खौफनाक नहीं प्राकृतिक नजारों से भरपूर है चंबल, Go Himalaya की टीम ने लिया रोमांचक क्षणों का आनंद
घुमक्कड़ी क्लब गो हिमालय की टीम के सदस्य चंबल की घाटियों में विचरते वन्य जीवों से रूबरू हुए और नदी में मोटरबोट के सफर के दौरान मगरमच्छों घडि़यालों और कछुओं से सजी एक अलग दुनिया का आनंद लिया।
By Prateek GuptaEdited By: Updated: Tue, 01 Dec 2020 12:25 PM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। किसी जमाने मेंं डकैतों के लिए देशभर में नाम रखने वाली चंबल घाटी में आज बिल्कुल शांति है। डकैत अब रहे नहीं, इलाका प्राकृतिक संपदाओं के लिए अब नाम कमाने लगा है। हालांकि आज भी बहुत से लोग, यही समझते हैं कि चंबल का इलाका महफूज नहीं। इसी मिथक को दूर करने के लिए घुमक्कड़ी क्लब गो हिमालय की टीम ने चंबल घाटी में डेरा जमाया। यहां रोमांच का आनंद लिया। चंबल की घाटियों में विचरते वन्य जीवों से रूबरू हुए और नदी में मोटरबोट के सफर के दौरान मगरमच्छों, घडि़यालों और कछुओं से सजी एक अलग दुनिया का आनंद लिया।
'गो हिमालय' देश की घुमक्कड़ी दुनिया का एक प्रसिद्ध ग्रुप है, जिसके देशभर में क़रीब 50 हजार सदस्य हैं। इस क्लब ने दो दिवसीय कैंप का आयोजन जरार स्थित चम्बल वाइल्डलाइफ़ लॉज में किया। यहां भोपाल, लखनऊ, कानपुर, मुरादाबाद, ग़ाज़ियाबाद, दिल्ली, नोएडा से क्लब के सदस्य पहुंचे। यहांं के प्राकृतिक ग्रामीण वातावरण में प्रवास किया और पिनाहट की तरफ से चंबल नदी के किनारे मिट्टी के टीलों में तीन किलोमीटर की पैदल यात्रा की। इस दौरान चंबल के बीहड़ में मौजूद कई तरह के पक्षी, नेवले, हिरन, साम्भर देखे। इसके बाद चंबल नदी में मोटर बोट से सफ़ारी का आनंद लिया। चूंकि मौसम सर्दियों का है, सुबह सूर्योदय के बाद नदी के बीच-बीच में बने छोटे-छोटे टापुओं पर घड़ियाल, मगरमच्छ और कछुओं को धूप सेकते देख क्लब सदस्य रोमांचित हो उठे। कई प्रकार के देसी ओर प्रवासी पक्षियों की अठखेलियांं भी देखीं। प्रवास के दूसरे दिन बटेश्वर में प्राचीन शिव मंदिरों के दर्शन किए। उल्लेखनीय है कि यहां 108 शिव मंदिरों की श्रृंखला है। कहा जाता है कि यहां मंदिरों में घंटे चढ़ाने के लिए डकैत आया करते थे।
गो हिमालय के एडमिन और इस कैंप के आयोजक डॉ. मुकेश चौहान ने बताया कि चंबल का नाम आते ही लोगों के मन में आज भी डरावने ख्याल आने शुरू हो जाते हैं। जबकि आज एेेसा नहीं है। कैंप में भाग लेने आए लोगों के मन से भी यह भ्रांति दूर हुई। चंबल में पर्यटन की अपार सम्भावनाएंं हैं। हमें और प्रदेश सरकार को पर्यटकों को समझाने की ज़रूरत है कि आगरा में ताजमहल के अलावा भी बहुत कुछ है। हमारा ग्रुप अधिकतर प्राकृतिक पर्यटक स्थानोंं का भ्रमण करता है और प्राकृतिक पर्यटन को प्रोत्साहन के लिये कार्य भी करता है। हमारी ओर से भी पहले भी इस प्रकार के चंबल नदी में आयोजन किए जाते रहे हैं। भविष्य में चंबल घाटी में भी कैंप आयोजित किए जाएंगे। गो हिमालय का अब अगला आयोजन हिमाचल की तीर्थन वैली में आयोजित होगा। आयोजन को सफल बनाने में सभी सदस्यों सहित चंबल लॉज के डायरेक्टर मुनेंद्र तोमर का विशेष सहयोग रहा।
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