वैज्ञानिक के शव को अंतिम संस्कार का इंतजार; विदेश में बेटा और पत्नी ने किया किनारा, अब मुम्बई से आकर भांजा करेगा क्रियाकर्म
अपनाें केे इंतजार में दो दिन से रखा भू-विज्ञानी का शव। मित्र ने बताया कि अवसाद का शिकार होने के कारण घर में खुद काे कैद कर लिया था। ऐसे में दो दिन से शव अपनों के इंतजार में रखा हुआ है। मंगलवार को उनकी बहन और भांजा मुम्बई से आगरा पहुंच रहे हैं। इनकी मौजूदगी में अंतिम संस्कार होगा।
जागरण संवाददाता, आगरा। साकेत रोड स्थित एक घर से रविवार को बरामद हुए भू-विज्ञानी के शव का देर रात पंचनामा उनके मित्र की मौजूदगी में भरा गया। उनसे जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी देकर वह वापस मध्य प्रदेश चले गए।
पुलिस ने बरामद किया था एक फोन
शाहगंज के साकेत रोड में ऋषि मार्ग के मकान नंबर 85 के रहने वाले भू-विज्ञानी राजीव माथुर का शव रविवार को घर से पुलिस ने बरामद किया था। शव के पास से एक बंद फोन मिला था, जिसे चार्ज कर पुलिस को उनके एक मित्र का नंबर मिला। नंबर था मध्य प्रदेश के भोपाल के रहने वाले म्यूचुअल फंड कंसल्टेंट प्रवीन जैन का। इनसे वह इनवेस्टमेंट के लिए बातचीत किया करते थे।
पुलिस ने बताया राजीव के मित्र प्रवीन जैन रविवार देर रात आगरा पहुंचे उनकी मौजूदगी मेें ही पंचनामा भरा गया। इस दाैरान प्रवीन ने पुलिस को बताया पत्नी कामना के साथ वह कनाडा में नौकरी करते थे। राजीव कुछ मूडी थे। पत्नी से सही तालमेल नहीं होने कारण अलगाव हुआ और 25 साल पहले वह भारत आ गए।
पत्नी बेटा अनुराग के साथ अमेरिका में रहने लगी। बताया परिवार में दो बहनें हैं, एक बहन वर्तमान में दुबई और दूसरी रीता बड़ोदा से मुम्बई में रहने लगी हैं। किसी तरह रीता का नंबर मिला तो उन्हें सूचना दी गई। बहन रीता की पुलिस से बात हुई की वह अपने बेटे को लेकर मंगलवार को आगरा आ जाएंगी। जिसके बाद पोस्टमार्टम हो सकेगा। भांजा अंतिम संस्कार करेगा। उनकी बहन की आने की बात सुन प्रवीन तड़के ही भोपाल चले गए।
किसी पर नहीं था भरोसा
प्रवीन ने बताया उनके मित्र राजीव किसी पर भी भरोसा नहीं करते थे। फोन पर बातचीत के दौरान कभी-कभी बताते थे आज का दौर सही नहीं है। घर में काम करने वाली या दूध देने वाला भी भरोसे के लायक नहीं हैं। इसी वजह से उन्होंने घर में कोई काम वाली या दूध वाला भी नहीं लगाया था। समाचार पढ़ने के शौकीन थे तो प्रतिरोज खबरें पढ़ने के लिए अखबार लेते थे। दयालबाग स्थित राधा स्वामी सत्संग से प्रतिदिन सत्संग सुन भोजन कर घर लौटते थे। घर में रहते हुए भूख लगती थी तो उसके लिए सील बंद फूड रखते थे।
मेहनत का फल किसी और को मिलना था अवसाद का कारण
पड़ोस में रहने वाले महेंद्र कुमार ने बताया राजीव पैतृक घर में माता राजकुमारी -पिता आरबी माथुर के गुजरने के बाद घर में अकेले थे। बताया नौकरी के दिनों में किसी कंपनी में नौकरी करते समय उन्होंने जमीन से तेल की खोज की। जिसका फल किसी दूसरे को मिला। यह बात अक्सर उन्हें दुख पहुंचाती थी। इसी कारण वह अवसाद का शिकार थे।