जल निगम 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।