Dhanteras 2022: धनतेरस के दिन ये चीज़ें खरीदना है शुभ, जानें धनतेरस का महत्व और पूजा विधि
Dhanteras 2022 भगवान धन्वंतरि धनतेरस के दिन समुद्र मंथन से हाथ में कलश लेकर निकले थे। मान्यताएं हैं कि धनतेरस पर सोने- चांदी और मिट्टी के बर्तन खरीदने से होता है घर में मां लक्ष्मी का वास। शनिवार 22 अक्टूबर को है इस बार पंचोत्सव का पहला त्योहार।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Fri, 21 Oct 2022 01:10 PM (IST)
आगरा, तनु गुप्ता। पंचोत्सव की दस्तक द्वार पर हो चुकी है। कल यानी शनिवार को पंच दिन के उत्सव की शुरूआत धनतेरस के साथ होगी। ये बात और है कि सूर्य ग्रहण के कारण पांच दिन तक लगातार चलने वाला उत्सव इस बार छह दिन तक रहेगा। बात करते हैं धनतेरस के पर्व की।
धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस पर्व मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है। इसके अलावा धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है।
धनतेरस पर सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन जिस भी वस्तु की खरीदारी की जाएगी उसमें 13 गुणा वृद्धि होगी। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था इसलिए इसे धनतेरस के त्योहार के रुप में मनाया जाता है।
यह भी पढ़ेंः Dhanteras 2022: इस साल दो दिन मनाया जाएगा धनतेरस का पर्व, जानिए 22 अक्टूबर को किस समय करें खरीदारी
धनतेरस का महत्व
शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के दौरान हाथों में अमृत से भरा स्वर्ण कलश लेकर प्रकट हुए थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान धनवंतरी ने कलश में भरे हुए अमृत को देवताओं को पिलाकर अमर बना दिया था। धनवंतरी के जन्म के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। धनवंतरी के जन्म के दो दिनों बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुई इसलिए दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।धनतेरस से जुड़ी अन्य मान्यता
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन देवताओं के शुभ कार्य में बाधा डालने पर भगवान विष्णु ने असुरों के गुरू शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी थी। कथा के अनुसार देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी मांगे तो उन्हें मना कर देना। लेकिन बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि दान करने के लिए कमण्डल से जल लेकर संकल्प लेने लगे। बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमण्डल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गए। तब भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई। इसके बाद राजा बलि ने संकल्प लेकर तीन पग भूमि वामन भगवन को दान कर दी। इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिल गई और बलि ने जो धन.संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुणा धन- संपत्ति देवताओं को फिर से प्राप्त हो गई। इस कारण से भी धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
ये भी पढ़ेंः CBSE Skill Expo: डा सुजीत साहा ने दिया स्टूडेंट्स को सक्सेस मंत्र, बोले अपनी स्किल वे खुद तय करें
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।