Move to Jagran APP

Aurangzeb ने दारा शिकोह काे युद्ध में दी थी करारी हार, फतह की खुशी में नाम पड़ा फतेहाबाद, पढ़ें दिलचस्प इतिहास

Mughal Empire औरंगजेब ने वर्ष 1658 की 29 मई को सूमागढ़ में अपने भाई दारा शिकोह को युद्ध में हराया था। आगरा का ये इलाका सामूगढ़ के नाम से जाना जाता था जीत के बाद इसका नाम फतेहाबाद हुआ।

By Abhishek SaxenaEdited By: Updated: Fri, 11 Nov 2022 05:30 PM (IST)
Hero Image
Mughal Empire: दारा शिकोह पर फतह की खुशी में नाम पड़ा फतेहाबाद।
आगरा, जागरण टीम। मुगल शहंशाह शाहजहां के चार पुत्र थे। उत्तराधिकार को लेकर औरगंजेब और दाराशिकोह में खूनी संघर्ष आगरा में हुआ था। उस जगह को सूमागढ़ के नाम से जानते थे। आज वो फतेहाबाद है। औरंगजेब ने वर्ष 1658 की 29 मई को अपने भाई दारा शिकोह पर फतह करने की खुशी में इसका नाम फतेहाबाद रखा था। इस लेख के जरिए आप पढ़िए फतेहाबाद की कहानी...

औरंगजेब ने हराया था भाई दाराशिकोह

मुगल शासक शाहजहां के चार पुत्र दारा शिकोह, औरंगजेब, सुजा और मुरार और दो पुत्रियां जहांआरा और रोशनआरा थी। इतिहासकार राजकिशोर राजे की पुस्तक 'तवारीख-ए-आगरा' में भी इस युद्ध का विवरण है। युद्ध की जो तारीख है वो 10 मई लिखी गई है। उन्होंने लिखा है कि औरंगजेब ने युद्ध में फतह पाने के बाद सामूगढ़ का नाम बदलकर फतेहाबाद रखा। 40 बीघा जमीन में उसने बादशाही बाग लगवाया। इसके चारों कोनों पर छतरियां और बीच में महल बनवाया था। अब ये महल जमीदोंज हो चुका है।

ये भी पढ़ें...

Agra Fort देखने जा रहे हैं तो ये हैं अंदर की खूबसूरत जगहें, देखकर हो जाएगा दिल खुश

बाग की उत्तरी व दक्षिणी दीवार में उसने दरवाजे बनवाए थे। उत्तरी द्वार आज फतेहाबाद तहसील का मुख्य द्वार है और दक्षिणी द्वार का अस्तित्व नहीं बचा है। बादशाही बाग के परिसर में तहसील समेत अन्य कार्यालय चल रहे हैं। औरंगजेब ने यहां जामा मस्जिद, शाही तालाब और कस्बे में घुड़साल का निर्माण भी कराया था। फतेहाबाद तहसील का गेट इतिहास से जुड़ा होने के बावजूद केंद्र या राज्य सरकार द्वारा संरक्षित स्मारक नहीं है। दारा शिकोह युद्ध में हारकर भाग गया।

औरगंजेब ने बनाया था बंदी

दारा शिकोह से युद्ध जीतने के बाद औरंगजेब आगरा पहुंचा था। यहां शहंशाह शाहजहां ने औरंगजेब के लिए आगरा किला का गेट नहीं खोला था। औरंगजेब ने यमुना नदी से किला में जाने वाला पानी बंद करा दिया। इससे शाहजहां को मजबूर होकर द्वार खोलने पड़े। औरंगजेब ने उसे बंदी बना लिया। आठ वर्ष तक कैद में रहने के बाद वर्ष 1666 में शाहजहां की मौत हो गई। इतिहासविद राजकिशोर राजे बताते हैं कि इतिहास लेखन में नई और पुरानी तिथियों की गणना में करीब 20 दिन का अंतर है। उनकी पुस्तकें नई तिथियों की गणना के अनुसार हैं। 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।