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Anant Chaturdarshi 2022: 9 को है अनंत चतुर्दशी व्रत, पढ़ें गणपति विसर्जन का इस दिन का महत्व, मुहूर्त और कथा भी

Anant Chaturdarshi 2022 भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा भी होती है। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी फलदायी माना जाता है। अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर शुक्रवार को है। अनंत चतुर्दशी के दिन इस बार दो शुभ योग रवि और सुकर्मा योग बने हुए हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Mon, 05 Sep 2022 05:38 PM (IST)
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अनंत चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त के अनुसार उसका जल में विसर्जन कर दिया जाता है।

आगरा, जागरण संवाददाता। अनंत चतुर्दशी के दिन लोग विष्णु जी की पूजा करते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके साथ ही गणपति पूजन और विसर्जन भी इस दिन किया जाता है। गणपति पूजन करते में अपने आस पास विराजने का आशीर्वाद लिया जाता है जिससे घर की सुख समृद्धि बनी रहे और सभी बाधाएं दूर रहें। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा भी होती है। इसलिए इस दिन को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी फलदायी माना जाता है। इस बार अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर शुक्रवार को है। अनंत चतुर्दशी के दिन इस बार दो शुभ योग रवि और सुकर्मा योग बने हुए हैं।

अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त

चतुर्दशी तिथि आरंभ- 08 सितंबर, गुरुवार, रात 09 बजकर 02 मिनट पर।

चतुर्दशी तिथि समापन- 09 सितंबर, शुक्रवार, शाम 06 बजकर 07 मिनट पर।

उदया तिथि के आधार पर इस साल अनंत चतुर्दशी 09 सितंबर, शुक्रवार, को मनाई जाएगी।

अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा के पूजा का शुभ मुहूर्त, 09 सितंबर सुबह 06 बजकर 03 मिनट से शाम 06 बजकर 07 मिनट तक है।

इस साल गणपति विसर्जन के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं।

प्रातः मुहूर्त - 9 सितंबर, प्रातः 06 बजकर 03 मिनट से 10 बजकर 44 मिनट तक

अपराह्न मुहूर्त - 9 सितंबर, शाम 05 बजे से 06 बजकर 34 मिनट तक

अपराह्न मुहूर्त - 9 सितंबर, दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 01 बजकर 52 मिनट तक

रात्रि मुहूर्त - 9 सितंबर, 9 बजकर 26 मिनट से 10 बजकर 52 मिनट तक

क्यों करते हैं विसर्जन

भगवान गणपति की मूर्ति का गणेश चतुर्थी के दिन विधि विधान से स्थापना होती है। अनंत चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त के अनुसार उसका जल में विसर्जन कर दिया जाता है। दस दिनों तक गणपति बप्पा की विधि विधान से पूजा− अर्चना और सेवा करने के बाद उनकी मूर्ति को जल में विसर्जित क्यों करते हैं, इसका उत्तर महाभारत से जुड़ा है।

गणेश विसर्जन की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वेद व्यास जी ने गणेश जी को गणेश चतुर्थी से 10 दिनों तक महाभारत की कथा सुनाई थी, जिसे गणेश जी ने बिना रुके लिपिबद्ध कर दिया। 10 दिनों के बाद जब वेद व्यास जी ने अपनी आंखें खाेली, तो पाया कि अथक परिश्रम के कारण गणेश जी के शरीर का तापमान बहुत बढ़ गया है। उन्होंने तुरंत गणेश जी को पास के ही एक सरोवर में ले उनके शरीर को शीतल किया। इससे उनके शरीर का तापमान सामान्य हो गया। इस कारण से ही अनंत चतुर्दशी को गणेश जी की मूर्तियाें से ही अनंत चतुर्दशी को गणेश जी की मूर्तियों को जल में विसर्जित किया जाता है। वेद व्यास जी ने गणपति बप्पा के शरीर के तापमान को कम करने के लिए उनके शरीर पर सौंधी मिट्टी का लेप लगा दिया। लेप सूखने से गणेश जी का शरीर अकड़ गया। इससे मुक्ति के लिए उन्होंने गणेश जी को एक सरोवर में उतार दिया। फिर उन्होंने गणेश जी की दस दिनों तक सेवा की, मनपसंद भाेजन आदि गए। इसके बाद से ही गणेश मूर्ति की स्थापना और विसर्जन प्रतीक स्वरूप होने लगा।  

धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जय जोशी 

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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