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Banke Bihari Temple: बिहारी जी भी बने आयकरदाता, चुकाया साढ़े तीन करोड़ का कर, खाते में जमा हैं 248 करोड़

Banke Bihari Temple 2012 में पहली बार ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के नाम से जारी किया गया था नोटिस। बिहारी जी की मासिक आय चार से पांच करोड़ रुपये। बैंक खाते में हैं जमा 248 करोड़। बांकेबिहारी मंदिर में दान के कई तरीके।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Fri, 21 Oct 2022 03:19 PM (IST)
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Banke Bihari Temple: बिहारी जी ने चुकाया साढ़े तीन करोड़ रुपये का आयकर।

आगरा, ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी। बात आश्चर्य से भरी है, लेकिन सत्य है। करोड़ों लोगों के आराध्य बांकेबिहारी भी आयकरदाता हैं। उन्हें भी अन्य की तरह आयकर विभाग की नोटिस मिलती है। आय का हिसाब देते हैं। नियम के तहत आयकर चुकाते हैं। इस बार उन्होंने साढ़े तीन करोड़ रुपये आयकर के रूप में जमा किया है। यह और बात है कि अपने सेवादारों की लापरवाही से वह कई बार नोटिस का सामना कर चुके हैं। इस समय दान के रूप में उनकी मासिक आय चार से पांच करोड़ रुपये है। उनके बैंक खाते में 248 करोड़ जमा है।

वर्ष 2012 में आयकर विभाग ने पहली बार बांकेबिहारी जी के नाम से मंदिर को नोटिस जारी किया। तब पूछा गया कि वे अपनी आय कहां दिखाते हैं। उस समय सेवादार अर्थात मंदिर कमेटी के लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया। एक माह बाद दूसरी बार नोटिस जारी हुआ। इस नोटिस के बाद बांकेबिहारी के नाम से आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो दस साल तक चली। पिछले साल इसमें तब मोड आया जब दान की वार्षिक धनराशि 20 करोड़ के आंकड़ें को पार कर गई और इसके सापेक्ष सेवार्थ कार्य नहीं हो पाए। ऐसे में बांके बिहारी को वित्तीय वर्ष 2021-2022 की आय पर पिछले माह सितंबर में साढे तीन करोड़ रुपये आयकर के रूप में चुकाना पड़ा। आगरा के आयकर अधिवक्ता मनोज शर्मा बताते हैं कि आयकर की धारा 12 (ए) के तहत पंजीयन पर आयकर से छूट मिलती है, लेकिन इसके साथ 85 प्रतिशत धर्मार्थ व सेवार्थ खर्च करने की शर्त होती है। 85 प्रतिशत से कम धनराशि खर्च करने पर संबंधित संस्था आयकर के दायरे में आ जाती है। इसके बाद संग्रहित धन पर आयकर देना होता है। बांकेबिहारी प्रकरण में भी यही लागू होता है।

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बांके बिहारी जी के पास नकद 248 करोड़

शासन वृंदावन मे बांकेबिहारी धाम के नाम पर गलियारा बनाने की तैयारी कर रहा है। शासन की कमेटी सर्वे कर अपनी योजना के साथ कोर्ट में गई है। योजना में यह बात सामने आई कि बांकेबिहारी के नाम बैंकों में 248 करोड़ रुपये जमा है। इसका उपयोग शासन धाम के लिए जमीन खरीदने में करना चाहता है। इससे असहमत सेवायत भी कोर्ट गए हैं। उनकी मांग है कि धाम का काम सरकार अपने पैसे से कराए, क्योंकि बांकेबिहारी टैक्स चुकाते हैं।

बांकेबिहारी मंदिर में दान के कई तरीके

बांकेबिहारी मंदिर में दान के कई तरीके हैं। इन्हें प्राप्त करने वाले भी अलग-अलग हैं। दान के लिए मंदिर में दान पेटिका रखी गई हैं, जिसे गुल्लक कहते हैं। रसीद भी कटती है। गुल्लक और रसीद पर दिया गया दान मंदिर प्रबंधन के माध्यम से बांकेबिहारी के बैंक खाते में जमा होता है। इसके अलावा जो दान मिलता है वह सेवायत अपने पास रखते हैं।

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बांकेबिहारी मंदिर की प्रबंध समिति भंग

मंदिर के प्रबंधन को सात सदस्यीय कमेटी होती है, लेकिन वह इन दिनों भंग है। 2014 में कमेटी में विवाद हो गया। कमेटी स्थानीय कोर्ट में गई तो मामला हाइकोर्ट तक चला गया। आम सहमति न होने पर हाइकोर्ट ने सिविल जज जूनियर डिविजन को प्रशासक नियुक्त करते हुए यह व्यवस्था दी कि जब तक कमेटी के चुनाव पर सेवायतों में आम सहमति नहीं बन जाती है, तब तक प्रशासक की देखरेख में मंदिर की व्यवस्था चलेगी। प्रबंधक पद यथावत है, जो मंदिर के कार्य देखते हैं।