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शेख सलीम चिश्ती की दरगाह या कामख्या मंदिर का गर्भ गृह प्रकरण; महत्वपूर्ण होगी इस दिन होने वाली सुनवाई

शेख सलीम चिश्ती की दरगाह को कामाख्या माता का मंदिर और जामा मस्जिद को कामाख्या माता मंदिर का परिसर बताते हुए वाद दायर किया गया था। ये वाद अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह द्वारा दायर किया था। जिस पर सुनवाई चल रही है। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह का कहना कि वर्तमान में विवादित संपत्ति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन एक संरक्षित स्मारक है। जिस पर प्रतिवादियों ने अतिक्रमण कर रखा है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 08 Jul 2024 02:26 PM (IST)
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Dargah of Sheikh Salim Chishti; शेख सलीम चिश्ती की दरगाह की तस्वीर।

जागरण संवाददाता, आगरा। आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट के कामाख्या माता मंदिर केस की सुनवाई सोमवार को लघु वादन्यायाधीश के न्यायालय में हुई। वादी व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि कामाख्या माता बनाम उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड केस में 30 मई को हुई सुनवाई में न्यायालय ने वादी व प्रतिवादी को सम्मन की पैरवी का आदेश दिया था।

सोमवार को सुनवाई में वादी पक्ष ने सम्मन पैरवी का तलवाना और डिलीवरी रिपोर्ट पत्रावली में दाखिल की। माननीय न्यायालय ने पैरवी को पूर्ण मानते हुए सभी प्रतिवादियों को 29 जुलाई को जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया है।

सर्वे के लिए दाखिल करेंगे प्रार्थना पत्र

अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि कामाख्या माता मंदिर केस में प्रतिवादी उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, प्रबंधन कमेटी दरगाह सलीम चिश्ती, प्रबंधन कमेटी जामा मस्जिद हैं। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि अब वह सलीम चिश्ती की दरगाह और जामा मस्जिद फतेहपुर सीकरी के सर्वे के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल करेंगे।

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अधिवक्ता ने दिया तर्क

अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि भारतीय इतिहास में यह झूठ लिखा गया है कि फतेहपुर सीकरी का निर्माण अकबर ने करवाया था। बाबर ने अपने बाबरनामा में भी फतेहपुर सीकरी का वर्णन किया है। ऐसा कैसे हो सकता है कि जिन संरचनाओं के निर्माण का वर्णन बाबर ने अपनी पुस्तक बाबरनामा में किया ठीक उन्हीं संरचनाओं के निर्माण का दावा अकबर ने भी किया।

अधिवक्ता ने सिकरवारों की कुलदेवी का गर्भ गृह बताया

अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि सलीम चिश्ती की दरगाह और जामा मस्जिद मूल रूप से सिकरवारों की कुलदेवी माता कामाख्या का गर्भ गृह व मंदिर परिसर है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की अनेक रिपोर्ट सलीम चिश्ती दरगाह और जामा मस्जिद की शिल्पकला को हिन्दू शिल्पकला बताती हैं। सलीम चिश्ती दरगाह और जामा मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन एक संरक्षित स्मारक हैं। 

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