महाशिवरात्रि पर ताज महल में दूध चढ़ाने की अर्जी कोर्ट में दाखिल, मांगी पूजा अर्चना की अनुमति, दिया गया बड़ा तर्क
अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर और झम्मन सिंह रघुवंशी ने वाद दायर किया था। सिविल जज सीनियर डिवीजन ने वादी द्वारा पूर्व में प्रतिवादी को नोटिस नहीं दिए जाने को आधार बनाते हुए याचिका को सुना नहीं था। इसके विरुद्ध वादी ने बुधवार को जनपद न्यायाधीश के यहां पुनरीक्षण याचिका दायर की जिसे स्वीकार करते हुए सुनवाई की तिथि 14 मार्च नियत की गई।
जागरण संवाददाता, आगरा। ताजमहल में शिवरात्रि पर दुग्धाभिषेक और हिंदू त्योहारों पर पूजा-अर्चना की अनुमति से संबंधित याचिका पर 14 मार्च को सुनवाई होगी। योगी यूथ ब्रिगेड धर्म रक्षा ट्रस्ट के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर द्वारा दायर की गई पुनरीक्षण याचिका को बुधवार को जनपद न्यायाधीश विवेक संगल ने स्वीकार कर लिया। सिविल जज सीनियर डिवीजन (प्रथम) अनुज कुमार ने सोमवार को वादी को धारा 80 सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की छूट देने से इनकार कर दिया था।
सुनवाई की तिथि 14 मार्च नियत
योगी यूथ ब्रिगेड धर्म रक्षा ट्रस्ट के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर और झम्मन सिंह रघुवंशी ने वाद दायर किया था। सिविल जज सीनियर डिवीजन ने वादी द्वारा पूर्व में प्रतिवादी को नोटिस नहीं दिए जाने को आधार बनाते हुए याचिका को सुना नहीं था। इसके विरुद्ध वादी ने बुधवार को जनपद न्यायाधीश के यहां पुनरीक्षण याचिका दायर की, जिसे स्वीकार करते हुए सुनवाई की तिथि 14 मार्च नियत की गई। याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. राजकुमार पटेल को प्रतिवादी बनाया गया है।
तहखाने में शिवलिंग होने की बात
वाद में ताजमहल को 12वीं शताब्दी में राजा परमार्दिदेव द्वारा बनवाया गया शिव मंदिर तेजोमहालय बताया गया है, जिसकी श्रद्धालुओं में अत्यधिक मान्यता थी। शाहजहां ने हिंदुओं को पूजा-अर्चना से रोकने व उनकी श्रद्धा को ठेस पहुंचाने के लिए तेजोमहालय को कब्र में बदलने का काम किया। ताजमहल में शाहजहां व मुमताज की कब्र के नीचे तहखाने में शिवलिंग होने की बात याचिका में कही गई है।
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