Anant Chaturdashi पर बंधने वाले रक्षा सूत्र की 14 गांठाें का क्या है महत्व और करना न भूलें इन चीजों का इस दिन दान
Anant Chaturdashi 2022 9 सितंबर को है अनंत चतुर्दशी का व्रत। जैन धर्म के पयूर्षण पर्व और गणेश उत्सव का होगा इस दिन समापन। अनंत सूत्र की 14 गांठों का अर्थ है- 7 विकारों का त्याग व 7 गुणों का समाहित होना।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Wed, 07 Sep 2022 01:30 PM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। अनंत चतुर्दशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को पूरे भारतवर्ष में एक शुभ पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हिंदू व जैन समाज के लिए संपूर्ण कामना पूर्ति हेतु अति शुभ दिन माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु जोकि जगत के पालन हारा हैं उनके रक्षा स्वरूप की पूजा करते हैं। आधुनिक वास्तु एस्ट्रो विशेषज्ञ दीप्ति जैन के अनुसार सनातन संस्कृति में रक्षा सूत्र का बहुत महत्व है। हर मांगलिक कार्य में रक्षा सूत्र बांधने का चलन है ।अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के रक्षा स्वरूप का पूजन किया जाता है ।14 गांठो वाला रक्षा सूत्र बांधा जाता है। हल्दी व रोली लगा कर रक्षा सूत्र पुरुष अपने दाएं हाथ में व स्त्रियां अपने बाएं हाथ में बांधती हैं।
रक्षासूत्र का महत्वहल्दी व्यक्ति के गुरु ग्रह को शुद्ध करता है। गुरु के शुद्ध होने से व्यक्ति में ज्ञान व विवेक का विकास होता है। रोली के प्रयोग से व्यक्ति में उमंग, उत्साह, शक्ति आत्मविश्वास व सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। 14 गांठों का अर्थ है- 7 विकारों का त्याग व 7 गुणों का समाहित होना। 7 विकार काम ,क्रोध ,लोभ, मोह, अहंकार, दुर्व्यवहार व कुविचार। 7 गुण दया ,परोपकार ,ज्ञान, खुलापन ,संचित धन,आत्मविश्वास व मेहनत। यह गांठे ईश्वर के समक्ष प्रतिज्ञा करके बांधने से उचित लाभ होता है। जिस व्यक्ति ने सातो विकारों का त्याग कर इन सातों गुणों को धारण कर लिया उसे विष्णु भगवान का आशीष प्राप्त होता है।
अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्वइस पर्व पर व्रत करने का विधान है। व्रत करने से शरीर का शोधन होता है। स्नानोप्रान्त पीले वस्त्र ग्रहण कर चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं। पीला रंग सात्विकता व विवेक का प्रतिनिधित्व करता है। उस पर कलश स्थापित किया जाता है। भगवान विष्णु की शेषनाग की शैय्या पर लेटे हुई मूर्ति अथवा चित्र को रखें। भगवान विष्णु का यह स्वरूप रक्षा देने वाला है। शेषनाग सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करते हैं। जो व्यक्ति ईश्वर के बताए हुए मार्ग पर चलता है उसे ईश्वर की पालना व सुरक्षा स्वतः प्राप्त हो जाती है। दुख व कष्ट आने पर व्यक्ति सुरक्षित महसूस करता है और हिम्मत के साथ आगे बढ़ता है।
करें इस मंत्र का जाप।।ॐ अनंताय नमः।। का निरंतर जाप करने से मस्तिष्क का शोधन होता है। अनंत गुणों की वृद्धि होती है। पौराणिक कथा अनुसार यह व्रत पांडवों ने अपना सारा राजपाट खोने के उपरांत जंगल मे कष्ट भोगने के समय श्रीकृष्ण की सलाह पर किया था। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रोपदी के साथ व्रत विधि पूर्वक किया और उनके सभी संकट दूर हो गए।जैन धर्म में महत्व
जैन धर्म के अनुयायी के लिए भी यह पर्व अति शुभ है। यह दिन जैन त्यौहार पर्यूषण पर्व का आखिरी दिन होता है। लोग अपनी सामर्थ्य व शक्ति अनुसार व्रत, उपवास, जप व तप के साथ इस पर्व को मनाते हैं और आत्म शुद्धि करते हैं।गणपति विसर्जनजिन लोगों ने गणेश चतुर्थी के दिन गणेश स्थापना की होती है, वह अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन करते हैं। समय के साथ परंपरा में बदलाव लाना अति आवश्यक है। नदियों में मूर्तियों का विसर्जन ना करके अपने ही घर के गमले में गणेश मूर्ति को विधिवत विसर्जन करें। उसके उपरांत एक पौधा उस में लगाएं तो गणेश जी के अनंत रूप से अपने घर में स्थापित कर सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति गमले में गणेश प्रतिमा रखकर उस पर फूल दार पौधा लगाए और घर के उत्तर दिशा में रखें तो व्यक्ति के बुध ग्रह शुद्ध होकर उसका बौद्धिक विकास कर आय मे वृद्धि करते हैं।
ये करें दानअनंत चतुर्दशी के दिन सप्त अनाज का दान गरीबों में अवश्य करें। सप्त अनाज के दान से व्यक्ति के सभी ग्रह शुद्ध होकर सुख-समृद्धि व वृद्धि प्रदान करते हैं।आधुनिक वास्तु एवं एस्ट्रो विशेषज्ञ दीप्ति जैनडिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
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