कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लल्लू को आगरा कोर्ट से मिली बड़ी राहत, महामारी अधिनियम में दर्ज मामले में बरी
Agra News In Hindi कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत तीन कांग्रेसी नेता न्यायालय से बरी मई 2020 में दर्ज हुआ था महामारी अधिनियम का अभियोग। गवाहों के बयान में नहीं मिली समानता। अदालत ने किया दोषमुक्त।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Sun, 30 Apr 2023 08:04 AM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। महामारी अधिनियम और धारा 188 में आरोपित उप्र कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत तीन वरिष्ठ नेताओं को न्यायालय ने शनिवार को बरी कर दिया। कांग्रेस नेताओं के खिलाफ अभियोजन आरोप सिद्ध नहीं कर सका। गवाहों के बयान में विरोधाभास और स्वतंत्र गवाह के अभाव में विशेष मजिस्ट्रेट (एमपी/एमएलए कोर्ट) अर्जुन ने कांग्रेस नेताओं को दोष मुक्त करार दिया। इस दौरान अजय कुमार लल्लू न्यायालय में उपस्थित रहे।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में व्यस्त हैं पूर्व विधायक प्रदीप माथुर
पूर्व विधायक प्रदीप माथुर और विधान परिषद के पूर्व सदस्य विवेक बंसल उपस्थित नहीं हो सके। दोनों के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में व्यस्तता के चलते बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने उनकी ओर से हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र दिया। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। फतेहपुर सीकरी थाने में 19 मई 2020 में महामारी अधिनियम और धारा 188 के तहत कांग्रेस नेताओं पर अभियोग दर्ज किया गया था। जिसमें उप्र कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, पूर्व विधायक प्रदीप माथुर और विधान परिषद के पूर्व सदस्य विवेक बंसल को नामजद किया गया था।
लगे थे ये आरोप
कांग्रेस नेताओं पर कोविड-19 नियमवाली का पालन नहीं करने का आरोप था। वह फतेहपुर सीकरी से लगी राजस्थान की सीमा पर प्रवासी मजदूरों को लेने के लिए बसें लेकर गए थे। कांग्रेस नेताओं की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रामदत्त दिवाकर और रमाशंकर शर्मा ने बताया कि विशेष मजिस्ट्रेट एमपी/एमएलए एक्ट कोर्ट ने तीनों कांग्रेस नेताओं पर लगे आरोपों से दोष मुक्त करार दिया है।महत्वपूर्ण तथ्य
- 19 मई 2020: कांग्रेस नेता गिरफ्तार
- 20 मई 2020: न्यायालय में प्रस्तुत करने पर अंतरिम जमानत
- 13 फरवरी 2021: कांग्रेस नेताओं को स्थायी जमानत
- वादी उप निरीक्षक जितेंद्र सिंह, विवेचक सतेंद्र सिंह, अभियोग लेखक विरेश कुमार, आरक्षी जितेंद्र कुमार और कौशल कुमार गवाह थे।
- 50 से अधिक तिथि: करीब तीन वर्ष तक हुई सुनवाई।
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