'आजा भाई, अब किससे कहूंगा दिल की बात', बलिदानी कैप्टन शुभम गुप्ता को याद कर रो पड़े छोटे भाई ऋषभ, कही ये बातें
Captain Shubham Gupta Agra कैप्टन शुभम गुप्ता के छोटे भाई ऋषभ का कहना है कि भैया के लिए आधा दर्जन से अधिक रिश्ते आए थे। लड़कियों की फोटो देखी गई। भैया को इसकी जानकारी दी गई। हर बार भाई इतना ही कहते थे कि जहां भी पापा-मम्मी कहेंगे वह शादी कर लेंगे। भैया शादी के लिए कुछ वक्त मांग रहे थे।
By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Fri, 24 Nov 2023 05:25 PM (IST)
जागरण संवाददाता, आगरा। जरा कभी मेरी नजर से खुद को देख भी, है चांद में भी दाग पर ना तुझमे एक भी। कैप्टन शुभम गुप्ता ने इस गाने का वीडियो तीन साल पहले तैयार किया था। यह सिर्फ गाने की पंक्ति नहीं है, बल्कि छोटे भाई ऋषभ के लिए टॉनिक है, जिसकी जुबां पर हर पल यह गाना रहता है। गुरुवार को ऋषभ और उसके दोस्तों ने इस गाने को कई बार सुना। आंखों में आंसू आ गए और जुबां पर एक ही बात आई ''आजा भाई, अब किससे दिल की बात कहूंगा। हर मुसीबत में साथ दिया था, अब कैसे तुम्हारे बिन रहूंगा।''
छोटे भाई ऋषभ गुप्ता कहते हैं कि भाई को गाने का बहुत शौक था। भारतीय सेना ज्वॉइन करने से पहले हो या फिर इसके बाद। भैया वीडियो तैयार करते थे और उन्हें भेज देते थे। हर गाने को वह सुनते थे। घर हो या फिर समारोह भैया से गाने की फरमाइश की जाती थी। वह कभी मना नहीं करते थे। न ही किसी भी बात पर गुस्सा करते थे। ऋषभ कहते हैं कि शुभम भैया जिंदादिल इंसान थे। पिज्जा खाना सबसे अधिक पसंद था। छुट्टी में जब भी घर आते तो मां के हाथ से बना खाना अधिक पसंद करते थे। भैया एक ही बात कहते थे कि बाहर का खाना कभी भी खा सकता हूं, लेकिन मां के हाथ का खाना नसीब वालों को मिलता है। भाई का साथ छूट गया। मेरी ढाल बनकर कौन खड़ा होगा। उन्होंने कहा कि बड़े भाई दोस्त से बढ़कर थे।
'जहां पापा-मम्मी कहेंगे वहीं करूंगा शादी'
कैप्टन शुभम गुप्ता के छोटे भाई ऋषभ का कहना है कि भैया के लिए आधा दर्जन से अधिक रिश्ते आए थे। लड़कियों की फोटो देखी गई। भैया को इसकी जानकारी दी गई। हर बार भाई इतना ही कहते थे कि जहां भी पापा-मम्मी कहेंगे, वह शादी कर लेंगे। भैया शादी के लिए कुछ वक्त मांग रहे थे।भैया! ये क्या हो गया, आप अकेले छोड़ गए
शुभम की चचेरी बहन दीक्षा की जुबां पर एक ही बात आ जाती। ये हो गया, भैया आप अकेला छोड़कर चले गए। आपसे यह उम्मीद नहीं थी। स्वजन बताते हैं कि दीक्षा को शुभम सबसे अधिक स्नेह करता था। दीक्षा की हर मांग को पूरी करता था।
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