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Tourism: एटा का ऐसा गांव जहां भगवान बुद्ध ने किया था वर्षावास, ऐतिहासिक विरासत समेटे है अतरंजी खेड़ा

District Tourism राजा बेन अतरंजी खेड़ा के शासक थे वे बौद्ध धर्म को मानने वाले थे। उन्होंने ही अतरंजीखेड़ा में बेरंजा नामक नगर बसाया था। बौद्ध दृष्टि से महत्वपूर्ण अतरंजी खेड़ा अब डिस्ट्रिक्ट टूरिज्म एंड कल्चरल प्रमोशन काउंसिल के बाद और होगा प्रसिद्ध। देश-विदेश से आते हैं अनुयायी।

By Abhishek SaxenaEdited By: Updated: Thu, 15 Sep 2022 05:02 PM (IST)
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District Tourism: बौद्ध सर्किट में शामिल है अतरंजी खेड़ा।

आगरा, जागरण टीम। बौद्ध दृष्टि से महत्वपूर्ण एटा जनपद में अतरंजी खेड़ा के संवरने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। राज्य सरकार ने एक जिला-एक पर्यटन केंद्र योजना लागू की है। जिसके तहत जिले का एक पर्यटन केंद्र विकसित किया जाना है।

एटा जनपद में अतरंजी खेडा को लोग इस योजना के लिए उपयुक्त स्थान मानते हैं। एतिहासिक विरासत समेटे हुए इस खेड़ा पर भगवान बुद्ध ने वर्षावास किया था इसलिए देश- विदेश के बौद्ध अनुयाइयों के लिए यह धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थान है। जिले में दूसरा पर्यटन केंद्र पटना पक्षी विहार है। इसके लिए डिस्ट्रिक्ट टूरिज्म एंड कल्चरल प्रमोशन काउंसिल (डीटीसीपीसी) का गठन किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।

बौद्ध सर्किट में शामिल होने के बाद भी विकास नहीं

मिरहची क्षेत्र के गांव अचलपुर स्थित अतरंजी खेड़ा को विकसित किए जाने की योजना कई बार बनी, लेकिन वह पूरी तरह से धरातल पर नहीं आ पाई। बौद्ध सर्किट में इस खेड़ा को शामिल किए जाने के बाद भी यहां पूरी तरह विकास नहीं हो पाया। सिर्फ खेड़ा की चारदीवारी बनवा दी गई। न वहां पार्क बना और न ही म्यूजियम, जबकि इसकी मांग क्षेत्रीय लोग काफी समय से कर रहे हैं। अब सरकार ने एक जिला एक उत्पाद की तर्ज पर एक जिला एक पर्यटन केंद्र योजना बनाई है। हालांकि अभी मूर्तरूप नहीं दिया गया है, लेकिन इस योजना से अतरंजी खेड़ा को लेकर उम्मीदें अधिक बढ़ गई हैं।

पटना पक्षी बिहार पर भी निगाहें

जिले में पर्यटन के रूप में सिर्फ पटना, पक्षी बिहार ही है, लेकिन कोई एतिहासिक विरासत इस पक्षी बिहार की नहीं है। इसलिए निगाहें अब इस ओर हैं कि कब अतरंजी खेड़ा को पर्यटन के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू हो। इस समय पर्यटकों की संख्या बहुत कम रहती है। सुविधाएं न होने के कारण विदेशी पर्यटक नहीं आते। सिर्फ तीन साल पूर्व कंबोडिया से 100 छात्रों का जत्था यहां आया था। तब से कोई विदेशी पर्यटक नहीं आया।

अतरंजी खेड़ा पर एक नजर

1127.26 मीटर अतरंजीखेड़ा के टीले की लंबाई - 411.50 मीटर चौड़ाई- 6 मीटर से 20 मीटर तक ऊंचाई -

1861-62 वर्ष में हुआ पहली बार उत्खनन एतिहासिक महत्वता

अतरंजी खेड़ा की एतिहासिक महत्वता है। भगवान बुद्ध ने यहां पूर्व में बसे वेरंजानगर के एक टीले पर वर्षावास किया था। राजा बेन अतरंजी खेड़ा के शासक थे वे बौद्ध धर्म को मानने वाले थे। उन्होंने ही अतरंजीखेड़ा में बेरंजा नामक नगर बसाया था। प्रचलित है कि यहां भगवान बुद्ध ने वर्षावास किया था। इतिहासकार स्व. महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अपनी पुस्तक 'मंगलम'में बेरंजा के अवशेषों के बारे में काफी लिखा है।

उत्खनन में निकलीं यह चीजें

अतरंजी खेड़ा का कई बार उत्खनन हुआ और यहां बौद्धकालीन मूर्तियां, स्तूब, बर्तन, व प्राचीन सभ्यता से जुड़ी अन्य कई चीजें प्राप्त हुईं। इन्हें रखने के लिए सिर्फ एक छोटा सा कमरा बना हुआ है और उत्खनन कराया जाए तो कई और वस्तुएं भी निकल सकती हैं। 

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लोग बोले

अतरंजी खेड़ा बौद्ध धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। एक जिला एक पर्यटन केंद्र में इसका चयन होना चाहिए ताकि यह स्थान पूर्ण रूप से विकसित हो सके। डा. सर्वेश यादव, चिकित्सक

अगर एक जिला एक पर्यटन केंद्र के रूप में अतरंजी खेड़ा का चयन होता है तो यहां के लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और यह स्थान रमणीक हो जाएगा। भूदेव प्रसाद, सेवानिवृत्त प्राध्यापक

यहां एतिहासिक वस्तुओं को संभालकर रखने के लिए एक संग्रहालय भी बनना चाहिए ताकि बाहर से आने वाले पर्यटक प्राचीन संस्कृति और सभ्यता के बारे में ठीक से जान सकें। किशनवीर सिंह, बीमा अभिकर्ता

पर्यटन स्थल अतरंजी खेड़ा के संपूर्ण विकास की आवश्यकता है। यहां की सड़कें दुरुस्त होनी चाहिए। आने वाले पर्यटकों के लिए भी अधिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएं। चंद्रप्रभा भारती, शिक्षिका

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सरकार ने एक जिला एक पर्यटन केंद्र के बारे में योजना लागू की है, लेकिन अभी शासनादेश का इंतजार है। प्रशासन की कोशिश होगी कि किसी एक ऐतिहासिक स्थल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाए।आलोक कुमार, एडीएम प्रशासन