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Devuthani Ekadashi; सड़क पर घुड़चढ़ी या बारात का स्वागत किया तो होगी कड़ी कार्रवाई, एक हजार जोड़े बंधेंगे आज परिणय सूत्र में

देवोत्थान (देवउठनी) एकादशी आज मनाई जा रही है। इस शुभ मुहूर्त पर जिले में करीब 1000 हजार जोड़े परिणय के मंगल सूत्र में बंधेंगे। इसको लेकर हर ओर तैयारियां की जा रही हैं। बाजारों में रौनक है तो वहीं घरों में भी विवाह उत्सव की तैयारियां की जा रही हैं। ज्योतिषाचार्य ने नवंबर और दिसम्बर महीने में शुभ मुहूर्त की तारीखें दी है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Thu, 23 Nov 2023 09:02 AM (IST)
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आज जागेंगे देव, सड़क पर घुड़चढ़ी और बारात का स्वागत करने पर होगी कार्रवाई
जागरण संवाददाता, आगरा। देवोत्थान के साथ ही शुरू हो रहे सहालग के लिए पुलिस ने निर्देश जारी किए हैं। अब शादी समारोह के दौरान सड़क पर घुड़चढ़ी और बारात का स्वागत और द्वारपूजन करने पर रोक रहेगी। इसके साथ ही बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने पर भी रोक लगाई गई है।

पुलिस उपायुक्त नगर सूरज राय द्वारा सहालग में सभी मैरिज होम, होटल, धर्मशाला, गेस्ट हाउस और मैदान में आयोजन के दौरान परिसर के अंदर ही पार्किंग करने,हथियार के साथ प्रवेश करने, तेज ध्वनि और अधिक ज्वलनशील पटाखों पर रोक लगाई है।

इसके साथ ही चोरी की घटनाओं की रोकथाम के लिए पूरे परिसर में सीसीटीवी लगाकर उनका नक्शा संबंधित थाने में उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं। गेट पर सिक्योरिटी गार्ड लगाने की भी अनिवार्यता की गई है।

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ये है मान्यता

सनातम धर्म में मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु पांच माह की गहरी निद्रा से उठते हैं। उनके जागने की खुशी में ही देवोत्थान पर्व मनाया जाता है। वह इस दिन ही सृष्टि की बागडोर शिवजी से लेते हैं। इस दिन तुलसी से उनका विवाह भी हुआ था, इसलिए इस दिन व्रत रखकर धार्मिक परंपरानुसार तुलसाजी के साथ सालिग्राम (भगवान विष्णु स्वरूप) का विवाह कराया जाता है।

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तुलसाजी का श्रृंगार कर उन्हें चुनरी ओढ़ाकर उनकी परिक्रमा की जाती है। शाम को घर के आंगन में रोली से चौक बनाकर भगवान विष्णु के चरणों को कलात्मक रूप से अंकित किया जाता है। रात्रि में विधिवत पूजन के बाद सुबह भगवान को शंख, घंटे आदि बजाकर जगाया जाता है और पूजा कर कथा सुनी जाती है।

आज से मांगलिक कार्य शुरू

ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 नवंबर को रात 11:03 से आरंभ होकर 23 नवंबर रात 9:01 पर समापन होगी। उदया तिथि के अनुसार देवोत्थान एकादशी 23 नवंबर को मनाई जाएगी। शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ होंगे।

नवंबर में विवाह का सबसे बड़ा शुभ मुहूर्त 23 नवंबर को है। साथ ही 24 नवंबर तुलसी विवाह, 27 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के साथ 28 और 29 नवंबर को साहलग है। दिसंबर में पांच दिसंबर को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। छह, सात, आठ, नौ और 11 दिसंबर (अनुराधा नक्षत्र) को भी मुहूर्त है।

15 दिसंबर को माह का अंतिम विवाह मुहूर्त है, 16 दिसंबर से खरमास आरंभ होगा, जो 16 जनवरी 2024 तक रहेगा। जनवरी 2024 में 16, 17, 20, 21, 22, 27, 28, 30, 31 को, फरवरी में चार, छह, सात, आठ, 12, 13, 17, 24, 25, 26, 29 को, वहीं मार्च में एक, दो, तीन, चार , पांच, छह, सात, 10, 11 और 12 मार्च को सहालग होगा।

खूब बिके गन्ने, सिंघाड़े और शकरकंद

देवोत्थान पर श्रीहरि की पूजा में गन्ना, सिंघाड़ा और शकरकंद का प्रयोग करते हैं। बुधवार को बाजारों में इनकी खूब बिक्री हुई। मांग अधिक होने के कारण गन्ना 40 से 50 रुपये प्रति पीस से बिका। वहीं सिंघाड़ा और शकरकंद भी 30 से 40 रुपये प्रतिकिलो की दर से बिका। वहीं अन्य उत्पाद खरीदने और शादी-विवाह की तैयारियों के लिए अन्य सामानों की भी खूब खरीदारी हुई। 

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