UP News: दिल्ली में ऑफिस खोलकर इंजीनियर चला रहा था डिजिटल अरेस्ट गिरोह, चार गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश में पुलिस के हाथ एक ऐसा गिरोह लगा है जो लोगों को ठगता था। आगरा में एक साइबर फ्रॉड गैंग का भंडाफोड़ हुआ है जिसने ईडी सीबीआई और पुलिस अधिकारियों बनकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर चार करोड़ की ठगी की। सरगना सोहेल अकरम समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपित फर्जी दस्तावेजों से खुले बैंक खातों और सिम कार्ड के माध्यम से ठगी करते थे।
जागरण संवाददाता, आगरा। ईडी, सीबीआई और पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैंग का गुरुवार को पुलिस ने राजफाश कर दिया। चेन्नई से कंप्यूटर साइंस से बीटेक कर चुके सरगना सोहेल अकरम समेत चार को गिरफ्तार किया गया है।
वह दिल्ली और गुरुग्राम में कंपनी खोलकर साइबर ठगी का गैंग संचालित कर रहा था। आरोपित फर्जी दस्तावेजों से खुले बैंक खातों और सिम कार्ड के माध्यम से ठगी करते थे।
आरोपित पिछले चार माह में डिजिटल अरेस्ट कर चार करोड़ की ठगी कर चुके हैं। दो माह पहले सेवानिवृत्त रेलवे के मुख्य टिकट निरीक्षक से सीबीआई अधिकारी बनकर अपराधियों ने 15 लाख रुपये की ठगी की थी। आगरा के नईम बेग मिर्जा रेलवे से सेवानिवृत्त मुख्य टिकट निरीक्षक हैं।
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साइबर अपराधियों ने 13 अगस्त को उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया था। फोन करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) से बताकर उन्हें दिल्ली के नेहरू नगर थाना से संपर्क करने को कहा।
डिजिटल अरेस्ट कर खाते में ऑनलाइन 15 लाख रुपये डलवा लिया। नईम बेग मिर्जा ने 14 अगस्त को मुकदमा दर्ज कराया था। डीसीपी सूरज कुमार राय ने बताया कि गिरफ्तार आरोपितों मोहम्मद राजा रफीक दरियागंज (नई दिल्ली), दो भाई मोहम्मद दानिश और मोहम्मद कादिर (बागपत) और सरगना सोहेल अकरम करीमगंज (असम) को गिरफ्तार किया है।
लोगों को फर्जी फोन कर ठगता था गिरोह-जागरण
साइबर थाने की टीम ने जांच में पाया कि आरोपितों ने नईम मिर्जा के खाते से 15 लाख रुपये खाते में जमा कराए थे। उसी बैंक खाते में उसी दिन अलग-अलग जगहों से 2.70 करोड़ रुपये डाले गए थे।
आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि डिजिटल अरेस्ट से तीन महीने में चार करोड़ रुपये वसूल चुके थे। यह रकम गिरोह के सभी सदस्यों में उनकी जिम्मेदारी के अनुसार बंटती थी। आरोपितों और उनसे जुड़े अन्य लोगों के खाते सीज कराए गए हैं।
सरगना तक ऐसे पहुंची पुलिस
नईम मिर्जा को जिस नंबर से काल किया गया था, पुलिस ने उसकी डिटेल निकाली। इस नंबर का प्रयोग राजा रफीक ने किया था, इससे कई बैंक खाते भी लिंक थे। जिन नंबरों पर बात की गई, जिसमें एक नंबर सरगना सुहेल का था। पुलिस ने सुहेल के नंबर की डिटेल निकाली तो गिरोह की कड़ियां आपस में जुड़ती गईं। पुलिस ने सरगना समेत चारों को पकड़ लिया।
चार जालसाज
सोहेल अकरम, सरगना
असोम के करीमगंज जिले के रहना वाला। चेन्नई की एसआरएम विश्वविद्यालय से वर्ष 2014 में कंप्यूटर साइंस में बीटेक। चार वर्ष पहले गुरुग्राम और दिल्ली में आकर कंपनी खोली। बैटिंग एप के जरिए ठगी करने लगा। दिल्ली के कमला मार्केट, हरी नगर, साकेत में मुकदमे दर्ज हैं। चार महीने पहले दिल्ली से जमानत पर छूटा था।
बातों में उलझाकर लोगों से करते हैं ठगी। -जागरण
मोहम्मद राजा रफीक
मूल रूप से भीलवाड़ा राजस्थान के थाना सुभाषनगर क्षेत्र का रहने वाला। दसवीं पास राजा रफीम गिरोह के लिए फर्जी सिम की व्यवस्था करता था। वर्तमान में कूचा ताराचंद थाना दरियागंज दिल्ली में रहता है। कई बार जेल भी जा चुका है।
मोहम्मद दानिश और मोहम्मद कादिर
बागपत के बड़ौत के पारस विहार में रहने वाले दोनों सगे भाई हैं। दिल्ली में सोहेल अकरम से मुलाकात के बाद गिरोह में शामिल हुए। फर्जी आइडी पर खाता खुलवाने की जिम्मेवारी देखते थे।
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एक दिन में 2.70 करोड़ निकालकर खाते बंद
पुलिस की जांच में पता चला कि आरोपियों ने दिल्ली के जिस खाते में 15 लाख रुपये जमा कराए थे, उसमें 24 घंटे में 2.70 करोड़ रुपये विभिन्न खातों में जमा कराने के बाद निकाले गए थे। रकम निकालने के बाद खाते बंद भी कराए गए थे। इन खातों को मजदूर वर्ग के लोगों को रुपयों का लालच देकर खोला गया था। फर्जी आईडी लगाई गई थीं।