जगदीशपुरा क्षेत्र में चार बीघा जमीन पर कब्जे के लिए पुलिस ने केयरटेकर रवि कुशवाहा समेत पांच लोगों को शराब तस्करी और गांजा तस्करी के दो अलग-अलग मुकदमों में जेल भेजा था। जांच शुरू हुई जिसमें पुलिस की कार्रवाई फर्जी निकली। इसके बाद तत्कालीन एसओ जगदीशपुरा जितेंद्र कुमार बिल्डर कमल चौधरी और उसके पुत्र धीरू चौधरी समेत 18 के खिलाफ डकैती का मुकदमा लिखा था। सभी आरोपित फरार हैं।
जागरण संवाददाता, आगरा। जगदीशपुरा की करोड़ों की भूमि पर कब्जे की जंग ने भाजपा का बहुत कुछ स्याह पक्ष सामने ला दिया है। अब इस मामले में पार्टी के दो कद्दावर नेता पूरी तरह आमने-सामने हैं। फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर इस मामले में बिना नाम लिए हमला बोल रहे थे, सोमवार को उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने भी उसी अंदाज में हमला बोला।
अपनी तुलना लगभग ऋषि-मुनियों से की। फिर कहा कि सिंहासन हिल गया। इसलिए कुछ भाजपा नेता बेवजह मैदान में वानर की तरह उछल-कूदकर उन्हें बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। सपा नेता के साथ जमीन पर कब्जे में यही नेता शामिल हैं।
भाजपा नेता पर लगाए आरोप
इस मामले में पीड़ित परिवार के समर्थन में फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर सबसे पहले आए थे। उन्होंने मुख्यमंत्री और पुलिस आयुक्त को पत्र लिखने के साथ ही मौके पर जाकर पीड़ित को मदद का भरोसा दिया। उनकी पत्नी और बेटे ने पीड़ित परिवार को कपड़े और राशन उपलब्ध कराया।ये भी पढ़ेंः
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सोमवार को कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने पत्रकार वार्ता कर सांसद राजकुमार चाहर पर बिना नाम लिए हमला बोला। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में वह क्षेत्र में गए थे। तब जनता ने उनसे कहा था कि वे तो वोट मांगकर चले जाएंगे। उनका उत्पीड़न होगा तो, कौन पूछेगा? तब वे वादा करके आए थे कि 15 दिन में वह उनसे समस्या पूछने आएंगे। कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी मिलने के कारण समय का अभाव है। इसलिए उन्होंने फतेहपुर सीकरी क्षेत्र में जनता की समस्या जाकर सुनने को अपने पुत्र को जिम्मेदारी दे दी। उनके पुत्र जाकर समस्या सुनते हैं और वह उनका निस्तारण कराते हैं।
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ऋषि मुनियों की बात
कैबिनेट मंत्री का कहना है कि जिस तरह ऋषि मुनियों की तपस्या से इंद्र का सिंहासन हिल जाता था। उसी तरह नेता जी का सिंहासन हिल रहा है। इसलिए वे मैदान में कूदे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दूसरों की नाक काटकर नहीं अपनी नाक की सुंदरता नहीं बढ़ाई जा सकती है।
बांटे प्रेस नोट में लिखा था चाहर का नाम
पत्रकार वार्ता में बांटे गए दो पेज के प्रेस नोट में सांसद राजकुमार चाहर का नाम लिखा था। इसमें लिखा था कि सरदार टहल सिंह से फर्जी रजिस्ट्री कराने वाले सैफई परिवार के करीबी मनोज यादव ने चौकीदार रवि कुशवाहा को लालच देकर शामिल कर लिया। इसमें अपने साथ राजकुमार चाहर को भी साझीदार कर लिया।सैफई परिवार से पुलिस प्रशासन पर दबाव बनवाकर चौकीदार रवि कुशवाहा को जमीन पर कब्जा दिला दिया। पत्रकार वार्ता में बांटे गए दो पेज के नोट में सांसद का नाम लिखे होने के बारे में जागरण ने मंत्री योगेंद्र से पूछा गया तो उनका कहना था कि गलती से नाम लिख गया होगा।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बचने की पूरी कोशिश की
जगदीशपुरा की करोड़ों की भूमि पर कब्जे के लिए पांच निर्दोषों को जेल भेजे जाने के प्रकरण में झुलसते उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बचने की पूरी कोशिश की लेकिन अब और फंसते दिख रहे हैं।भूमि के दस्तावेज लेकर पत्रकार वार्ता में आए कैबिनेट मंत्री ने नेम कुमार जैन पक्ष की खुलकर वकालत की। उन्हें असली मालिक बता मीडिया को दस्तावेज उपलब्ध कराए। इससे आगे जो कहा वह बहुत गंभीर था। बोले- सैफई परिवार के खास सपा नेता, भाजपा नेता और पुलिस ने मिलकर भूमि पर कब्जे की साजिश रची थी।
दस मिनट बोले
मंत्री ने परोक्ष रूप से केयरटेकर और उसके स्वजन को जेल भेजे जाने को सही करार दिया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री को भी पूरे मामले से अवगत करा दिया है। मंत्री योगेंद्र वार्ता ने शाहगंज स्थित एक फूडकोर्ट में प्रेस वार्ता बुलाई थी। प्रारंभ में लगभग 10 मिनट तक वह स्वयं बोलते रहे।कहा- जगदीशपुरा की भूमि से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। वर्ष 2004 में कराए एक समझौता पत्र में जरूर शामिल था। मगर, छह माह बाद ही उससे अलग हो गया। हां, वर्ष 2017 के विस चुनाव में क्षेत्र के कुछ कार्यकर्ताओं ने रवि कुशवाहा से एक कमरा खुलवाकर वहां क्षेत्रीय कार्यालय बनाया था। गेट पर भी उसी समय का नाम लिखा था। मैंने गेट पर नाम भूमि पर कब्जा करने के लिए नहीं लिखाया था। इसके बाद वह जयपुर हाउस की नीलामी में खरीदी कोठी के मामले पर बोले।
कहा- ये कोठी मैंने बैंक से नीलामी में खरीदी थी। मेरे पास रुपये कम थे, इसलिए दो लोगों को शामिल किया। न्यू ईदगाह कालोनी की कोठी को लेकर कैबिनेट मंत्री ने कहा कि यह कोठी मैंने सही तरीके से खरीदी है।कैबिनेट मंत्री ने अपने भाई के मामले पर भी सफाई दी। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों को बेहतर क्वालिटी का कराने के लिए निगरानी के लिए भाई और बेटे जाते हैं। इसमें ठेकेदारी जैसा कोई मामला नहीं है।
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