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दसवीं शताब्दी के मंदिर के निकले पुरातन अवशेष, मैनपुरी में करीमगंज टीले पर चली जांच, अभी और इतिहास आएगा सामने

करीमगंज के टीले पर दसवीं सदी में था मंदिर। एएसआइ की टीम ने मैनपुरी पहुंचकर जांचे टीले पर मिले पुरावशेष। पुरावशेषों के 10वीं से 11वीं सदी के होने का अनुमान अभी होगी जांच। वहां से मृदभांड के अवशेष पुरानी ईंटे आदि एकत्र किया। ग्रामीणों से भी जानकारी ली।

By Prateek GuptaEdited By: Updated: Wed, 24 Aug 2022 11:02 AM (IST)
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मैनपुरी में करीमगंज टीले पर पुरावशेष मिलने वाली जगह की जांच करती एएसआइ की टीम।

आगरा, जागरण टीम। मैनपुरी में करीमगंज के टीले से मिले पुरावशेष नवीं से 10वीं सदी के ही हैं। प्राचीन काल में यह टीला आबाद था और यहां भव्य मंदिर भी रहा होगा। मंगलवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की टीम ने पुरावशेषों के परीक्षण के बाद यह संकेत दिए। जागरण ने टीले से पुरावशेष मिलने की बात उजागर की थी। जिसके बाद एएसआइ की टीम जांच को आई थी। टीम ने बताया कि पुरावशेषों का अभी विस्तृत अध्ययन किया जाएगा।

बीते माह करीमगंज के टीले से ग्रामीणों को कुछ प्राचीन पत्थर मिले थे। जागरण ने मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि पूर्व में करीब दो दर्जन पुरावशेष और मूर्तियों के टुकड़े टीले से मिल चुके हैं। एएसआइ को फोटोग्राफ भेज जागरण ने इसकी जानकारी दी। जिसके बाद इनके ंदसवीं सदी के होने की संभावना जताते हुए खबर प्रकाशित की थी। खबर प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन ने पुरावशेषों को अपने कब्जे में लेकर एएसआइ को रिपोर्ट भेजी थी।

जिसके बाद मंगलावार को उप अधीक्षण पुरातत्वविद सुनीता तेवतिया, सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद नीरज वर्मा, एटा सब सर्किल के संरक्षण सहायक अंकित नामदेव और विभागीय फोटोग्राफर मोहित की टीम के साथ करीमगंज पहुंची। तहसीलदार सदर राजकुमार, लेखपाल सुमित वर्मा, कानूनगो विमल भदोरिया, ग्राम पंचायत सचिव प्रमोद कुमार व सत्येंद्र सिंह और ग्राम प्रधान प्रतिनिधि कैलाश सिंह भी टीले पर पहुंच चुके थे।

टीम ने सबसे पहले टीले का चारों तरफ से और ऊपर चढ़कर निरीक्षण किया। वहां से मृदभांड के अवशेष, पुरानी ईंटे आदि एकत्र किया। ग्रामीणों से भी जानकारी ली। हर एंगल से फोटोग्राफी कराई। टीले में नजर आ रहे दीवारों के अवशेषाें का भी परीक्षण और फोटोग्राफी कराई। इसके बाद टीम ने बिछवां थाने पहुंच वहां रखे पुरावशेषों का परीक्षण किया। एक-एक पुरावशेष का डाकुमेंटेशन किया गया।

टीले पर मिले पुरातन अवशेषाें की जांच करती टीम। 

परीक्षण के बाद उप अधीक्षण पुरातत्वविद सुनीता तेवतिया ने बताया कि पुरावशेषों के 10वीं से 11वीं सदी के बीच का होने का अनुसान हैं। पूर्व में यहां कोई बस्ती या किला रहा होगा। पुरावशेषों में मंदिर के साक्ष्य भी शामिल हैं। टीले पर मिलने वाले पत्थर भी प्राचीन हैं। उन्होंने बताया कि वह अपनी रिपोर्ट अधिकारियों को जल्द सौंप देंगीं। इसके बाद आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।

ग्रामीणों ने वापस मांगी मूर्तियां

टीम के भ्रमण के दौरान ग्रामीणों की भीड़ एकत्र हो गई। कुछ ग्रामीणों ने पूजा करने के लिए मूर्तियां वापस करने की मांग की। इस पर एएसआइ की टीम ने कहा कि उन्हें इस तरह का कोई अधिकार नहीं है। जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद जिला प्रशासन अपने हिसाब से निर्णय ले सकता है।

27 पुरावशेष, 98 पत्थर

टीले से 27 पुरावशेष व व 98 पत्थर मिले थे, जिनको थाने के मालखाने में रखा गया था। टीम ने एक-एक की जांच की और सभी के फोटो खींचे गए।

तीन घंटे तक चला परीक्षण

टीम करीब एक बजे करीमगंज के टीले पर पहुंची और दो घंटे तक निरीक्षण करती रही। इसके बाद थाने पहुंचकर एक घंटे से ज्यादा समय तक पुरावशेषों की जांच की।

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